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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय वार्ता (IPRD -2022)

  • 26 Nov 2022
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इंडो-पैसिफिक क्षेत्रीय वार्ता, भारतीय नौसेना, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, दुर्लभ पृथ्वी धातु, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश, विशेष आर्थिक क्षेत्र

मेन्स के लिये:

हिंद-प्रशांत का महत्त्व

चर्चा में  क्यों?

हाल ही में हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय वार्ता का चौथा संस्करण दिल्ली में संपन्न हुआ।

हिंद प्रशांत क्षेत्रीय संवाद (IPRD)

  • परिचय:
    • IPRD भारतीय नौसेना का एक शीर्ष स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन है।
      • वर्ष 2018 में IPRD की प्रारंभिक अवधारणा बनाई गई थी।
      • वर्ष 2020 के अपवाद के साथ जब इसे कोविड -19 के कारण स्थगित करना पड़ा, तो इस आयोजन को वर्ष 2018 में अपने प्रारंभिक वर्ष से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता रहा है।
    • नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन (NMF) नौसेना का ज्ञान भागीदार और आयोजन के प्रत्येक संस्करण का मुख्य आयोजक है।
  • वर्ष 2022 हेतु थीम:
    • हिंद-प्रशांत महासागर पहल का संचालन
  • उद्देश्य:
    • IPRD हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वर्तमान भू-राजनीति की समीक्षा करता है और अवसरों, खतरों एवं समस्याओं की पहचान करता है।
    • IPRD अपने हितों के लिये महत्त्वपूर्ण बना हुआ है क्योंकि NMF के मुख्य लक्ष्यों में से एक अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और भू-राजनीतिक कारकों का विश्लेषण करना है जो रणनीतिक रूप से भारत के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

हिंद-प्रशांत महासागर पहल (Indo-Pacific Oceans Initiative- IPOI):

  • इसे वर्ष 2019 में 14वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (East Asia Summit- EAS) में भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा प्रस्तावित किया गया था।
  • यह क्षेत्रीय सहयोग के लिये एक व्यापक और समावेशी निर्माण है जो सात परस्पर संबंधित स्तंभों पर केंद्रित है:
    • समुद्री सुरक्षा
    • समुद्री पारिस्थितिकी
    • समुद्री संसाधन
    • आपदा जोखिम में कमी और प्रबंधन
    • व्यापार-कनेक्टिविटी और समुद्री परिवहन
    • क्षमता निर्माण और संसाधन साझाकरण
    • विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शैक्षणिक सहयोग

हिंद-प्रशांत क्षेत्र:

  • परिचय:
    • हिंद-प्रशांत एक हालिया अवधारणा है। लगभग एक दशक पहले दुनिया ने हिंद-प्रशांत के बारे में बात करना शुरू किया; इसका उदय काफी महत्त्वपूर्ण रहा है।
    • इस शब्द की लोकप्रियता के पीछे के कारणों में से एक यह है कि हिंद एवं प्रशांत महासागर एक-दूसरे से रणनीतिक रूप से निकटता से जुड़े हैं।
      • साथ ही एशिया आकर्षण का केंद्र बन गया है। इसका कारण यह है कि हिंद महासागर और प्रशांत महासागर समुद्री मार्ग प्रदान करते हैं। दुनिया का अधिकांश व्यापार इन्हीं महासागरों के माध्यम से होता है।
  • महत्त्व:
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले और आर्थिक रूप से सक्रिय क्षेत्रों में से है जिसमें चार महाद्वीप शामिल हैं: एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका।
    • क्षेत्र की गतिशीलता और जीवन शक्ति स्वयं स्पष्ट है, दुनिया की 60% आबादी और वैश्विक आर्थिक उत्पादन का 2/3 भाग इस क्षेत्र को वैश्विक आर्थिक केंद्र बनाता है।
    • यह क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का एक बड़ा स्रोत और गंतव्य भी है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र दुनिया की कई महत्त्वपूर्ण एवं बड़ी आपूर्ति शृंखलाओं संबंधित है।
    • हिंद और प्रशांत महासागरों में संयुक्त रूप से समुद्री संसाधनों का विशाल भंडार है, जिसमें अपतटीय हाइड्रोकार्बन, मीथेन हाइड्रेट्स, समुद्री खनिज और पृथ्वी की दुर्लभ धातु शामिल हैं।
      • बड़े समुद्र तट और अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) इन संसाधनों के दोहन के लिये तटीय देशों को प्रतिस्पर्द्धी क्षमता प्रदान करते हैं।
      • दुनिया की कई सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थित हैं, जिनमें भारत, यू.एस.ए, चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स:

प्रश्न. नई त्रि-राष्ट्रीय साझेदारी AUKUS का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की महत्त्वाकांक्षाओं का मुकाबला करना है। क्या यह गठबंधन इस क्षेत्र में मौजूदा ‘साझेदारियों’ का स्थान लेने जा रहा है? वर्तमान परिदृश्य में AUKUS की ताकत और प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (UPSC 2021)

स्रोत: पी.आई.बी.

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