अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-श्रीलंका संबंध
- 24 Jun 2024
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (MRCC), भारत-श्रीलंका संबंध, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), बौद्ध धर्म, नवीकरणीय ऊर्जा, हिंद महासागर मेन्स के लिये:भारत-श्रीलंका संबंध, भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह व समझौते |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से मुलाकात कर विद्युत, ऊर्जा, कनेक्टिविटी, बंदरगाह अवसंरचना, विमानन आदि सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग पर चर्चा की।
भारत-श्रीलंका संबंधों में क्या नए परिवर्तन हुए हैं?
- समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (MRCC): दोनों देशों ने भारत के 6 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान से निर्मित MRCC का संयुक्त रूप से उदघाटन किया।
- इसमें कोलंबो में नौसेना मुख्यालय में स्थापित एक केंद्र, हंबनटोटा में एक उप-केंद्र और गैले में अनमैंड संस्थापनाएँ शामिल हैं।
- MRCC का शुभारंभ कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन के तहत व्यापक पहल का हिस्सा है, जिसमें भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस शामिल हैं, जबकि बांग्लादेश और सेशेल्स इसके पर्यवेक्षक देश हैं।
- मॉडल विलेज हाउसिंग प्रोजेक्ट: दोनों नेताओं ने भारत से वित्तपोषण के साथ मॉडल विलेज हाउसिंग प्रोजेक्ट और भारतीय हाउसिंग प्रोजेक्ट के तहत निर्मित घरों को वर्चुअली सौंपा।
- ऊर्जा क्षेत्र की पहल: इसमें LNG की आपूर्ति हेतु योजना, दोनों देशों को जोड़ने वाली एक प्रस्तावित पेट्रोलियम पाइपलाइन, तथा तेल एवं गैस विकास से संबंधित पहलों को आगे बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श किया गया।
- सामपुर सौर ऊर्जा संयंत्र के निर्माण की भी घोषणा की गई।
- अन्य गतिविधियाँ: त्रिंकोमाली को विकसित करने और कांकेसंथुराई बंदरगाह का विस्तार करने और श्रीलंका के दुग्ध उद्योग और उर्वरक उत्पादन को को समर्थन देने की परियोजनाओं पर भी चर्चा की गई।
भारत-श्रीलंका संबंध कैसे रहे हैं?
- ऐतिहासिक संबंध: भारत और श्रीलंका संस्कृति, धर्म एवं व्यापार के माध्यम से प्रगाढ़ ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं, कई श्रीलंकाई निवासी भारतीय मूल के हैं तथा बौद्ध धर्म दोनों देशों में अहम भूमिका निभाता है।
- आर्थिक संबंध:
- भारत से वित्तीय सहायता: भारत ने श्रीलंका को वर्ष 1948 में स्वतंत्रता के बाद से अपने सबसे खराब वित्तीय संकट से निपटने में सहायता करने के लिये लगभग 4 बिलियन अमरीकी डॉलर की सहायता दी, जो वर्ष 2022 में विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण हुआ है।
- भारत, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और ऋणदाताओं के साथ मिलकर श्रीलंका को ऋण पुनर्गठन के लिये समर्थन देने वाला पहला देश था।
- आर्थिक एवं प्रौद्योगिकी सहयोग समझौता (ETCA): दोनों देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत करने और विकास को बढ़ावा देने के लिये ETCA की संभावना तलाश रहे हैं।
- भारत की UPI को अपनाना: श्रीलंका ने भारत की UPI सेवा को अपना लिया है, जो दोनों देशों के बीच फिनटेक कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- व्यापार निपटान के लिये रुपए के उपयोग से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को और सहायता मिल रही है।
- व्यापार: अमेरिका और ब्रिटेन के बाद भारत श्रीलंका का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। श्रीलंका के 60% से ज़्यादा निर्यात को भारत-श्रीलंका मुक्त व्यापार समझौते का लाभ मिलता है। भारत श्रीलंका में एक बड़ा निवेशक भी है।
- भारत से वित्तीय सहायता: भारत ने श्रीलंका को वर्ष 1948 में स्वतंत्रता के बाद से अपने सबसे खराब वित्तीय संकट से निपटने में सहायता करने के लिये लगभग 4 बिलियन अमरीकी डॉलर की सहायता दी, जो वर्ष 2022 में विदेशी मुद्रा भंडार की भारी कमी के कारण हुआ है।
- समूहों में भागीदारी: श्रीलंका बिम्सटेक (बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल) और SAARC जैसे समूहों का भी सदस्य है, जिसमें भारत अग्रणी भूमिका निभाता है।
- पर्यटन: वर्ष 2022 में, 100,000 से अधिक पर्यटकों के साथ भारत श्रीलंका के लिये पर्यटकों का सबसे बड़ा स्रोत था।
भारत और श्रीलंका संबंधों का क्या महत्त्व है?
- क्षेत्रीय विकास पर ध्यान: भारत की प्रगति उसके पड़ोसी देशों के साथ जटिल रूप से जुड़ी हुई है, और श्रीलंका का लक्ष्य दक्षिण एशिया में दक्षिणी अर्थव्यवस्था के साथ एकीकरण करके अपने विकास को बढ़ाना है।
- विदेश मंत्री ने भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के प्रति प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की तथा भारत के सबसे करीबी समुद्री पड़ोसी के रूप में श्रीलंका के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
- सामरिक अवस्थिति: श्रीलंका, पाक जलडमरूमध्य के पार भारत के दक्षिणी तट के निकट स्थित है, तथा दोनों देशों के बीच संबंधों में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है, क्योंकि यह प्रमुख नौवहन मार्गों के चौराहे पर स्थित है, जो इसे भारत के लिये नियंत्रण का एक महत्त्वपूर्ण बिंदु बनाता है।
- व्यापार एवं पर्यटन में आसानी: दोनों देशों में डिजिटल भुगतान प्रणालियों के संवर्द्धन से आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा भारत और श्रीलंका के बीच व्यापारिक लेन-देन सरल होगा।
- इस प्रगति से न केवल व्यापार सुचारु होगा, बल्कि दोनों देशों के बीच पर्यटन आदान-प्रदान के लिये कनेक्टिविटी में भी सुधार होगा।
भारत-श्रीलंका संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं?
- तमिल जातीय मुद्दा: भारत ऐतिहासिक रूप से श्रीलंका में तमिल समुदाय के कल्याण और अधिकारों के बारे में चिंतित रहा है, विशेष रूप से 13वें संशोधन को उसकी वास्तविक भावना में लागू करने के बारे में।
- 13वें संशोधन, जिसके कारण प्रांतीय परिषदों का निर्माण हुआ, ने देश के सभी नौ प्रांतों, जिनमें सिंहली बहुल क्षेत्र भी शामिल हैं, को स्वशासन करने में सक्षम बनाने के लिये एक शक्ति-साझाकरण व्यवस्था का आश्वासन दिया।
- चीन का प्रभाव: भारत को श्रीलंका में हंबनटोटा बंदरगाह जैसे चीन के निवेश के बारे में चिंता है, क्योंकि यह श्रीलंका के निकट स्थित है।
- मत्स्य विवाद: समुद्री सीमाओं पर दोनों देशों द्वारा अवैध रूप से मछली पकड़ने और मछुआरों की गिरफ्तारी के मुद्दे अक्सर कूटनीतिक झगड़े का कारण बनते हैं।
- कच्चातिवु द्वीप विवाद: यह मुद्दा भारत और श्रीलंका के बीच पाक जलडमरूमध्य में स्थित कच्चातिवु के निर्जन द्वीप के स्वामित्व और उपयोग के अधिकारों के इर्द-गिर्द घूमता है, जिसमें स्पष्ट रूप से अनुमति के बिना मछली पकड़ने की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
- सीमा सुरक्षा और तस्करी: भारत और श्रीलंका के बीच छिद्रपूर्ण समुद्री सीमा के कारण सीमा सुरक्षा तथा मादक पदार्थों एवं अवैध आप्रवासियों सहित माल की तस्करी की समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।
आगे की राह
- सत्य एवं सुलह आयोग: भारत श्रीलंका में गृहयुद्ध की विरासत से निपटने तथा तमिल समुदाय के लिये राहत को बढ़ावा देने के लिये सत्य एवं सुलह आयोग की स्थापना का समर्थन कर सकता है।
- संयुक्त समुद्री गश्ती और प्रशिक्षण: भारत और श्रीलंका हिंद महासागर क्षेत्र में संयुक्त गश्ती आयोजित करके और श्रीलंकाई तट रक्षक कर्मियों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करके समुद्री सुरक्षा पर सहयोग बढ़ा सकते हैं।
- लोगों के बीच संबंध: दोनों देशों के नागरिकों के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देने के लिये सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों और पर्यटन को बढ़ावा देना।
- संयुक्त अवसंरचना परियोजनाएँ: भारत श्रीलंका में अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश कर सकता है, साथ ही यह सुनिश्चित कर सकता है कि परियोजना नियोजन चरण से लेकर कार्यान्वयन तक सुचारु रूप से आगे बढ़े।
- आर्थिक और व्यापार सहयोग समझौता (ETCA) कार्यान्वयन: दोनों देश व्यापार बाधाओं को कम करने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिये ETCA के त्वरित तथा सुचारु कार्यान्वयन की दिशा में कार्य कर सकते हैं।
- छात्र विनिमय कार्यक्रम एवं कौशल विकास पहल: श्रीलंकाई छात्रों के लिये छात्रवृत्ति कार्यक्रम स्थापित करने के साथ कौशल विकास पहल में सहयोग प्रदान करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत-श्रीलंका संबंधों में प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। इन चु नौतियों से निपटने के लिये दोनों देश मिलकर कैसे काम कर सकते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखा जाने वाला एलीफेंट पास का उल्लेख निम्नलिखित में से किस मामले के संदर्भ में किया जाता है? (2009) (a) बांग्लादेश| उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न. 'भारत श्रीलंका का बरसों पुराना मित्र है।' पूर्ववर्ती कथन के आलोक में श्रीलंका के वर्तमान संकट में भारत की भूमिका की विवेचना कीजिये। (2022) प्रश्न. भारत-श्रीलंका के संबंधों के संदर्भ में विवेचना कीजिये कि किस प्रकार आतंरिक (देशीय) कारक विदेश नीति को प्रभावित करते हैं। (2013) |