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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रेट बैरियर रीफ में प्रवाल भित्ति की बहाली

  • 08 Aug 2022
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रेट बैरियर रीफ (GBR), कोरल, एक्रोपोरा कोरल, कोरल ब्लीचिंग।

मेन्स के लिये:

समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में प्रवाल भित्तियों का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

ऑस्ट्रेलियन इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन साइंस (AIMS) की वार्षिक दीर्घकालिक निगरानी रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी और मध्य ग्रेट बैरियर रीफ (GBR) में पिछले 36 वर्षों में प्रवाल भित्तियों के आवरण का उच्च स्तर देखा गया है।

  • शोधकर्त्ताओं ने यह भी चेतावनी दी है कि बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण यह स्थिति शीघ्र ही विपरीत भी हो सकती है।

Australia

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:

  • तीव्र पुन:प्राप्ति:
    • इसमें कहा गया है कि भित्ति प्रणाली लचीली है और बढ़ते तापमान के तनाव, चक्रवात, शिकारी आक्रमणों जैसी घटना के बाद शीघ्र ही पहले जैसी स्थिति को प्राप्त करने में सक्षम है।
    • यह पहली बार ऑस्ट्रेलियाई समुद्री विज्ञान संस्थान (AIMS) द्वारा सर्वेक्षण किये जाने के बाद से उत्तरी और मध्य ग्रेट बैरियर रीफ में क्षेत्र-व्यापी प्रवाल भित्ति के आवरण के रिकॉर्ड स्तर को दर्शाता है।
      • कठोर प्रवालों के आवरण में वृद्धि का निर्धारण करके प्रवाल भित्ति के आवरण को मापा जाता है।
  • मध्य और उत्तरी क्षेत्र में विकास:
    • उत्तरी ग्रेट बैरियर रीफ में कठोर प्रवाल आवरण 36% तक पहुँच गया था, जबकि मध्य क्षेत्र में यह 33% तक पहुँच गया था।
    • इस बीच दक्षिणी क्षेत्र में कोरल आवरण का स्तर वर्ष 2021 के 38% से गिरकर वर्ष 2022 में 34% हो गया।
  • एक्रोपोरा प्रवालों का प्रभुत्त्व:
    • पुनः प्राप्ति के उच्च स्तर को तेज़ी से बढ़ते एक्रोपोरा कोरल में वृद्धि से बढ़ावा मिला है, जो ग्रेट बैरियर रीफ में अवस्थित एक प्रमुख प्रकार है।
    • संयोग से ये तेज़ी से बढ़ने वाले प्रवालों पर्यावरणीय दबावों जैसे बढ़ते तापमान, चक्रवात, प्रदूषण, क्राउन-ऑफ-थॉर्न स्टारफिश (COTs) के हमलों के लिये भी अतिसंवेदनशील होते हैं जो कठोर प्रवालों का शिकार करते हैं।
  • निम्न प्राकृतिक आपदाएँ:
    • इसके अलावा रीफ के कुछ हिस्सों में हालिया पुनः प्राप्ति के पीछे, पिछले 12 महीनों में तीव्र तनाव के निम्न स्तर का बने रहना है जहाँ पर कोई उष्णकटिबंधीय चक्रवात नहीं आया, वर्ष 2016 और 2017 के विपरीत वर्ष 2020 एवं वर्ष 2022 में तापमान के अपेक्षाकृत कम तनाव तथा COTs के प्रकोप में कमी इसका प्रमुख कारण है।

रिपोर्ट में उठाए मुद्दे:

  • जलवायु परिवर्तन:
    • प्रवाल भित्तियों के स्वास्थ्य के लिये सबसे बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ने वाले तापमान का तनाव है, जिसके परिणामस्वरूप प्रवाल विरंजन होता है।
    • कई वैश्विक पहलों के बावजूद सदी के अंत तक समुद्र के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की भविष्यवाणी की गई है।
    • वर्ष 2021 में संयुक्त राष्ट्र के आकलन के अनुसार, अगले दशक तक विश्व के औसत तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि की आशंका है, जिस तापमान पर प्रवाल विरंजन की प्रवृत्ति बढ़ सकती है तथा इसकी पुनः प्राप्ति की दर कम हो सकती है।
  • बारंबार बड़े पैमाने पर विरंजन:
    • हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर विरंजन की घटनाएँ अधिक बार हुई हैं।
    • पहली सामूहिक विरंजन की घटना वर्ष 1998 में हुई जब अल नीनो मौसम के प्रतिरूप के कारण समुद्र की सतह गर्म हो गई, जिससे दुनिया के 8% प्रवाल नष्ट गए।
    • दूसरी घटना वर्ष 2002 में हुई थी लेकिन सबसे व्यापक और सबसे हानिकारक विरंजन की घटना वर्ष 2014 से वर्ष 2017 तक हुई।
    • AIMS द्वारा किये गए हवाई सर्वेक्षण में 47 चट्टानें शामिल थीं और इनमें से 45 भित्तियों पर प्रवाल विरंजन दर्ज किया गया था।
      • जबकि प्रवाल मृत्यु का कारण बनने के लिये कारक पर्याप्त अधिक नहीं थे, हालाँकि इसने कम विकास और प्रजनन जैसे घातक प्रभाव छोड़े।

प्रवाल भित्ति:

  • परिचय:
    • प्रवाल समुद्री अकशेरुकी या ऐसे जीव हैं जिनकी रीढ़ नहीं होती है।
    • वे पृथ्वी पर सबसे बड़ी जीवित संरचनाएँ हैं।
    • प्रत्येक प्रवाल/रीफ/मूंगे को पॉलीप कहा जाता है और ऐसे हज़ारों पॉलीप्स कॉलोनी बनाने के लिये एक साथ रहते हैं, जो तब बढ़ते हैं जब पॉलीप्स खुद की प्रतियाँ बनाने के लिये गुणन करते हैं।
  • प्रवाल दो प्रकार के होते हैं:
    • कठोर कोरल:
      • वे कठोर, सफेद प्रवाल बाह्य कंकाल बनाने के लिये समुद्री जल से कैल्शियम कार्बोनेट निकालते हैं।
      • वे एक तरह से भित्ति पारिस्थितिक तंत्र के इंजीनियर हैं और कठोर प्रवाल की सीमा को मापने के लिये प्रवाल भित्तियों की स्थिति व्यापक रूप से स्वीकृत पैमाना है।
    • नरम/सॉफ्ट कोरल:
      • ये अपने पूर्वजों द्वारा बनाए गए कंकालों और पुराने कंकालों से खुद को जोड़ लेते हैं।
      • सॉफ्ट कोरल भी वर्षों से अपने स्वयं के कंकालों को कठोर संरचना में परिवर्तित करतें हैं।
      • ये बढ़ती गुणकारी संरचनाएँ धीरे-धीरे प्रवाल भित्तियों का निर्माण करती हैं।
  • महत्त्व:
    • वे 25% से अधिक समुद्री जैवविविधता का समर्थन करते हैं, भले ही वे समुद्र तल का केवल 1% हिस्सा ग्रहण करतें हैं।
    • भित्ति द्वारा समर्थित समुद्री जीवन वैश्विक मछली पकड़ने के उद्योगों को और बढ़ावा देता है।
      • इसके अलावा प्रवाल भित्ति प्रणाली वस्तु और सेवा व्यापार एवं पर्यटन के माध्यम से वार्षिक आर्थिक मूल्य में 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डाॅलर उत्पन्न करती है।

ऑस्ट्रेलिया का ग्रेट बैरियर रीफ:

  • परिचय:
    • यह दुनिया का सबसे बड़ा रीफ सिस्टम है जो 2,300 किमी. में फैला है और इसमें लगभग 3,000 व्यक्तिगत रीफ हैं।
    • इसके अलावा यह 400 विभिन्न प्रकार के प्रवालों का आवास स्थल है, मछलियों की 1,500 प्रजातियों और 4,000 प्रकार के मोलस्क को आश्रय देता है।
  • महत्त्व:
    • कोविड-19 से पहले की अवधि में रीफ ने पर्यटन के माध्यम से सालाना 4.6 बिलियन अमेरिकी डाॅलर उत्पन्न किये और गोताखोरों एवं गाइडों सहित 60,000 से अधिक लोगों को रोज़गार दिया।

आगे की राह

  • इस अनुमान के साथ कि प्रवाल भित्तियाँ पृथ्वी पर सबसे अधिक संकटग्रस्त पारिस्थितिक तंत्रों में से हैं, कोरल रीफ पारिस्थितिक तंत्र पर मानव प्रभावों को कम करने के लिये सामाजिक स्तर के परिवर्तनों की सख्त आवश्यकता है, लेकिन अब इस पर कोई चर्चा नहीं होती है।
  • वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों (SDG 14) की उपलब्धि सुनिश्चित करने के लिये महासागर संसाधनों में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।
    • शीर्ष शिकारियों से रक्षा करने, संरक्षण के लिये प्रमुख शाकाहारी मछली प्रजातियों की पहचान करने, विनाशकारी मछली पकड़ने, नौका विहार और गोताखोरी को रोकने एवं मछली का प्रबंधन करने की अवश्यकता हैं।
      • फिर भी प्रवाल भित्तियों की रक्षा के लिये कार्बन-तटस्थ ग्रह हेतु ऊपर से नीचे तक ज़मीनी स्तर पर अधिक आक्रामक कार्रवाई और शिक्षा की आवश्यकता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल-भित्तियाँ हैं? (2014)

  1. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
  2. कच्छ की खाड़ी
  3. मन्नार की खाड़ी
  4. सुंदरबन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: A

  • भारत की तटरेखा 7,500 किलोमीटर से अधिक फैली हुई है और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु परिस्थितियों में बहुत कम प्रवाल भित्ति क्षेत्र हैं।
  • भारत में प्रमुख प्रवाल भित्तियाँ हैं;
    • मन्नार की खाड़ी; अतः कथन 3 सही है।
    • पाक खाड़ी;
    • कच्छ की खाड़ी; अतः कथन 2 सही है।
    • अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह; अतः कथन 1 सही है।
    • लक्षद्वीप द्वीप समूह।
  • लक्षद्वीप की चट्टानें एटोल हैं, जबकि अन्य सभी फ्रिंजिंग प्रवाल हैं। पैची प्रवाल देश के मध्य पश्चिमी तट के अंतर-जवारीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
  • प्रवाल भित्तियों को जीवित रहने के लिये स्वच्छ और साफ पानी, गर्म सतह के पानी और धूप की आवश्यकता होती है। चूँकि, इनमें से अधिकांश आवश्यकताएँ सुंदरबन क्षेत्र में पूरी नहीं होती हैं, इसलिए यहाँ प्रवाल भित्तियाँ नहीं पाई जाती हैं। चट्टान के विकास की अन्य बाधाएँ भारी मानसूनी बारिश और समुद्र तट पर उच्च मानव उपस्थिति हैं। अत: कथन 4 सही नहीं है। अतः विकल्प (A) सही उत्तर है।

प्रश्न. वैश्विक तापन का प्रवाल जीवन तंत्र पर प्रभाव के उदाहरणों के साथ आकलन कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2019)

स्रोत: द हिंदू

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