भारत-रूस के बीच 100 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार लक्ष्य | 15 Nov 2024

प्रिलिम्स के लिये:

उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, उत्तरी समुद्री मार्ग, यूरोपीय संघ, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप गलियारा, यूरेशियन आर्थिक संघ, वोस्ट्रो खाता, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड, द्विपक्षीय निवेश संधि

मेन्स के लिये:

भारत-रूस संबंधों का महत्त्व, आर्थिक कूटनीति और रणनीतिक साझेदारी, भारत का व्यापार असंतुलन

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में, भारत के विदेश मंत्री और रूस के प्रथम उप प्रधान मंत्री ने नई दिल्ली में  व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग (IRIGC-TEC) पर भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग के 25वें सत्र की सह-अध्यक्षता की।

  • चर्चा में दोनों देशों के बीच व्यापार संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति और विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग पर प्रकाश डाला गया।

नोट: IGC दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग के क्षेत्रों में द्विपक्षीय प्रगति की नियमित निगरानी के लिये एक तंत्र है, जिसे वर्ष 1992 में हस्ताक्षरित व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग पर अंतर-सरकारी आयोग के समझौते द्वारा स्थापित किया गया था।

  • इसमें विविध क्षेत्रों में 14 कार्य समूह और 6 उप-समूह शामिल हैं।

IRIGC-TEC के 25वें सत्र के मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार लक्ष्य प्राप्त करना: भारत और रूस वर्ष 2030 के लक्ष्य से काफी पहले 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार लक्ष्य प्राप्त करने के प्रति आशावादी हैं।
    • दोनों पक्ष अधिक संतुलित व्यापार संबंध की आवश्यकता तथा वर्तमान बाधाओं को दूर करने के प्रयासों को स्वीकार करते हैं।
  • व्यापार और विविधीकरण में प्रगति: भारत और रूस ने भुगतान तथा रसद चुनौतियों पर काबू पाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है, भारत-रूस व्यापार का लगभग 90% अब स्थानीय या वैकल्पिक मुद्राओं में किया जाता है, जबकि शेष लेनदेन अभी भी मुक्त रूप से परिवर्तनीय मुद्राओं (अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिये व्यापक रूप से प्रयुक्त) में हो रहा है।
  • दोनों देश कच्चे तेल के अलावा कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, औद्योगिक उपकरण और प्रौद्योगिकी को भी व्यापार में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
  • व्यापार विविधीकरण पर ध्यान: दोनों देश वर्तमान असंतुलन को कम करने के लिये व्यापार में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो मुख्य रूप से रूस से भारत के बड़े पैमाने पर कच्चे तेल के आयात से प्रेरित है।
  • कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, औद्योगिक उपकरण और प्रौद्योगिकी में व्यापार के विस्तार पर ज़ोर।

    कनेक्टिविटी और प्रतिभा गतिशीलता में वृद्धि: व्यापार और लॉजिस्टिक्स में सुधार के लिये विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC), चेन्नई-व्लादिवोस्तोक गलियारे और उत्तरी समुद्री मार्ग के माध्यम से कनेक्टिविटी बढ़ाने पर विशेष महत्त्व दिया गया है।

    • बैठक में रूस की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रतिभा गतिशीलता और कौशल विकास को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया, साथ ही द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये शिक्षा और कार्यबल सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • आर्थिक सहयोग के लिये भावी कदम: कार्य समूहों और उप-समूहों को वर्ष 2030 तक की अवधि के लिये आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को अंतिम रूप देने में तेज़ी लाने का कार्य सौंपा गया।
    • एजेंडे में बाज़ार पहुँच बढ़ाना तथा सेवाओं, निवेश एवं प्रौद्योगिकी विनिमय पर चर्चा को आगे बढ़ाना शामिल है।

भारत-रूस व्यापार की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • व्यापार लक्ष्य: प्रारंभ में, भारत और रूस ने वर्ष 2025 तक द्विपक्षीय निवेश को 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर और द्विपक्षीय व्यापार को 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया था। 
    • हालाँकि, वित्त वर्ष 2023-24 के लिये द्विपक्षीय व्यापार 65.70 बिलियन अमेरिका डॉलर के अभूतपूर्व उच्च स्तर पर पहुँच गया, जिसमें भारत का निर्यात 4.26 बिलियन अमेरिका डॉलर तथा रूस से आयात 61.44 बिलियन अमेरिका डॉलर था। 
  • भारत का लक्ष्य वर्ष 2030 से पहले रूस के साथ 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार लक्ष्य हासिल करना है।
  • आयात और निर्यात: रूस से आयात में तेल और पेट्रोलियम उत्पाद, उर्वरक, खनिज, बहुमूल्य पत्थर और धातुएँ, तथा वनस्पति तेल शामिल हैं; रूस को निर्यात में फार्मास्यूटिकल्स, कार्बनिक रसायन, विद्युत मशीनरी, यांत्रिक उपकरण, तथा लोहा एवं इस्पात शामिल हैं।
  • भारत में प्रमुख रूसी निवेश: तेल और गैस, पेट्रोकेमिकल्स, बैंकिंग, रेलवे और इस्पात।
  • रूस में प्रमुख भारतीय निवेश: तेल और गैस, तथा फार्मास्यूटिकल्स।

भारत-रूस व्यापार में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • व्यापार असंतुलन: भारत को रूस के साथ लगभग 57 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार घाटे का सामना करना पड़ रहा है, जिसका मुख्य कारण रूसी कच्चे तेल का आयात है, तथा व्यापार असंतुलन रूस के पक्ष में है, क्योंकि भारत का रूस को निर्यात तुलनात्मक रूप से कम है।
  • भू-राजनीतिक कारण: अमेरिका और क्वाड के साथ भारत के बढ़ते संबंध, विशेष रूप से यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में, रूस के साथ गहन रणनीतिक सहयोग को सीमित कर सकते हैं।
  • चीन के साथ रूस के मज़बूत संबंधों से भारत और चीन के हितों में संतुलन स्थापित करने की उसकी क्षमता और कम हो गई है, जिससे बहुपक्षीय मंचों पर भारत की स्थिति कमज़ोर हो गई है।
    • प्रतिबंध और अनुपालन संबंधी मुद्दे: यूरोपीय संघ और पश्चिमी शक्तियों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों ने भारत के साथ व्यापार संबंधों को जटिल बना दिया है, और अब कुछ भारतीय कंपनियाँ भी निशाना बन रही हैं। 
      • इससे भारत के सामने कठिन स्थिति उत्पन्न हो गई है, क्योंकि उसे अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों का पालन करते हुए रूस के साथ अपने रक्षा और ऊर्जा संबंधों में संतुलन बनाए रखना है।
    • ट्रेड बास्केट में विविधता (Diverse Trade Basket): ऊर्जा वाणिज्य, विशेषकर सस्ते कच्चे तेल में वृद्धि हुई है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और ऑटो पार्ट्स जैसे उद्योगों में विविधता लाने के प्रयास सुस्त रहे हैं।
      • रूस की गिरती अंतर्राष्ट्रीय स्थिति के कारण, नए आर्थिक क्षेत्रों में भारत के साथ भागीदारी करने की उसकी क्षमता सीमित हो गई है। 
      • इसके अतिरिक्त, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य उन्नत अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत के बढ़ते आर्थिक संबंध, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी और विनिर्माण के क्षेत्र में रूस के साथ नए रणनीतिक सहयोग के अवसरों को सीमित कर रहे हैं।
  • कनेक्टिविटी परियोजनाओं में चुनौतियाँ: INSTC और चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर जैसी परियोजनाएँ भारत-रूस व्यापार महत्वाकांक्षाओं के लिये केंद्रीय हैं।
  • हालाँकि, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर जैसे अन्य संपर्क मार्गों के लिये भारत का बढ़ता उत्साह INSTC के रणनीतिक महत्त्व को कमज़ोर कर सकता है, जिससे इन पहलों के प्रदर्शन में कमी आ सकती है, जिनके लिये रूस के प्रत्यक्ष रूप से सहयोग की आवश्यकता है।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा:

  • INSTC के बारे में: INSTC 7,200 किलोमीटर लंबा बहुविधीय पारगमन मार्ग है जो हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को कैस्पियन सागर से जोड़ता है, तथा रूस के सेंट पीटर्सबर्ग से होते हुए उत्तरी यूरोप तक फैला हुआ है। 
    • इसे वर्ष 2000 में ईरान, रूस और भारत के बीच त्रिपक्षीय समझौते के तहत शुरू किया गया था।
    • यह भारत, ईरान, अज़रबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच जहाज़, रेल और सड़क मार्गों को जोड़ता है।
    • INSTC मध्य एशिया और यूरेशियाई क्षेत्र के साथ भारत की कनेक्टिविटी को बढ़ावा दे सकता है, तथा इसमें शामिल देशों के भू-रणनीतिक और आर्थिक महत्त्व का लाभ उठा सकता है।
  • सदस्यता: भारत, ईरान, रूस, अज़रबैजान, आर्मेनिया, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्की, यूक्रेन, बेलारूस, ओमान और सीरिया तथा बुल्गारिया पर्यवेक्षक राज्य के रूप में शामिल हुआ है।

भारत और रूस व्यापार चुनौतियों का समाधान किस प्रकार कर रहा है?

  • स्पेशल रूपी-वॉस्ट्रो अकाउंट फैसिलिटी: भारत ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से उत्पन्न चुनौतियों पर काबू पाने और भारतीय तथा रूसी व्यवसायों के बीच स्थानीय मुद्राओं में भुगतान की सुविधा के लिये स्पेशल रूपी-वॉस्ट्रो अकाउंट फैसिलिटी की शुरुआत की।
  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA) और निवेश: दोनों पक्ष भारत और यूरेशियन आर्थिक संघ (EEU) के बीच FTA की दिशा में कार्य कर रहे हैं, जिससे व्यापार को और अधिक सुव्यवस्थित किया जा सकेगा तथा बाधाओं को कम किया जा सकेगा।
    • अप्रैल, 2024 में मॉस्को में प्रथम द्विपक्षीय निवेश फोरम के शुभारंभ तथा द्विपक्षीय निवेश संधि पर चल रही वार्ता से अधिक आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
  • व्यावसायिक उद्यमों को सुविधाजनक बनाना: रूस ने भारत के मेक इन इंडिया कार्यक्रम में रुचि दिखाई है, जिससे संयुक्त उद्यमों और आर्थिक सहयोग के नए अवसर उत्पन्न हो सकते हैं।
  • द्विपक्षीय समझौते: दोनों देशों के बीच अधिकृत आर्थिक ऑपरेटर कार्यक्रम पर द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर व्यापार प्रक्रियाओं को सरल बनाने और व्यापारिक आदान-प्रदान को बढ़ाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
    • केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड तथा संघीय सीमा शुल्क सेवा, रूस ने आयातक देश के सीमा शुल्क प्राधिकारियों द्वारा माल निकासी के दौरान दोनों हस्ताक्षरकर्त्ताओं के विश्वसनीय निर्यातकों को पारस्परिक लाभ प्रदान करने के लिये AEO समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग: परमाणु क्षेत्र में विकास, सौर और पवन ऊर्जा उत्पादन प्रौद्योगिकी में सुधार सहित बड़े पैमाने पर ऊर्जा पहल पर विशेष ध्यान दिया गया है ।
  • रूसी व्यापार केंद्र: नई दिल्ली में रूसी व्यापार केंद्र का उद्देश्य व्यापारिक बातचीत, क्षेत्रीय मिशनों, मंचों को सुविधाजनक बनाने और विश्लेषणात्मक सहायता प्रदान करके भारत-रूस आर्थिक संबंधों को मज़बूत करना है।

निष्कर्ष:

भारत और रूस की पूरक अर्थव्यवस्थाएँ मज़बूत सहयोग की संभावनाएँ प्रदान करती हैं, भारत की वृद्धि एवं रूस के संसाधन भविष्य की साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करते हैं। जैसे-जैसे रूस एशिया और विश्व बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, दोनों देशों को आपसी लाभ के लिये संबंधों को मज़बूत करना चाहिये।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत-रूस व्यापार संबंधों का विश्लेषण कीजिये। इस साझेदारी को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख क्षेत्रों और इसे मज़बूत करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:  

प्रश्न1. हाल ही में भारत ने निम्नलिखित में से किस देश के साथ ‘नाभिकीय क्षेत्र में सहयोग क्षेत्रों के प्राथमिकीकरण और कार्यान्वयन हेतु कार्ययोजना’ नामक सौदे पर हस्ताक्षर किये हैं? (2019)

(A) जापान
(B) रूस
(C) यूनाइटेड किंगडम
(D) संयुक्त राज्य अमेरिका

उत्तर: B


मेन्स:

प्रश्न 1. भारत-रूस रक्षा समझौतों की तुलना में भारत-अमेरिका रक्षा समझौतों की क्या महत्ता है? हिंद-प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में स्थायित्व के संदर्भ में चर्चा कीजिये। (2020)