भारत-जापान रक्षा नीति संवाद | 08 Apr 2023
प्रिलिम्स के लिये:भारत-जापान रक्षा अभ्यास, G-20, QUAD, G-4 मेन्स के लिये:भारत-जापान रक्षा नीति संवाद का महत्त्व, भारत-जापान संबंधों में चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
भारत के रक्षा सचिव और जापान के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के रक्षा उप-मंत्री ने नई दिल्ली में 7वीं भारत-जापान रक्षा नीति वार्ता की सह-अध्यक्षता की।
प्रमुख बिंदु:
- परिचय: यह रक्षा नीति संवाद द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर चर्चा करने के लिये भारत और जापान के बीच एक संस्थागत तंत्र है।
- इस बैठक का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करना है।
- 7वें संवाद की मुख्य विशेषताएँ:
- दोनों देशों ने रक्षा प्रौद्योगिकियों और उपकरणों के साथ-साथ सेवा स्तर की व्यवसायों और अभ्यासों में सहयोग पर चर्चा की।
- जापान के उप-मंत्री ने हाल ही में जारी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति और राष्ट्रीय रक्षा रणनीति से संबंधित नवीनतम नीति प्रस्तुत किया।
- दोनों देशों ने स्टाफ वार्ता और अभ्यास के माध्यम से सेवाओं के बीच बढ़ते सहयोग की सराहना की।
- उन्होंने जनवरी 2023 में जापान में पहले लड़ाकू अभ्यास "वीर गार्जियन" आयोजित करने के लिये भारतीय वायु सेना और जापानी वायु आत्मरक्षा बल की सराहना की।
- रक्षा सचिव ने दोनों देशों को संबंधित रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को और प्रगाढ़ बनाने के लक्ष्य की ओर अग्रसर होने पर विशेष बल दिया।
- 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत जापानी रक्षा उद्योगों को भारत में निवेश के लिये आमंत्रित किया गया था।
- दोनों पक्ष रक्षा क्षेत्र और साइबर जैसे नए और उभरते क्षेत्र में सहयोग में विविधता लाने पर सहमत हुए।
- दोनों देशों ने रक्षा प्रौद्योगिकियों और उपकरणों के साथ-साथ सेवा स्तर की व्यवसायों और अभ्यासों में सहयोग पर चर्चा की।
भारत और जापान के बीच संबंध:
- रक्षा सहयोग: जापान उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत का 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद है।
- भारत और जापान के रक्षा बल भी विभिन्न द्विपक्षीय अभ्यास का आयोजन करते हैं जैसे:
- JIMEX (नौसेना), मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास), 'वीर गार्जियन' और शिन्यू मैत्री (वायु सेना), और धर्म गार्जियन (सेना)।
- सामान्य समूह:
- भारत और जापान दोनों क्वाड, G20 और G-4, इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) के सदस्य हैं।
- भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम 2017 में स्थापित किया गया था जिसका उद्देश्य भारत की "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" और जापान की "फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी" के तहत भारत-जापान सहयोग के लिये एक मंच प्रदान करना है।
- निवेश और ODA:
- भारत विगत् दशकों से जापान की आधिकारिक विकास सहायता (ODA) ऋण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता रहा है।
- दिल्ली मेट्रो ODA के उपयोग के माध्यम से जापानी सहयोग के सबसे सफल उदाहरणों में से एक है।
- भारत का वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) प्रोजेक्ट जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी द्वारा प्रदान किये गए सॉफ्ट लोन द्वारा वित्त पोषित है।
- जापान और भारत संयुक्त रूप से भारत में एक हाई-स्पीड रेलवे बनाने के लिये प्रतिबद्ध है।
- भारत विगत् दशकों से जापान की आधिकारिक विकास सहायता (ODA) ऋण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता रहा है।
- आर्थिक संबंध: वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत के साथ जापान का द्विपक्षीय व्यापार कुल 20.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। वर्ष 2020 में भारत जापान का 18वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार और जापान भारत का 12वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
- भारत-जापान डिजिटल साझेदारी: IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स), AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और अन्य अन्य उभरती प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं के प्रचार के माध्यम से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ाने की दृष्टि से "भारत-जापान डिजिटल साझेदारी" के लिये चर्चा चल रही है।
- जापान जापानी सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी क्षेत्र में योगदान करने के लिये अधिक कुशल भारतीय आईटी पेशेवरों को आकर्षित करने की आशा कर रहा है।
- सामरिक स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी: इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरी सहित भंडारण प्रणालियों, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग संबंधी अवसंरचनात्मक ढाँचे, सौर ऊर्जा का विकास, हाइड्रोजन, अमोनिया आदि क्षेत्रों में सहयोग के लिये।
- डिजिटल पार्टनरशिप के साथ-साथ 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भी इसकी घोषणा की गई।
रक्षा सहयोग से संबंधित चुनौतियाँ
- चीन कारक: जबकि दोनों देशों ने चीन के प्रभाव के प्रति संतुलन के रूप में अपने संबंधों को मज़बूत करने की मांग की है। चीन से निपटने के लिये उनके दृष्टिकोण अलग-अलग हैं।
- चीन के गतिविधियों की आलोचना में भारत अधिक मुखर रहा है, जबकि जापान अपने दृष्टिकोण में अधिक सतर्क रहा है।
- रक्षा निर्यात: भारत अन्य देशों को रक्षा उपकरण बेचने की मांग करके जापान के अपने रक्षा निर्यात के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने का प्रयास कर रहा है।
- अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता का प्रभाव: चीनी-अमेरिकी प्रतिद्वंद्विता की तीव्रता हिंद-प्रशांत में क्षेत्रीय सुरक्षा में को संकट में डालती है।
आगे की राह
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षित आधिपत्य (अमेरिका और चीन) की स्थापना को रोकने हेतु भारत और जापान को अपनी सैन्य रणनीति का आधुनिकीकरण करना चाहिये, साथ ही अपने साझा हितों को मज़बूत करना चाहिये।
- अधिक सहयोग एवं सहभागिता दोनों देशों हेतु फायदेमंद साबित हो सकता है। मेक इन इंडिया को लेकर भी काफी संभावनाएँ हैं।
- भारतीय कच्चे माल और श्रम के साथ जापानी डिजिटल प्रौद्योगिकी का विलय करके संयुक्त उद्यम बनाए जा सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से किस एक समूह में G20 के सभी चार देश सदस्य हैं? (2020) (a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की उत्तर: (a) व्याख्या:
अतः विकल्प (a) सही है |