भारत-न्यूज़ीलैंड संबंध | 19 Mar 2025

प्रिलिम्स के लिये:

रायसीना डायलॉग, ऑथराइज्ड इकोनॉमिक ऑपरेटर्स म्यूचुअल रिकॉग्निशन अरेंजमेंट (AEO-MRA), हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI), डिजिटल अर्थव्यवस्था, ओपनिंग डोर टू इंडिया नीति, सैनिटरी एंड फाइटोसैनिटरी (SPS), परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (NSG) 

मेन्स के लिये :

भारत-न्यूज़ीलैंड संबंधों की मुख्य विशेषताएँ, संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

भारत की आधिकारिक यात्रा के दौरान, न्यूज़ीलैंड (NZ) के प्रधानमंत्री ने भारत के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय वार्ता की तथा भारत-न्यूज़ीलैंड संयुक्त वक्तव्य जारी किया।

  • न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री 10 वें रायसीना डायलॉग में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए और उद्घाटन को संबोधित किया।

भारत-न्यूज़ीलैंड संयुक्त वक्तव्य की मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • आर्थिक सहयोग: दोनों पक्ष न्यूज़ीलैंड की "ओपनिंग डोर टू इंडिया" की नीति के अनुसार एक संतुलित, महत्त्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते के लिये वार्ता शुरू करने पर सहमत हुए।
  • सुरक्षा सहयोग: सैन्य अभ्यास और नौसैनिक अभियानों जैसे नियमित आयोजनों के लिये रक्षा सहयोग समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए और न्यूज़ीलैंड ने भारत की हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) में शामिल होने में रुचि व्यक्त की।
  • वैश्विक सहयोग: दोनों देशों ने एक स्वतंत्र, समावेशी और स्थिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने, UNCLOS के तहत नियम-आधारित व्यवस्था और नौवहन स्वतंत्रता का समर्थन करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
  • जलवायु परिवर्तन: न्यूज़ीलैंड ने भारत के ISA के प्रति समर्थन की पुष्टि की, CDRI में शामिल हुआ, तथा सतत् विकास लक्ष्यों, पेरिस जलवायु समझौते और आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये सेंडाई फ्रेमवर्क पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की।
  • शिक्षा और खेल: वर्ष 2026 में खेल संबंधों के 100 वर्ष पूर्ण होने का जश्न मनाने की योजना के साथ, शैक्षणिक भागीदारी, छात्र आदान-प्रदान और खेल संबंधों को मज़बूत करने के लिये एक नवीनीकृत शिक्षा सहयोग व्यवस्था और एक खेल सहयोग समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए।
  • प्रवासी: दोनों नेताओं ने संबंधों को मज़बूत करने में भारतीय प्रवासियों (न्यूज़ीलैंड की जनसंख्या का 6%) की भूमिका को स्वीकार किया तथा छात्रों और पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की। 
    • भारत ने कुछ अवैध तत्त्वों द्वारा भारत विरोधी गतिविधियों को उज़ागर करते हुए न्यूज़ीलैंड में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर चिंता जताई।

New_Zealand

और पढ़ें: रायसीना डायलॉग क्या है?

भारत और न्यूज़ीलैंड एक दूसरे के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?

न्यूज़ीलैंड के लिये भारत का महत्त्व

  • आर्थिक साझेदारी का विस्तार: 1.4 बिलियन की आबादी, बढ़ता मध्यम वर्ग और विस्तारित सेवा क्षेत्र के साथ, भारत न्यूज़ीलैंड को कृषि उत्पादों, डेयरी, मांस, शराब के निर्यात और डिजिटल सेवाओं में सहयोग के महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
  • कुशल कार्यबल: भारत न्यूज़ीलैंड के लिये कुशल प्रवासियों का सबसे बड़ा स्रोत है और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, इसके IT, इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य सेवा के पेशेवर न्यूज़ीलैंड की कौशल की कमी को दूर करने में मदद करते हैं।
  • डिजिटल अर्थव्यवस्था: 880 मिलियन इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं और वैश्विक डेटा खपत में अग्रणी होने के साथ, भारत एक प्रमुख डिजिटल अर्थव्यवस्था है, जो न्यूज़ीलैंड की तकनीकी फर्मों को IT, AI, फिनटेक और डिजिटल वाणिज्य सहयोग के अवसर प्रदान करता है।
  • सामरिक सहयोग: हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत का बढ़ता प्रभाव न्यूज़ीलैंड के क्षेत्रीय स्थिरता के लक्ष्य का समर्थन करता है, तथा इसकी सामरिक स्थिति को मज़बूत करता है।

भारत के लिये न्यूज़ीलैंड का महत्त्व

  • उन्नत कृषि पद्धतियाँ: डेयरी और बागवानी में न्यूज़ीलैंड की विशेषज्ञता भारत के कृषि आधुनिकीकरण में सहायता कर सकती है, जबकि खाद्य प्रसंस्करण और रसद में सहयोग से खाद्य सुरक्षा का सुदृढ़ीकरण   होगा।
  • कौशल विकास: न्यूज़ीलैंड की उच्च स्तरीय शिक्षा भारतीय छात्रों को आकर्षित करती है, जबकि इसके व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत को अपने कौशल अंतराल का निवारण करने और रोज़गार क्षमता में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।
  • स्वच्छ ऊर्जा: जलवायु प्रौद्योगिकी और संधारणीयता में न्यूज़ीलैंड की विशेषज्ञता भारत के निम्न-कार्बन परिवर्तन में सहायक है, तथा इसकी कंपनियों को HolonIQ के इंडो-पैसिफिक क्लाइमेट टेक 100 की मान्यता प्राप्त है।
    • HolonIQ की इंडो-पैसिफिक क्लाइमेट टेक 100 सूची में प्रतिवर्ष 14 IPEF साझेदार देशों के शीर्ष जलवायु तकनीक स्टार्टअप को सम्मानित किया जाता है।
  • आकर्षक बाज़ार: न्यूज़ीलैंड का विशाल EEZ और समुद्री सुरक्षा संबंधी चिंताएँ उसे चीन के प्रशांत विस्तार के बीच भारत की निगरानी प्रणालियों, गश्ती नौकाओं और रडारों का संभावित खरीदार बनाती हैं।
    • न्यूज़ीलैंड की जैविक, संधारणीय, हस्तनिर्मित वस्तुओं की मांग भारत के प्रीमियम रेशम, ऊन और हस्तशिल्प उत्पादों के अनुरूप है।

न्यूज़ीलैंड की "ओपनिंग डोर टू इंडिया" नीति क्या है?

  • न्यूज़ीलैंड की ओपनिंग डोर टू इंडिया नीति वर्ष 2011 में भारत के साथ न्यूज़ीलैंड के आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण करने के उद्देश्य से शुरू की गई एक रणनीतिक पहल है।
  • प्रमुख घटक:

Opening_Doors_to_India_Policy

भारत-न्यूज़ीलैंड संबंधों के समक्ष कौन-सी चुनौतियाँ विद्यमान हैं?

  • अवरुद्ध FTA वार्ता: मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ता वर्ष 2010 में शुरू हुई थी, लेकिन वर्ष 2015 में भारत द्वारा न्यूज़ीलैंड के डेयरी और कृषि निर्यात पर अपने स्थानीय उद्योग की रक्षा के लिये उच्च टैरिफ लगाए जाने के कारण यह अवरुद्ध हो गई।
  • गैर-टैरिफ बाधाएँ (NTB): अंगूर, भिंडी और आम जैसे भारतीय निर्यात के समक्ष न्यूज़ीलैंड में सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी (SPS) संबंधी बाधाएँ हैं, जबकि मानकों और प्रमाणन के लिये पारस्परिक मान्यता व्यवस्था (MRA) के अभाव से व्यापार और जटिल हो जाता है।
  • व्यापार में कमी: वर्ष 2023-24 में, भारत के साथ न्यूज़ीलैंड का व्यापार केवल 1.75 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जिसमें 0.84 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात और 0.91 बिलियन अमरीकी डॉलर का आयात था।
  • सीमित बाज़ार जागरूकता: बाज़ार संबंधी जटिलताओं से न्यूज़ीलैंड के भारत के साथ व्यापार में बाधा उत्पन्न होती है, जबकि भारत न्यूज़ीलैंड को मुख्य रूप से पर्यटन स्थल की दृष्टि से देखता है जिससे नवाचार, प्रौद्योगिकी और संधारणीयता में इसकी क्षमता उपेक्षित रह जाती है।
  • भू-राजनीतिक मतभेद: न्यूज़ीलैंड की विदेश नीति ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे सहयोगियों द्वारा निर्धारित होती है, जबकि चीन पर इसकी आर्थिक निर्भरता से क्षेत्रीय सुरक्षा और व्यापार पर भारत के साथ मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं।

आगे की राह

  • FTA वार्ता पर अंतिम निर्धारण: डेयरी और टैरिफ विवादों को वार्ता के माध्यम से हल करने, प्रारंभिक फसल समझौते में विस्तार करने, तथा बागवानी, फार्मा और तकनीक में क्षेत्र-विशिष्ट सौदों पर ध्यान केंद्रित करने से व्यापार और FTA प्रगति को बढ़ावा मिल सकता है।
  • बाजार पहुँच में विस्तार: मानकों के लिये MRA को तीव्र गति से आगे बढ़ाने, तकनीकी सहयोग के माध्यम से NTB को कम करने, तथा व्यापार मेलों, व्यापार प्रतिनिधिमंडलों और कार्यशालाओं के माध्यम से बाज़ार जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • जलवायु परिवर्तन और संधारणीयता: भारत के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के लिये न्यूज़ीलैंड की जलवायु तकनीक और नवीकरणीय ऊर्जा विशेषज्ञता का पूर्ण उपयोग करना चाहिये तथा  CDRI के माध्यम से आपदा तत्परता को सुदृढ़ बनाना और सतत् कृषि एवं खाद्य सुरक्षा पर सहयोग करना चाहिये।
  • रक्षा सहयोग: क्षेत्रीय स्थिरता के लिये IPOI के अंतर्गत सहयोग में विस्तार करने, संयुक्त अभ्यास और आसूचना जानकारी साझा करने के माध्यम से समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने तथा आतंकवाद-रोधी प्रयासों में सहयोग करने की आवश्यकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत-न्यूज़ीलैंड संबंधों में प्रमुख चुनौतियों का परीक्षण कीजिये और सहयोग में सुधार करने के उपायों का सुझाव दीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. भारत-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन की महत्त्वाकांक्षाओं का मुकाबला करना नई त्रि-राष्ट्र साझेदारी AUKUS का उद्देश्य है। क्या यह इस क्षेत्र में मौज़ूदा साझेदारी का स्थान लेने जा रहा है? वर्तमान परिदृश्य में AUKUS की शक्ति और प्रभाव की विवेचना कीजिये। (2021)

प्रश्न. ‘चतुर्भुजीय सुरक्षा संवाद (क्वाड)’ वर्तमान समय में स्वयं को सैन्य गठबंधन से एक व्यापारिक गुट में रूपांतरित कर रहा है - विवेचना कीजिये। (2020)