अंतर्राष्ट्रीय संबंध
16वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
- 05 Nov 2021
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, इंडो-पैसिफिक, आसियान, क्वाड, बहुपक्षवाद, साइबर सुरक्षा मेन्स के लिये:16वाँ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन की प्रमुख विशेषताएँ एवं इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने 16वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS) में भाग लिया।
16वें EAS में इंडो-पैसिफिक, दक्षिण चीन सागर, संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS), आतंकवाद और कोरियाई प्रायद्वीप तथा म्याँमार की स्थिति सहित महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
प्रमुख बिंदु
- इंडो-पैसिफिक:
- भारत के एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आसियान केंद्रीयता के सिद्धांत पर फिर से ध्यान केंद्रित करने की पुष्टि की गई।
- इसमें इंडो-पैसिफिक (AOIP) और भारत के इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI) पर आसियान आउटलुक के बीच मौजूदा तालमेल की स्थिति पर प्रकाश डाला गया।
- लचीली वैश्विक मूल्य शृंखला:
- एक लचीली वैश्विक मूल्य शृंखला के महत्त्व पर बल दिया गया और इंडो-पैसिफिक देशों को क्वाड-प्रायोजित वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।
- वर्ष 2022 के अंत तक वैश्विक आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिये क्वाड देशों (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका) की साझेदारी में भारत में वैक्सीन की कम-से-कम 1 अरब खुराक के उत्पादन में मदद करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
- आसियान कोविड-19 रिकवरी फंड के लिये भारत के 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समर्थन का आभार व्यक्त किया।
- बहुपक्षवाद:
- भारत बहुपक्षवाद, नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय कानून और सभी देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के साझा मूल्यों के प्रति सम्मान को मज़बूत करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- साइबर सुरक्षा:
- साइबर सुरक्षा पर वैश्विक मानकों को विकसित करने के लिये विचार-विमर्श भी किया गया।
- अन्य:
- EAS राजनेताओं ने मानसिक स्वास्थ्य, पर्यटन के माध्यम से आर्थिक सुधार और स्थायी सुधार पर तीन वक्तव्यों को अपनाया, जिन्हें भारत द्वारा सह-प्रायोजित किया गया है।
पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन
- परिचय:
- वर्ष 2005 में स्थापित यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समक्ष उत्पन्न होने वाली प्रमुख राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों पर रणनीतिक बातचीत एवं सहयोग हेतु 18 क्षेत्रीय नेताओं (देशों) का एक मंच है।
- वर्ष 1991 में पहली बार पूर्वी एशिया समूह की अवधारणा को तत्कालीन मलेशियाई प्रधानमंत्री, महाथिर बिन मोहम्मद (Mahathir bin Mohamad) द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
- EAS के ढांँचे में क्षेत्रीय सहयोग के छह प्राथमिकता वाले क्षेत्र शामिल हैं। जो इस प्रकार हैं- पर्यावरण और ऊर्जा, शिक्षा, वित्त, वैश्विक स्वास्थ्य मुद्दे और महामारी रोग, प्राकृतिक आपदा प्रबंधन तथा आसियान कनेक्टिविटी।
- सदस्यता:
- इसमें आसियान (दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) के दस सदस्य देशों- ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम के साथ 8 अन्य देश- ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, भारत, न्यूज़ीलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस एवं संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
- यह आसियान देशों पर केंद्रित एक मंच है, इसलिये इसकी अध्यक्षता केवल आसियान सदस्य ही कर सकता है।
- वर्ष 2021 के लिये इसकी अध्यक्षता ब्रुनेई दारुस्सलाम (Brunei Darussalam) के पास है।
- पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और प्रक्रियाएँ:
- पूर्वी एशिया शिखर (EAS) सम्मेलन की वार्षिक सूची नेताओं के शिखर सम्मेलन के साथ समाप्त होती है, जिसका आयोजन आमतौर पर प्रत्येक वर्ष की चौथी तिमाही में आसियान नेताओं की बैठकों के साथ किया जाता है।
- EAS विदेश मंत्रियों और आर्थिक मंत्रियों (Economic Ministers) की बैठकें भी प्रतिवर्ष आयोजित की जाती हैं।
- भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन:
- भारत पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के संस्थापक सदस्यों में से एक है।
- भारत ने नवंबर 2019 में बैंकॉक में आयोजित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत की इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI) का अनावरण किया था, जिसका उद्देश्य एक सुरक्षित और स्थिर समुद्री डोमेन या अधिकार क्षेत्र के निर्माण के लिये भागीदार बनाना है।
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स