भारत का प्रस्तावित पोत निर्माण मिशन | 27 Sep 2024

प्रिलिम्स के लिये:

पोत निर्माण मिशन, पोत जीर्णोद्धार और पुनर्चक्रण मिशन, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री विवाद समाधान केंद्र, वधावन पत्तन, गैलेथिया खाड़ी, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IMEC), चाबहार पत्तन, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC), मुंद्रा पत्तन, समुद्री भारत विज़न 2030

मेन्स के लिये:

भारत की अर्थव्यवस्था के लिये पत्तन आधारिक संरचना का महत्त्व।

स्रोत: एलएम

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री मेक इन इंडिया पहल से प्रेरित होकर वर्ष 2047 तक एक सुदृढ़ वैश्विक पोत निर्माण उद्योग के निर्माण हेतु एक पोत निर्माण मिशन निर्मित कर रहे हैं।

  • सरकार भारत को शीर्ष समुद्री शक्तियों में सम्मिलित करने के लिये एक व्यापक रणनीति निर्मित कर रही है।

प्रस्तावित पोत निर्माण मिशन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • वैश्विक बाज़ार स्थिति: सरकार वर्ष 2047 तक भारत को शीर्ष पोत निर्माण उद्योग और वैश्विक समुद्री केंद्र के रूप में स्थापित करना चाहती है। 
    • वर्तमान में पोत परिवहन से संबंधित गतिविधियों में भारत की वैश्विक बाज़ार हिस्सेदारी 1% से भी कम है।
  • व्यापक रणनीति: मिशन ने कार्रवाई के लिये बारह क्षेत्रों की पहचान की है, जिनमें वित्तपोषण, बीमा, पोत स्वामित्व और पट्टे, अधिकार पत्र, पोत निर्माण, पोत जीर्णोद्धार, पोत पुनर्चक्रण, प्रस्तरमार्ग और पंजीकरण, संचालन, तकनीकी प्रबंधन, स्टाफिंग और चालक दल एवं मध्यस्थता शामिल हैं। 
  • पोत निर्माण पार्कों का विकास: इसका उद्देश्य भारत के दोनों तटों पर बड़े पोत निर्माण पार्क स्थापित करना है। सरकार ने विदेशी निवेश के अवसरों का पता लगाने के लिये दक्षिण कोरिया और जापान को आमंत्रित किया है।
    • इन्हें महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और गुजरात में स्थापित किया जाएगा।
  • वर्तमान व्यापार गतिशीलता में परिवर्तन: वर्तमान में, भारत का लगभग 95% व्यापार विदेशी पोतों पर निर्भर करता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रति वर्ष 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बहिर्वाह होता है। इस पहल का उद्देश्य इस गतिशीलता को महत्त्वपूर्ण रूप से परिवर्तित करना है।
  • समुद्री विकास कोष: सरकार समुद्री पहलों के लिये दीर्घकालिक वित्तपोषण प्रदान करने हेतु लगभग 25,000 करोड़ रुपये की धनराशि के साथ समुद्री विकास कोष स्थापित करने की योजना बना रही है।
  • संबद्ध मिशन: इस केंद्रित दृष्टिकोण के अनुरूप दो और मिशन शीघ्र ही आरंभ किये जाने हैं। 
    • क्रूज़ इंडिया मिशन: यह पोत अवसंरचना को संवर्द्धित करेगा और बड़े क्रूज़ पोतों को समायोजित करने के लिये विशेष क्रूज़ टर्मिनलों का निर्माण करेगा। 
    • जीर्णोद्धार और पुनर्चक्रण: पोत निर्माण के अतिरिक्त, भारत पोत जीर्णोद्धार और पुनर्चक्रण मिशन शुरू करने की तैयारी कर रहा है। 
      • कोच्चि, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और वाडिनार (गुजरात) को प्रमुख जीर्णोद्धार केंद्र बनाने के लिये विकसित किया जाएगा।
  • उत्कृष्टता केंद्र: पोत निर्माण एवं जीर्णोद्धार में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना की जाएगी ताकि इन क्षेत्रों में नवाचार को संवर्द्धित किया जा सके।
  • मुक्त व्यापार डिपो: पोत जीर्णोद्धार के लिये आयातित सामग्रियों पर सीमा शुल्क छूट प्रदान करने के लिये शिपयार्डों में एक मुक्त व्यापार डिपो स्थापित किया जाएगा।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री विवाद समाधान केंद्र (IIMDRC): IIMDRC को समुद्री विवादों को घरेलू स्तर पर सुलझाने के लिये शुरू किया गया है, जिससे दुबई और सिंगापुर जैसे वैश्विक केंद्रों पर निर्भरता कम हो गई है। IIMDRC योग्यता-आधारित और उद्योग-शासित समाधान प्रदान करता है, जिससे भारत मध्यस्थता के लिये एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित हो गया है।
  • घरेलू संरक्षण और क्षतिपूर्ति इकाई: मंत्रालय तटीय पोत परिवहन और अंतर्देशीय जलमार्गों के लिये तीसरे पक्ष के समुद्री बीमा प्रदान करने के लिये एक घरेलू इकाई इंडिया क्लब की स्थापना की संभावना तलाश रहा है। इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों और दबावों के जोखिम को कम करना है। उदाहरण के लिये, यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ ने रूसी पोत परिवहन कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया।

भारत के समुद्री क्षेत्र में हाल की घटनाएँ क्या हैं?

  • पत्तन अवसंरचना: भारत ने देशभर में बड़े पत्तनों के लिये जो योजनाएँ बनाई हैं, उनमें महाराष्ट्र के वधावन में हाल ही में 76,220 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित पत्तन भी शामिल हैं।
  • 40 मिलियन TEU का लक्ष्य: मंत्रालय का अनुमान है कि भारत में आगामी पांच वर्षों में 40 मिलियन TEU (बीस फुट समतुल्य यूनिट) तक पहुँच जाएगी।
    • जवाहरलाल नेहरू पत्तन की परिचालन क्षमता वर्तमान में 6.6 मिलियन से बढ़कर 10 मिलियन तक पहुँच गई है, जिससे यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला भारत का प्रथम पत्तन बन गया है।
  • हाइड्रोजन विनिर्माण केंद्र: हाइड्रोजन विनिर्माण केंद्र स्थापित करने के लिये दीनदयाल पत्तन प्राधिकरण (DPA), कांडला और वीओ चिदंबरनार पत्तन न्यास (पूर्व में तूतीकोरिन पत्तन न्यास) में कुल 3,900 एकड़ भूमि आवंटित की गई है।
  • वैश्विक विस्तार: इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) ने श्रीलंका, म्याँमार और बांग्लादेश में विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय पत्तनों पर टर्मिनलों के संचालन का अधिग्रहण किया। 
    • इसके अतिरिक्त, भारत ने चाबहार पत्तन के लिये अपना अनुबंध स्वीकृत किया है।
  • व्यापार गलियारे: प्रस्तावित 4,800 किलोमीटर लंबा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) भारतीय पत्तनों को सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे देशों से जोड़ेगा और अंततः यूरोप तक विस्तारित होगा।
  • मैत्री प्लेटफॉर्म: मैत्री (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विनियामक अंतराफलक के लिये मास्टर एप्लिकेशन) कई भारतीय विक्रय पोर्टलों को संयुक्त अरब अमीरात के साथ समेकित किया जाता है, जिससे सीमा पार व्यापार व्यवसाय सुव्यवस्थित होता है।  
  • इसे IMEC के वर्चुअल ट्रेड कॉरिडोर (VTC) के आधार के रूप में अभिकल्पित किया गया है, जो देश के बीच व्यापार डेटा के सुरक्षित और कुशल साझाकरण की सुविधा प्रदान करता है।

पोत निर्माण उद्योग से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?

    • पोत निर्माण का परिचय: पोत निर्माण से तात्पर्य परिवहन, रक्षा और व्यापार के लिये उपयोग किये जाने वाले पोतों के निर्माण, जीर्णोद्धार और संधारण से है।
      • शिपयार्ड नामक विशेष सुविधाएँ बड़े पैमाने की परियोजनाओं और जटिल पोत  समन्वायोजन प्रक्रियाओं को प्रबंधित करती हैं।
    • वैश्विक पोत निर्माण बाज़ार अवलोकन: वैश्विक पोत निर्माण बाज़ार का मूल्य वर्ष 2023 में 207.15 बिलियन अमरीकी डॉलर था और वर्ष 2024 में इसके 220.52 बिलियन अमरीकी डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।
      • प्रमुख पोत निर्माण करने वाले देशों में चीन, दक्षिण कोरिया, जापान, भारत, जर्मनी और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
      • चीन, दक्षिण कोरिया और जापान सामूहिक रूप से 85% बाज़ार पर नियंत्रण रखते हैं।
    • पोत निर्माण बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी: वैश्विक पोत निर्माण बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी 0.06% है। पोत निर्माण निर्यात में भारत 1.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ 12वें स्थान पर है, जबकि चीन 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात के साथ सबसे आगे है।
    • भारत के पोत निर्माण बाज़ार में संवृद्धि: वर्ष 2022 में, भारत के पोत निर्माण उद्योग का मूल्य 90 मिलियन अमेरिकी डॉलर था और वर्ष 2033 तक 8,120 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। 
      • सरकारी समर्थन, सामरिक अवस्थिति, श्रम लागत लाभ के कारण भारतीय पोत निर्माण बाज़ार वर्ष 2047 तक 237 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के अवसर खोल सकता है।
    • भारत की शीर्ष पोत निर्माण कंपनियाँ: 
      • मझगांव डॉक लिमिटेड (MDL): भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल के लिये युद्धपोतों के निर्माण के लिये जाना जाता है।
      • कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL): CSL अपतटीय पोतों, तेल टैंकरों, विमान वाहकों में विशेषज्ञता रखता है। यह भारत का सबसे बड़ा पोत निर्माता और देश की सबसे बड़ी पोत जीर्णोद्धार सुविधा है।
      • अडानी समूह की पहल: वर्ष 2024 में, अडानी समूह ने 45,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ  गुजरात के मुंद्रा पत्तन पर एक प्रमुख पोत निर्माण पहल की घोषणा की।
        • इसका उद्देश्य भारत को वैश्विक पोत निर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है तथा वर्ष 2047 तक 62 बिलियन अमेरिकी डॉलर का बाज़ार बनाना है।

    मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 क्या है?

    • मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 देश के समुद्री क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिये शुरू की गई एक सामरिक पहल है।
    • इसने पोत निर्माण और पोत जीर्णोद्धार में भारत के वैश्विक श्रेणीक्रम को वर्ष 2030 तक 20वें स्थान से शीर्ष 10 में लाने का साहसिक लक्ष्य रखा है तथा वर्ष 2047 तक शीर्ष पांच में स्थान प्राप्त करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को प्रस्तुत किया है।
    • फरवरी 2023 तक, भारतीय पत्तनों पर क्षमता वृद्धि और विश्व स्तरीय अवसंरचना के विकास के लिये 1,00,000 से 1,25,000 करोड़ रुपये के निवेश का अनुमान है।

    निष्कर्ष

    मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 द्वारा संचालित भारत के पोत निर्माण मिशन का लक्ष्य देश को शीर्ष वैश्विक पोत निर्माण केंद्रों में स्थान दिलाना है। सरकारी समर्थन, सामरिक निवेश और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ, यह मिशन भारत के समुद्री आधारिक संरचना को संवर्द्धित करेगा, लाखों नौकरियों का सृजन करेगा और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को सुदृढ़ करेगा। नवाचार और सतत् विकास पर इसका ध्यान भारत की आर्थिक और भू-राजनीतिक अवस्थिति को महत्त्वपूर्ण रूप से संवर्द्धित करेगा।

    दृष्टि मेन्स प्रश्न:

    प्रश्न: मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 के अंतर्गत भारत के पोत निर्माण मिशन की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये।