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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-जापान शिखर बैठक, 2022

  • 22 Mar 2022
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-जापान संबंध, क्वाड ग्रुपिंग, व्यापक परमाणु-परीक्षण-प्रतिबंध संधि।

मेन्स के लिये:

भारत-जापान संबंधों का महत्त्व।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में जापानी प्रधानमंत्री द्वारा दोनों देशों (जापान और भारत) के बीच 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर बैठक (India-Japan Annual Summit) के लिये भारत की आधिकारिक यात्रा की गई।

  • इस शिखर बैठक का आयोजन ऐसे महत्त्वपूर्ण समय पर हुआ जब दोनों देश अपने द्विपक्षीय राजनयिक संबंधों की स्थापना की 70वीं वर्षगांँठ मना रहे हैं और साथ ही भारत अपनी स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांँठ मना रहा है।
  • इससे पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री ने गुजरात के अहमदाबाद मैनेजमेंट एसोसिएशन (AMA) में एक जापानी 'ज़ेन गार्डन- काइज़न अकादमी' (Zen Garden- Kaizen Academy) का उद्घाटन किया।

Japan

प्रमुख बिंदु 

शिखर बैठक के प्रमुख बिंदु: 

  • जापान द्वारा निवेश:
    • जापान द्वारा भारत में अगले पांँच वर्षों में 3.2 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
    • जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (Japan International Cooperation Agency- JICA) द्वारा विभिन्न राज्यों में कनेक्टिविटी, जल आपूर्ति और सीवरेज, बागवानी, स्वास्थ्य देखभाल तथा जैव विविधता संरक्षण परियोजनाओं हेतु ऋण उपलब्ध कराया जाएगा।
      • जापानी कंपनियों द्वारा विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल उपचार हेतु भारत में जोहकासौ प्रौद्योगिकी (Johkasou technology) शुरू करने के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इसका उपयोग उन क्षेत्रों में किया जाता है जहांँ सीवेज का बुनियादी ढांँचा विकसित नहीं हुआ है।
  • भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिये सतत् विकास पहल:
    • इसे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बुनियादी ढांँचे के विकास पर नज़र रखने हेतु लॉन्च किया गया है, इसके अलावा इसमें चल रही परियोजनाओं और कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य देखभाल, नई एवं नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में संभावित भविष्य के सहयोग के साथ-साथ बांँस मूल्य शृंखला को मज़बूत करने के लिये भी एक पहल शामिल है।
  • भारत-जापान डिजिटल साझेदारी:
    • दोनों देशों द्वारा साइबर सुरक्षा पर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देते हुए  डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के उद्देश्य से "भारत-जापान डिजिटल साझेदारी" पर चर्चा की गई।
    • जापान द्वारा अपने आईसीटी क्षेत्र में कुशल भारतीय आईटी पेशेवरों को शामिल करने की  आशा व्यक्त की गई है।
  • स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी:
    • इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरी सहित स्टोरेज सिस्टम, इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग से संबंधित बुनियादी ढांँचे, सौर ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन/अमोनिया सहित स्वच्छ पवन ऊर्जा से संबंधित योजनाओं पर विचारों का आदान-प्रदान और कार्बन रीसाइक्लिंग जैसे क्षेत्रों में सतत् आर्थिक विकास करने की दिशा में सहयोग हेतु भारत-जापान स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी (India-Japan Clean Energy Partnership- CEP) का स्वागत किया गया।
    • इसका उद्देश्य भारत में विनिर्माण को प्रोत्साहित करना, इन क्षेत्रों में लचीलापन और भरोसेमंद आपूर्ति शृंखलाओं के निर्माण के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकासमें सहयोग को बढ़ावा देना है।
    • इसे एनर्जी डायलॉग (Energy Dialogue) के मौजूदा मैकेनिज़्म के माध्यम से लागू किया जाएगा।
  • मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल (MAHSR):
    • भारत द्वारा MAHSR और भारत में विभिन्न मेट्रो परियोजनाओं पर जापान के सहयोग की सराहना की गई एवं पटना मेट्रो के लिये योजनाबद्ध प्रारंभिक सर्वेक्षण की आशा की गई।
  • लोगों के मध्य जुड़ाव:
    • भारतीय प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश तथा दोनों देशो के लोगों के मध्य  संबंधों को औरअधिक मज़बूत करने एवं व्यापक बनाने के लिये एक्सपो 2025 ओसाका, कंसाई, जापान ( Expo 2025 Osaka, Kansai, Japan) में भारत की भागीदारी की पुष्टि की।
  •  हिंद-प्रशांत क्षेत्र: 
    • दोनों देशों के नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की।
  • क्वाड:
    • दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने भारत-ऑस्ट्रेलिया-जापान और अमेरिका के बीच क्वाड ग्रुपिंग (QUAD Grouping) सहित क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय साझेदारी के महत्त्व की पुष्टि की।
    • जापानी प्रधानमंत्री द्वारा टोक्यो में होने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन की बैठक में पीएम मोदी को आमंत्रित किया गया।
  • आतंकवाद:
    • दोनों देश के प्रमुखों द्वारा 26/11 मुंबई और पठानकोट हमलों सहित भारत में आतंकवादी हमलों की निंदा की गई और पाकिस्तान से अपने क्षेत्र से बाहर संचालित आतंकवादी नेटवर्क के खिलाफ दृढ़ और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करने तथा वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force-FATF) सहित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह से पालन करने का आह्वान किया गया।
  • व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT):
    • जापानी प्रधानमंत्री द्वारा व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty- CTBT) के समूह में शीघ्र शामिल होने के महत्त्व पर बल दिया गया।
      • संधि का उद्देश्य हर जगह सभी के द्वारा सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाना है। संधि के अनुबंध 2 में सूचीबद्ध सभी 44 राज्यों द्वारा इसकी पुष्टि करने के बाद यह लागू हो जाएगा।
      • भारत ने अभी तक संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
  • अन्य देशों में स्थिति:
    • यूक्रेन: रूस- यूक्रेन संघर्ष पर वार्ता करते हुए अंतर्राष्ट्रीय कानून के आधार पर शांतिपूर्ण समाधान की मांग की गई।
    • चीन: भारत ने जापान को लद्दाख की स्थिति तथा वहाँ सैनिकों को इकट्ठा करने के प्रयासों और सीमा संबंधी मुद्दों पर चीन के साथ भारत की बातचीत के बारे में सूचित किया।
      • जापान के पीएम ने भारत को पूर्वी और दक्षिण चीन सागर के बारे में अपने दृष्टिकोण से भी अवगत कराया।
    • अफगानिस्तान:
      • अफगानिस्तान में प्रधानमंत्री ने शांति और स्थिरता स्थापित करने के लिये सहयोग करने की अपनी मंशा व्यक्त की तथा मानवीय संकट को संबोधित करने, मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और वास्तव में एक प्रतिनिधि एवं समावेशी राजनीतिक प्रणाली की स्थापना सुनिश्चित करने के महत्त्व पर बल दिया।
      • उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जो स्पष्ट रूप से “आतंकवादी कृत्यों में शामिल लोगों को आश्रय, प्रशिक्षण, योजना बनाने या वित्तपोषण के लिये अफगान क्षेत्र का उपयोग न करने” की मांग करता है।
  • उत्तर कोरिया: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों (UNSCRs) का उल्लंघन करते हुए उत्तर कोरिया की बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण की दोनों प्रधानमंत्रियों ने निंदा की।
  • म्याँमार: उन्होंने म्याँमार से आसियान की पाँच सूत्री सहमति को तत्काल लागू करने का आह्वान किया।

विगत वर्षों के प्रश्न 

निम्नलिखित में से किस स्थान पर अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर (ITER) परियोजना का निर्माण किया जाना है? (2008)

(a) उत्तरी स्पेन
(b) दक्षिणी फ्राँस
(c) पूर्वी जर्मनी
(d) दक्षिणी इटली

उत्तर: (b)

भारत और जापान के बीच अन्य हालिया घटनाक्रम:

  • भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया द्वारा हाल ही में चीन के आक्रामक राजनीतिक और सैन्य व्यवहार के मद्देनज़र चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिये एक त्रिपक्षीय ‘सप्लाई चेन रेज़ीलिएंस इनीशिएटिव’ (SCRI) शुरू करने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है।
  • वर्ष 2020 में भारत और जापान ने एक रसद समझौते पर हस्ताक्षर किये थे, जो दोनों देशों के सशस्त्र बलों को सेवाओं और आपूर्ति में समन्वय स्थापित करने की अनुमति देगा। इस समझौते को ‘अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते’ (ACSA) के रूप में जाना जाता है।
  • वर्ष 2014 में भारत और जापान ने 'विशेष रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी' के क्षेत्र में अपने संबंधों को उन्नत किया था।
  • अगस्त 2011 में लागू ‘भारत-जापान व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता’ (CEPA) वस्तुओं और सेवाओं के व्यापार, निवेश, बौद्धिक संपदा अधिकार, सीमा शुल्क प्रक्रियाओं तथा व्यापार से संबंधित अन्य मुद्दों को शामिल करता है।
    • जापान, भारत का 12वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है तथा दोनों देशों के बीच व्यापार की मात्रा भारत-चीन द्विपक्षीय व्यापार का सिर्फ पाँचवाँ हिस्सा है।
  • रक्षा अभ्यास: भारत और जापान के रक्षा बलों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय अभ्यासों का आयोजन किया जाता है, जिसमें JIMEX (नौसेना), SHINYUU मैत्री (वायु सेना), और धर्म गार्जियन (थल सेना) आदि शामिल हैं। दोनों देश संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास) में भी भाग लेते हैं।
  • भारत और जापान दोनों ही G-20 और G-4 के सदस्य हैं।
  • वे इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) के सदस्य देश भी हैं।

विगत वर्षों के प्रश्न

निम्नलिखित में से कौन से समूह में G20 के सदस्य सभी चार देश शामिल हैं?

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया और न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब और वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a)

आगे की राह

  • अधिक सहयोग और सहभागिता दोनों देशों के लिये फायदेमंद साबित हो सकती है, क्योंकि भारत को जापान से परिष्कृत तकनीक की आवश्यकता है।
  • ‘मेक इन इंडिया’ के क्षेत्र में बहुत बड़ी संभावना है। भारतीय कच्चे माल और श्रम के साथ जापानी डिजिटल प्रौद्योगिकी का विलय करके संयुक्त उद्यम बनाए जा सकते हैं।
  • भौतिक के साथ-साथ डिजिटल स्पेस में एशिया और इंडो-पैसिफिक में चीन के बढ़ते प्रभुत्व से निपटने के लिये दोनों देशों के बीच करीबी सहयोग सबसे अच्छा उपाय है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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