भारत का जलवायु और मौसम प्रतिरूप | 04 May 2023
प्रिलिम्स के लिये:अल नीनो, दक्षिण-पश्चिम मानसून मौसम, हीटवेव मेन्स के लिये:भारत के मानसून पर अल नीनो का प्रभाव, भारत में चरम मौसमी घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और तीव्रता में जलवायु परिवर्तन की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के कई क्षेत्रों में बारिश हुई, विशेषज्ञों का अनुमान है कि वर्ष 2023 काफी गर्म और शुष्क रहेगा।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मानसून के सामान्य रहने की भविष्यवाणी की है, लेकिन अल नीनो की घटनाओं में वृद्धि होने से मानसूनी वर्षा में कमी आ सकती है।
- इसके अतिरिक्त IMD ने पहली बार चरम मौसमी घटनाओं के कारण होने वाली मौतों पर डेटा जारी किया है।
भारत की वर्तमान स्थिति:
- अनियमित वर्षाजल वितरण:
- हालिया बूँदा-बाँदी के बावजूद पूर्वोत्तर राज्यों, झारखंड और पश्चिम बंगाल को छोड़कर पूरे देश में पर्याप्त बारिश हुई है।
- महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में स्थानीय मौसम की विभिन्न घटनाओं के कारण उम्मीद से 15 गुना अधिक बारिश हुई है।
- अल नीनो और ग्लोबल वार्मिंग:
- IMD ने सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है लेकिन अल नीनो में वृद्धि भारत में वर्षा को प्रभावित कर सकती है।
- विश्व स्तर पर अल नीनो की घटनाओं में तेज़ी से वृद्धि, जिसका समग्र ग्रह पर वार्मिंग प्रभाव पड़ता है, के कारण वर्ष 2023 के चार सबसे गर्म वर्षों में से एक होने की संभावना है।
- भारत में वार्मिंग पैटर्न:
- वर्ष 2022 पूर्व-औद्योगिक स्तरों की तुलना में 1.15 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म रहा है, भारत के तापमान में वृद्धि की प्रवृत्ति वैश्विक औसत से थोड़ी कम है।
- भारत में उष्मण सभी क्षेत्रों में एक समान नहीं है। हिमाचल प्रदेश, गोवा और केरल जैसे कुछ राज्यों में अन्य राज्यों की तुलना में अधिक गर्मी देखी गई है, जबकि बिहार, झारखंड एवं ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में सबसे कम गर्मी का अनुभव हुआ है।
- उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में समुद्र की सतह का तापमान वर्ष 1950 और 2015 के बीच लगभग एक डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है।
आगामी अल नीनो के प्रभाव के संदर्भ में जलवायु मॉडल का अनुमान:
- भारत में कमज़ोर मानसून: मई/जून 2023 में अल नीनो की घटना में वृद्धि से दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम कमज़ोर हो सकता है, जो भारत को प्राप्त होने वाली कुल वर्षा का लगभग 70% है, साथ ही इस पर देश के अधिकांश किसान निर्भर हैं।
- हालाँकि मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (MJO) और कम दबाव प्रणाली जैसे उप-मौसमी कारक कुछ क्षेत्रों में वर्षा को अस्थायी रूप से बढ़ा सकते हैं जैसा कि वर्ष 2015 में देखा गया था।
- उच्च तापमान: यह भारत और विश्व भर के अन्य क्षेत्रों जैसे कि दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और प्रशांत द्वीप समूह में हीटवेव तथा सूखे का कारण बन सकता है।
- पश्चमी देशों में भारी वर्षा: यह संयुक्त राज्य अमेरिका में कैलिफोर्निया जैसे अन्य क्षेत्रों में भारी वर्षा तथा बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर सकता है और प्रवाल भित्तियों के विरंजन एवं मृत्यु का कारण बन सकता है।
- बढ़ता वैश्विक औसत तापमान:
- अल नीनो के कारण वर्ष 2023 और 2024 में वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो सकता है।
- महासागरों का गर्म होना भी अल नीनो घटना के प्रमुख प्रभावों में से एक है।
- यह तब है जब विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO) के अनुसार, समुद्र की गर्मी पहले से ही उच्च स्तर पर है।
किस मौसम की घटना के कारण सबसे अधिक मौतें होती हैं?
- भारत में किसी भी अन्य मौसम की घटना की तुलना में बिजली गिरने से अधिक मौतें हुईं।
- वर्ष 2022 में भारत में मौसम संबंधी घटनाओं के चलते 60% मौतें (2,657 दर्ज मौतों में से 1,608) बिजली गिरने के कारण हुईं।
- बाढ़ और अत्यधिक वर्षा की घटनाओं से 937 लोगों की जान चली गई।
- मरने वालों की वास्तविक संख्या अधिक हो सकती है, क्योंकि IMD और राज्य सरकारें सूची तैयार करने के लिये मीडिया रिपोर्टों पर निर्भर थीं।
भारत की जलवायु परिवर्तन शमन पहल क्या हैं?
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPCC):
- भारत में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करने के लिये इसे वर्ष 2008 में शुरू किया गया।
- इसका उद्देश्य भारत द्वारा कम कार्बन उत्सर्जन और जलवायु-लचीले विकास सुनिश्चित करना है।
- NAPCC के मूल में 8 राष्ट्रीय मिशन हैं जो जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में प्रमुख लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये बहु-आयामी, दीर्घकालिक और एकीकृत रणनीतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये हैं-
- राष्ट्रीय सौर मिशन
- उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिये राष्ट्रीय मिशन
- सतत् आवास पर राष्ट्रीय मिशन
- राष्ट्रीय जल मिशन
- हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिये राष्ट्रीय मिशन
- हरित भारत के लिये राष्ट्रीय मिशन
- सतत् कृषि के लिये राष्ट्रीय मिशन
- जलवायु परिवर्तन के लिये सामरिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन
- राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC):
- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिये भारत की प्रतिबद्धता।
- वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने और वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 50% बिजली उत्पन्न करने का संकल्प।
- अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने और वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने का संकल्प।
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (NAFCC):
- इसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुकूलन परियोजनाओं को लागू कर राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान करने हेतु वर्ष 2015 में स्थापित किया गया।
- जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्ययोजना (SAPCC):
- यह सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को उनकी विशिष्ट ज़रूरतों एवं प्राथमिकताओं के आधार पर अपने स्वयं के SAPCC तैयार करने के लिये प्रोत्साहित करती है।
- SAPCC उप-राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिये रणनीतियों और कार्यों की रूपरेखा तैयार करती है।
- यह NAPCC और NDC के उद्देश्यों के साथ संरेखित है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय मानसून का पूर्वानुमान करते समय कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित 'इंडियन ओशन डाईपोल (IOD)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। भारत जलवायु परिवर्तन से किस प्रकार प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे? (2017) |