भूगोल
राज्यों द्वारा आकाशीय बिजली को प्राकृतिक आपदा घोषित करने की मांग
- 13 Mar 2023
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्राकृतिक आपदाएँ, आकाशीय बिजली। मेन्स के लिये:प्राकृतिक आपदा और प्राकृतिक आपदा के रूप में आकाशीय बिजली तथा इसके प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कुछ राज्यों ने मांग की है कि "आकाशीय बिजली" को "प्राकृतिक आपदा" घोषित किया जाए क्योंकि भारत में किसी अन्य आपदा की तुलना में इससे होने वाली मौतों की संख्या सबसे अधिक है।
- वर्तमान मानदंडों के अनुसार, चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, सुनामी, ओलावृष्टि, भूस्खलन, हिमस्खलन, बादल फटना, कीटों का हमला, पाला और शीत लहर को आपदा माना जाता है जो राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (State Disaster Response Fund- SDRF) के तहत कवर किये जाते हैं, जिसके लिये केंद्र द्वारा 75% वित्तपोषण किया जाता है।
आकाशीय बिजली/तड़ित:
- परिचय:
- यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो "बादल और ज़मीन के बीच या बादलों के बीच बहुत कम अवधि एवं उच्च वोल्टेज विद्युत निर्वहन" की प्राकृतिक प्रक्रिया है, इसे तीव्र चमक, तेज़ गरज व दुर्लभ अवसरों पर तड़ितझंझा (Thunderstorms) के रूप में देखा जाता है।
- बादल और ज़मीन (Cloud-to-Ground- CG)) के बीच आकाशीय बिजली की घटना खतरनाक मानी जाती है क्योंकि इसके उच्च विद्युत वोल्टेज और करंट के कारण लोगों की जान जा सकती है। जबकि बादल में या बादलों के बीच उत्पन्न आकाशीय बिजली दृश्यमान और सुरक्षित है।
- आकाशीय बिजली की प्रक्रिया:
- आकाशीय बिजली ऊपर और नीचे के बादलों के मध्य विद्युत आवेश में अंतर के कारण उत्पन्न होती है, जो आकाशीय बिजली का एक विशाल प्रवाह प्रदर्शित करती है।
- जल वाष्प के संघनित होने पर बादल का निर्माण होता है, जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है और यह ऊष्मा पानी के अणुओं को तब तक ऊपर धकेलती रहती है जब तक कि वे बर्फ के क्रिस्टल नहीं बन जाते। बर्फ के क्रिस्टल के मध्य टकराव इलेक्ट्रॉनों के मुक्त होने के कारण है, जिसके परिणामस्वरूप एक शृंखला प्रतिक्रिया निर्मित होती है जो बादल के शीर्ष परत में धनात्मक आवेश और मध्य परत में ऋणात्मक आवेश का निर्माण करती है।
- जब आवेश में अंतर काफी अधिक हो जाता है, तो परतों के मध्य बिजली का एक विशाल प्रवाह देखा जाता है, जिससे ऊष्मा उत्पन्न होती है एवं वायु स्तंभ का विस्तार होता है तथा गड़गड़ाहट पैदा करने वाली तरंगें निर्मित होती हैं।
- आकाशीय बिजली और जलवायु परिवर्तन:
- कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के वर्ष 2015 के एक अध्ययन में विश्वविद्यालय ने आगाह किया था कि एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से बिजली गिरने की आवृत्ति में 12% की वृद्धि होगी।
- मार्च 2021 में जियोफिज़िकल रिसर्च लेटर्स में जारी एक अन्य अध्ययन में जलवायु परिवर्तन और आर्कटिक में बिजली गिरने में वृद्धि के मध्य संबंध पाया गया।
- भारत में आकाशीय बिजली:
- बिजली गिरने पर प्रकाशित लाइटनिंग रेज़िलिएंट इंडिया कैंपेन (LRIC) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अप्रैल 2020 और मार्च 2021 के मध्य बिजली गिरने की 1 करोड़ 85 लाख घटनाएँ देखी गईं।
- प्रत्येक वर्ष बिजली गिरने से 2,500 से ज़्यादा भारतीयों की मौत हो जाती है।
- दिल्ली स्थित RMSI जो भू-स्थानिक और अभियांत्रिकी समाधानों में विश्व में अग्रणी है, की एक रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में आकाशीय बिजली गिरने के कारण सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और झारखंड हैं।
- सरकारी आँकड़ों के अनुसार, वर्ष 1967 और 2019 के मध्य देश में 100,000 से अधिक लोग आकाशीय बिजली गिरने के कारण मारे गए। जो इस अवधि के दौरान प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाली सभी मौतों के एक-तिहाई से अधिक है।
आगे की राह
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: भारत को नागरिकों को आँधी के आने और बिजली गिरने के प्रति सचेत करने के लिये प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली में निवेश करना चाहिये, जैसे मौसमी रडार, लाइटनिंग डिटेक्शन नेटवर्क और स्मार्टफोन एप्लीकेशन इत्यादि।
- आकाशीय बिजली से सुरक्षा हेतु उपाय: भारत की ग्रामीण आबादी को तीव्र तथा आसान तड़ित सुरक्षा उपायों के बारे में शिक्षित करना महत्त्वपूर्ण है। इसमें घरों पर तड़ित चालक स्थापित करना, तड़ितझंझा के दौरान घर के अंदर रहना एवं सुरक्षित स्थानों पर शरण लेना आदि शामिल है।
- अनुसंधान और विकास: भारत सरकार को आकाशीय बिजली (लाइटनिंग) को बेहतर ढंग से समझने और जोखिम को कम करने के लिये प्रौद्योगिकी तरीके खोजने हेतु अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को वित्तपोषित करना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. तड़ितझंझा (Thunderstorm) के दौरान आकाश में गर्जना (Thunder) किसके द्वारा उत्पन्न होती है? (2013)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d)
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