भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना | 16 Sep 2024
प्रिलिम्स के लिये:G-20 अध्यक्षता, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI), सतत् विकास, आधार, UPI, डेटा एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA), आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, कोविन प्लेटफॉर्म, साइबर हमले, रैनसमवेयर, राज्य प्रायोजित हैकिंग मेन्स के लिये:भारत की डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) की चुनौतियाँ और समाधान। |
स्रोत: IE
चर्चा में क्यों?
G-20 अध्यक्षता के दौरान भारत ने तकनीकी नवाचार के माध्यम से समावेशी और सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिये डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) को एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में महत्त्व दिया।
- DPI (खुलापन, अंतर-संचालनीयता एवं मापनीयता) की परिभाषित विशेषताएँ न केवल एक तकनीकी ढाँचे के रूप में बल्कि सार्वजनिक और निजी सेवा वितरण को बढ़ाने के लिये एक आवश्यक प्रवर्तक के रूप में इसके महत्त्व को उजागर करती हैं।
डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) क्या है?
- डिजिटल पहचान प्रणालियाँ (Digital Identity Systems): व्यक्तियों की पहचान को ऑनलाइन माध्यम से सत्यापित करने और उसे प्रबंधित करने के लिये विभिन्न प्लेटफॉर्म हैं; जैसे- भारत में आधार (Aadhaar)।
- डिजिटल भुगतान प्रणालियाँ (Digital Payment Systems): डिजिटल वॉलेट, पेमेंट गेटवे और बैंकिंग प्लेटफॉर्म सहित सुरक्षित वित्तीय लेनदेन का समर्थन करने वाली बुनियादी संरचना।
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (Digital Public Infrastructure- DPI) से तात्पर्य सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा प्रदत्त मूलभूत डिजिटल प्रणालियों और सेवाओं से है, जो डिजिटल अर्थव्यवस्था एवं समाज के कार्यकरण को समर्थन देने तथा उसे आगे बढ़ाने का लक्ष्य रखती है।
- सार्वजनिक डिजिटल सेवाएँ (Public Digital Services): सरकार द्वारा प्रदत्त ऑनलाइन सेवाएँ, जैसे- ई-गवर्नेंस पोर्टल, सार्वजनिक स्वास्थ्य सूचना और डिजिटल शिक्षा प्लेटफॉर्म।
- डेटा अवसंरचना (Data Infrastructure): डेटा को सुरक्षित रूप से संगृहीत करने, प्रबंधित करने और साझा करने के लिये प्रणालियाँ, जो डेटा संप्रभुता एवं निजता सुनिश्चित करती हैं। जैसे- डिजिलॉकर।
- साइबर सुरक्षा संबंधी ढाँचे (Cybersecurity Frameworks): साइबर खतरों से डिजिटल परिसंपत्तियों और व्यक्तिगत सूचनाओं की सुरक्षा के लिये विभिन्न उपाय एवं प्रोटोकॉल। उदाहरण के लिये सूचना सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली (ISMS)
- ब्रॉडबैंड और कनेक्टिविटी: सभी क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट तक व्यापक एवं समतामूलक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये आधारभूत संरचना।
- इसे सामान्यतः दो समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
- आधारभूत DPI: इन पहलों को डिजिटल पहचान प्रणालियों, भुगतान अवसंरचनाओं और डेटा विनिमय प्लेटफार्मों के दायरे को शामिल करते हुए लचीले डिजिटल ढाँचे की स्थापना के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- क्षेत्रीय DPI: ये विशिष्ट क्षेत्रों की आवश्यकताओं के अनुरूप विशेष सेवाएँ प्रदान करते हैं।
- जैसे- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन।
- DPI का प्रभाव:
- कोविन (CoWIN) प्लेटफॉर्म के तहत 2.2 बिलियन से अधिक कोविड-19 टीकों के प्रशासन की सुविधा के लिये आधार-आधारित प्रमाणीकरण का उपयोग किया गया।
- 1.3 बिलियन से अधिक आधार नामांकन और 10 बिलियन से अधिक मासिक UPI लेनदेन ने परिवर्तनकारी प्रभाव डाला है।
- ऋण, ई-कॉमर्स, शिक्षा, स्वास्थ्य और शहरी प्रशासन जैसे क्षेत्रों में शासन में सुधार हुआ है।
नोट: DPI के विषय में नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज (Nasscom) की टिप्पणियाँ।
- डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना भारत को वर्ष 2030 तक 8 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में सहायता कर सकती है।
- DPI द्वारा जोड़ा गया आर्थिक मूल्य वर्ष 2022 में 0.9% से बढ़कर वर्ष 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.9% से 4.2% के बीच हो सकता है।
- भारत के डिजिटल स्वास्थ्य बुनियादी अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिये शुरू किये गए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) से मूल्य वृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है।
- उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा स्थापित एक खुला ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) से खुदरा व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
भारत की DPI से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- डेटा गोपनीयता और सुरक्षा चिंताएँ: DPI द्वारा व्यक्तिगत डेटा का व्यापक संग्रह और उपयोग डेटा गोपनीयता, सुरक्षा एवं संवेदनशील जानकारी के संभावित दुरुपयोग के संबंध में चिंताएँ उत्पन्न करता है।
- डिजिटल डिवाइड: भारत की तीव्र डिजिटल प्रगति के बावजूद इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्मार्टफोन और डिजिटल साक्षरता सहित डिजिटल बुनियादी अवसंरचना तक पहुँच अभी भी सीमित है।
- वर्ष 2024 में भारत की इंटरनेट पहुँच दर 52% होने की उम्मीद है, जिसका अर्थ है कि देश के 1.4 बिलियन लोगों में से आधे से अधिक लोगों के पास इंटरनेट तक पहुँच होगी।
- विनियामक अंतराल और विखंडन: डिजिटल प्रौद्योगिकियों की विकासशील प्रकृति के लिये गतिशील और सुसंगत विनियामक अवसंरचना की आवश्यकता है।
- मौजूदा नियामक तंत्र,प्लेटफॉर्म एकाधिकार, डेटा एकाधिकार और सीमा पार डेटा प्रवाह जैसे उभरते मुद्दों से निपटने के लिये अपर्याप्त हैं।
- उदाहरण के लिये भुगतान डेटा को स्थानीय स्तर पर संगृहीत करने के भारतीय रिज़र्व बैंक के आदेश के कारण अंतर्राष्ट्रीय भुगतान प्रदाताओं के लिये अनुपालन जटिलताएँ उत्पन्न हो गई हैं।
- साइबर सुरक्षा के खतरे: डिजिटल बुनियादी अवसंरचना पर बढ़ती निर्भरता भारत को साइबर हमलों, रैनसमवेयर और राज्य प्रायोजित हैकिंग सहित साइबर सुरक्षा खतरों की बढ़ती शृंखला के प्रति उजागर करती है। ऐसे खतरों के विरुद्ध DPI की लचीलापन क्षमता में सुधार करना राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- वर्ष 2021 तक महाराष्ट्र भारत में सबसे अधिक लक्षित राज्य था, जिसे सभी रैनसमवेयर हमलों में से 42% का सामना करना पड़ा।
- डिजिटल अवसंरचना का एकाधिकार: एकाधिकार प्रथाओं के जोखिम से छोटी निजी संस्थाओं के लाभ में कमी जैसी चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, क्योंकि वे स्वयं को उन्नत करने में असमर्थ होती हैं।
- उदाहरण के लिये भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) अधिकांश त्वरित भुगतान प्रणालियों का संचालन करता है।
- डिजिटल अवसंरचना की स्थिरता: वित्तीय व्यवहार्यता, तकनीकी रखरखाव और मापनीयता के संदर्भ में DPI की दीर्घकालिक स्थिरता बनाए रखना एक सतत् चुनौती है जिसके लिये निरंतर नवाचार व निवेश की आवश्यकता होती है।
भारत की DPI का लचीलापन बढ़ाने हेतु क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
- डेटा संरक्षण और गोपनीयता अवसंरचना को मज़बूत करना: नागरिकों के डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिये एक व्यापक एवं प्रभावी डेटा संरक्षण कानून लागू करना महत्त्वपूर्ण है।
- इसमें डेटा संग्रहण, भंडारण और उपयोग के लिये कड़े मानदंड शामिल होने चाहिये, साथ ही डेटा उल्लंघनों के लिये सहमति, जवाबदेही तथा उपाय तंत्र पर स्पष्ट दिशानिर्देश भी शामिल होने चाहिये।
- डिजिटल डिवाइड को पाटना: समान पहुँच सुनिश्चित करने के लिये डिजिटल बुनियादी अवसंरचना का विस्तार करना आवश्यक है। इसके लिये डिजिटल साक्षरता में सुधार लाने पर केंद्रित पहल की आवश्यकता है, जिससे समाज के सभी वर्गों को डिजिटल अर्थव्यवस्था में भाग लेने में सक्षम बनाया जा सके।
- अनुकूली विनियामक तंत्र विकसित करना: प्लेटफॉर्म एकाधिकार, डेटा एकाधिकार और सीमा-पार डेटा शासन जैसी उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिये गतिशील एवं दूरदर्शी विनियामक अवसंरचना की स्थापना महत्त्वपूर्ण है।
- ये अवसंरचना इतनी लचीली होनी चाहिये कि वे डिजिटल प्रौद्योगिकियों और बाज़ारों के तीव्र विकास के अनुकूल हो सकें।
- साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाना: साइबर जोखिमों को कम करने के लिये नियमित ऑडिट, सिमुलेशन और वास्तविक समय की निगरानी को संस्थागत बनाया जाना चाहिये।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को बढ़ावा देना: तकनीकी जानकारी, नवाचार और संसाधनों का लाभ उठाने के लिये सरकार एवं निजी क्षेत्र के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।
- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) डिजिटल बुनियादी अवसंरचना की तैनाती में तेज़ी ला सकती है, नवाचार को बढ़ावा दे सकती है तथा डिजिटल सेवाओं के विस्तार में आने वाली चुनौतियों का समाधान कर सकती है।
- उदार कानून की आवश्यकता: हालाँकि कठोर कानूनी अवसंरचना DPI विकास में बाधा डाल सकती हैं, लेकिन सर्वोत्तम प्रथाओं (डेटा एन्क्रिप्शन, पहुँच प्रतिबंध) को बढ़ावा देने वाले उदार कानून उपकरण सार्वजनिक हित की रक्षा कर सकते हैं।
- DPI के पहलुओं को वैधानिक, संविदात्मक और उदार कानून अवसंरचना के अंतर्गत अलग करने से नवाचार एवं विनियमन दोनों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है।
भारत के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में प्रमुख विकास क्या हैं?
निष्कर्ष
भारत की G-20 अध्यक्षता ने समावेशी और सतत् विकास के प्रमुख चालक के रूप में DPI की परिवर्तनकारी क्षमता को प्रदर्शित किया। DPI के लचीलेपन को और मज़बूत करने के लिये, भारत को मज़बूत डेटा सुरक्षा ढाँचे को अपनाना चाहिये, डिजिटल विभाजन को पाटना चाहिये, अनुकूल नियम विकसित करने चाहिये और निरंतर नवाचार एवं सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से अपनी डिजिटल बुनियादी अवसंरचना की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करनी चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में शासन और सेवा वितरण में सुधार लाने में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) की भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार का/के ‘‘डिजिटल इंडिया’’ योजना का/के उद्देश्य है/हैं? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्सप्रश्न:"चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेन्स को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है"। विवेचन कीजिये। (2020) |