नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली न्यूज़


जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रेट बैरियर रीफ

  • 23 Jun 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

यूनेस्को, ग्रेट बैरियर रीफ

मेन्स के लिये:

ग्रेट बैरियर रीफ का महत्त्व एवं इसके खतरे में आने के कारण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति ने सिफारिश की है कि ऑस्ट्रेलिया के ‘ग्रेट बैरियर रीफ’ को विश्व धरोहर स्थलों की "खतरे की सूची’ में जोड़ा जाना चाहिये।

  • केवल ''खतरे की सूची'' में शामिल किये जासे से प्रतिबंध लागू नहीं होते हैं।
  • कुछ देशों ने अपनी साइटों की तरफ अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करने और उन्हें बचाने में मदद करने के लिये उन्हें इस सूची से जोड़ा है।

Great-Barrier

प्रमुख बिंदु:

इस कदम के पीछे निहित कारण:

  • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण इसे सूची में जोड़ने की सिफारिश की गई थी।
  • गंभीर समुद्री हीटवेव के कारण कोरल रीफ पारिस्थितिकी तंत्र को वर्ष 2015 के बाद से तीन प्रमुख विरंजन घटनाओं का सामना करना पड़ा है।
    • ‘रीफ 2050’ लॉन्ग-टर्म सस्टेनेबिलिटी प्लान वर्ष  2050 तक ग्रेट बैरियर रीफ की सुरक्षा और प्रबंधन के लिये ऑस्ट्रेलियाई और क्वींसलैंड सरकार की व्यापक रूपरेखा है।
    • जब कोरल तापमान, प्रकाश या पोषक तत्त्वों जैसी स्थितियों में परिवर्तन के कारण तनाव का सामना करते हैं तो वे अपने ऊतकों में रहने वाले सहजीवी शैवाल ‘जूजैंथिली’ को बाहर निकाल देते हैं, जिससे वे पूरी तरह से सफेद हो जाते हैं। इस घटना को प्रवाल विरंजन कहा जाता है।
    • समुद्री हीटवेव कई दिनों से लेकर वर्षों तक प्रतिलोम रूप से गर्म समुद्री सतह के तापमान (SST) की घटना है।

नतीजे:

  • इसने पर्यावरणीय समूहों को मज़बूत जलवायु कार्रवाई की ऑस्ट्रेलियाई सरकार की अनिच्छा को दूर करने हेतु प्रेरित किया।
  • ऑस्ट्रेलिया जो दुनिया के सबसे बड़े प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जक देशों में से एक है, मज़बूत जलवायु कार्रवाई की प्रतिबद्धता के लिये अनिच्छुक रहा है और इसने देश के जीवाश्म ईंधन उद्योगों को समर्थन देने के लिये नौकरियों को एक प्रमुख कारण के रूप में उद्धृत किया है।
    • इसने वर्ष 2015 के बाद से अपने जलवायु लक्ष्यों का अघतन नही किया है।

ग्रेट बैरियर रीफ

  • यह विश्व का सबसे व्यापक और समृद्ध प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र है, जो कि 2,900 से अधिक भित्तियों और 900 से अधिक द्वीपों से मिलकर बना है।
  • यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के उत्तर-पूर्वी तट में 1400 मील तक फैला हुआ है।
  • इसे बाह्य अंतरिक्ष से देखा जा सकता है और यह जीवों द्वारा बनाई गई विश्व की सबसे बड़ी एकल संरचना है।
  • यह समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र अरबों छोटे जीवों से मिलकर बना है, जिन्हें प्रवाल पॉलिप्स के रूप में जाना जाता है।
    • ये समुद्री पौधों की विशेषताओं को प्रदर्शित करने वाले सूक्ष्म जीव होते हैं,  जो कि समूह में रहते हैं। चूना पत्थर (कैल्शियम कार्बोनेट) से निर्मित इसका निचला हिस्सा (जिसे कैलिकल्स भी कहते हैं) काफी कठोर होता है, जो कि प्रवाल भित्तियों की संरचना का निर्माण करता है।
    • इन प्रवाल पॉलिप्स में सूक्ष्म शैवाल पाए जाते हैं जिन्हें जूजैंथिली (Zooxanthellae) कहा जाता है जो उनके ऊतकों के भीतर रहते हैं। 
  • इसे वर्ष 1981 में  विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना गया था।

कोरल की रक्षा के लिये पहल:

  • मुद्दों के समाधान के लिये कई वैश्विक पहलें की जा रही हैं, जैसे:
    • अंतर्राष्ट्रीय कोरल रीफ पहल
    • ग्लोबल कोरल रीफ मॉनीटरिंग नेटवर्क (GCRMN)
    • ग्लोबल कोरल रीफ एलायंस (GCRA)
    • ग्लोबल कोरल रीफ आर एंड डी एक्सेलेरेटर प्लेटफार्म
  • इसी तरह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत ने तटीय क्षेत्र अध्ययन (CZS) के तहत प्रवाल भित्तियों पर अध्ययन को शामिल किया है।
    • भारत में भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI), गुजरात के वन विभाग की मदद से "बायोरॉक" या खनिज अभिवृद्धि तकनीक का उपयोग करके प्रवाल भित्तियों को पुनर्स्थापित करने की प्रक्रिया का प्रयास कर रहा है।
    • देश में प्रवाल भित्तियों की रक्षा और उन्हें बनाए रखने के लिये राष्ट्रीय तटीय मिशन कार्यक्रम।

प्रवाल भित्ति:

सबसे बड़ा कोरल रीफ क्षेत्र:

  • इंडोनेशिया में दुनिया का सबसे बड़ा प्रवाल भित्ति क्षेत्र है।
  • भारत, मालदीव, श्रीलंका और छागोस में दक्षिण एशिया में सबसे अधिक प्रवाल भित्तियाँ हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड तट का ग्रेट बैरियर रीफ प्रवाल भित्तियों का सबसे बड़ा समूह है।

भारत में प्रवाल भित्ति क्षेत्र:

  • भारत में चार प्रवाल भित्ति क्षेत्र हैं: मन्नार की खाड़ी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप द्वीप समूह और कच्छ की खाड़ी।

लाभ:

  • प्राकृतिक आपदाओं से मानवता की रक्षा करती हैं।
  • पर्यटन और मनोरंजन के माध्यम से राजस्व और रोज़गार प्रदान करना।
  • मछलियों, स्टारफिश और समुद्री एनीमोन के लिये आवास प्रदान करना।

प्रयोग:

  • इनका उपयोग आभूषणों में किया जाता है।
  • कोरल ब्लॉक का उपयोग इमारतों और सड़क निर्माण के लिये किया जाता है।
  • मूंगों द्वारा आपूर्ति किये जाने वाले चूने का उपयोग सीमेंट उद्योगों में किया जाता है।

खतरा:

  • तटीय विकास, विनाशकारी मछली पकड़ने के तरीकों और घरेलू तथा औद्योगिक सीवेज से प्रदूषण जैसी मानवजनित गतिविधियों के कारण।
  • बढ़े हुए अवसादन, अति-शोषण और आवर्ती चक्रवातों के कारण।
  • तटीय क्षेत्रों में रहने वाली मानव आबादी के कारण फैलने वाले संक्रामक सूक्ष्मजीवों के कारण काली पट्टी और सफेद पट्टी जैसे प्रवाल रोग।

मैंग्रोव की भूमिका:

  • मैंग्रोव वन फिल्टर के रूप में कार्य करके और चक्रवात, तूफान तथा सुनामी से सुरक्षा प्रदान करके प्रवाल भित्ति प्रणाली की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow