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प्रिलिम्स फैक्ट्स: 26 सितंबर, 2020

  • 26 Sep 2020
  • 11 min read

जिमेक्स 20

JIMEX 20

26 से 28 सितंबर, 2020 के मध्य उत्तरी अरब सागर में भारत-जापान के मध्य द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास ‘जिमेक्स 20’ (JIMEX 20) के चौथे संस्करण का आयोजन किया जा रहा है।   

Jimex-20

प्रमुख बिंदु: 

  • यह नौसैनिक अभ्यास भारतीय नौसेना एवं जापानी समुद्री आत्म-रक्षा बल (Japanese Maritime Self-Defense Force- JMSDF) के बीच द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है।
  • अक्तूबर, 2018 में जिमेक्स (JIMEX) के तीसरे संस्करण को भारत के विशाखापत्तनम में आयोजित किया गया था।

भारत-जापान नौसैनिक सहयोग:  

  • भारत और जापान के बीच नौसेना सहयोग पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है।
  • भारत और जापान के मध्य जनवरी, 2012 में समुद्री सुरक्षा सहयोग पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ जिमेक्स (JIMEX) श्रृंखलाओं की शुरुआत हुई थी।

‘जिमेक्स 20’ (JIMEX 20):

  • JIMEX 20 समुद्री संचालन के क्षेत्र में उन्नत अभ्यासों के माध्यम से उच्च-संचालन एवं संयुक्त परिचालन कौशल का प्रदर्शन करेगा।
  • COVID-19 के मद्देनज़र तीन दिनों तक चलने वाले JIMEX 20 का आयोजन ‘नॉन-कॉन्टैक्ट एट-सी-ओनली फॉर्मेट’ (Non-contact at-sea-only Format) के आधार पर आयोजित किया जा रहा है। 

महत्त्व:

  • JIMEX 20 दोनों नौसेनाओं के बीच सहयोग एवं आपसी विश्वास को और बढ़ाएगा तथा दोनों देशों के बीच लंबे समय तक आपसी सहयोग को मज़बूत करेगा।


फेम इंडिया स्कीम

FAME India Scheme

इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए भारत सरकार ने ‘फेम इंडिया योजना (FAME India Scheme) के दूसरे चरण के तहत महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात एवं चंडीगढ़ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 670 इलेक्ट्रिक बसों और मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गुजरात एवं पोर्ट ब्लेयर में 241 चार्जिंग स्टेशनों को मंज़ूरी दी है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत सरकार के इस निर्णय का उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना एवं वाहनों से प्रदूषक उत्सर्जन की समस्‍या से निपटना है। 
  • भारत सरकार के भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय के अंतर्गत भारी उद्योग विभाग (Department of Heavy Industries) अप्रैल, 2015 से ही ‘फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल स्‍कीम’ अर्थात् ‘फेम इंडिया योजना’ का संचालन कर रहा है ताकि देश में इलेक्ट्रिक/ हाइब्रिड वाहनों के अपनाए जाने को प्रोत्‍साहित किया जा सके।
  • इस योजना के पहले चरण में 31 मार्च, 2019 तक लगभग 2,80,987 हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहनों को मांग प्रोत्साहन के माध्यम से लगभग 359 करोड़ रुपए की सहायता दी गई थी।  
  • इसके अलावा भारी उद्योग विभाग (Department of Heavy Industries) ने देश के विभिन्न शहरों में लगभग 280 करोड़ रुपए की लागत वाली 425 इलेक्ट्रिक एवं हाइब्रिड बसों को मंज़ूरी दी है।
  • फेम इंडिया योजना के पहले चरण के तहत भारी उद्योग विभाग ने बंगलूरु, चंडीगढ़, जयपुर एवं दिल्ली एनसीआर जैसे शहरों में करीब 43 करोड़ रुपए की लागत से 520 चार्जिंग स्टेशन स्‍थापित करने को भी मज़ूरी दी थी।
  • वर्तमान में फेम इंडिया योजना के दूसरे चरण को 3 वर्ष की अवधि के लिये लागू किया जा रहा है। इसे कुल 10,000 करोड़ रुपए के बजटीय आवंटन के साथ 01 अप्रैल, 2019 से प्रभावी किया गया है।
    • इस चरण के तहत सार्वजनिक एवं साझा परिवहन के विद्युतीकरण पर ध्‍यान केंद्रित किया गया है। साथ ही लगभग 7000 ई-बसों, 5 लाख ई-तिपहिया वाहनों, 55000 ई-यात्री कारों और 10 लाख ई-दोपहिया वाहनों के लिये सब्सिडी के ज़रिये समर्थन करने का लक्ष्य रखा गया है। 
      • इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोगकर्त्ताओं के बीच बुनियादी ढाँचे को लेकर चिंता को दूर करने के लिये उसके निर्माण पर भी ध्‍यान केंद्रित किया गया है।


दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना

Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana

25 सितंबर, 2020 को अंत्योदय दिवस के अवसर पर भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (Deen Dayal Upadhyaya Grameen Kaushalya Yojana- DDU-GKY) का स्थापना दिवस मनाया।

DDU-GKY

प्रमुख बिंदु:

  • इस योजना के माध्यम से अब तक 10.51 लाख युवाओं को प्रशिक्षित कर 6.65 लाख युवाओं को सफलतापूर्वक रोज़गार से जोड़ा गया है।

एग्रीप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (Agripreneurship Program):

  • इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री ने ‘एग्रीप्रेन्योरशिप प्रोग्राम’ (Agripreneurship Program) का उद्घाटन किया तथा इस कार्यक्रम के दौरान निम्नलिखित का विमोचन किया।
    • DDU-GKY के तहत कैप्टिव इम्प्लॉयमेंट (Captive Employment) के दिशा-निर्देश
    • एकीकृत कृषि क्लस्टर (Integrated Farming Cluster) के प्रोत्साहन के लिये दिशा-निर्देश
    • DDU-GKY के उम्मीदवारों की सफलता की कहानियों का संग्रह
  • दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) के स्थापना दिवस को ‘कौशल से कल बदलेंगे’ कार्यक्रम के रूप में मनाया गया है।
  • दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDU-GKY) गरीब ग्रामीण युवाओं को नौकरियों में नियमित रूप से न्यूनतम मज़दूरी के बराबर या उससे अधिक मासिक मज़दूरी प्रदान करने का लक्ष्य रखती है। 
    • यह ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने के लिये की गई पहलों में से एक है।


M87 आकाशगंगा 

M87 Galaxy

अप्रैल, 2019 में ‘इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप’ (Event Horizon Telescope- EHT) ने एक ब्लैक होल की पहली प्रत्यक्ष छवि जारी की। यह छवि M87 आकाशगंगा (M87 Galaxy) में सुपरमैसिव ब्लैक होल की एक रेडियो इमेज़ थी।

Black-hole-appearance

प्रमुख बिंदु:

Event-Horizon

  • बहुत सी गुरुत्त्वाकर्षण केंद्रित रेडियो प्रकाश छवियाँ पृथ्वी की ओर केंद्रित थी किंतु ब्लैक होल के पास गैस एवं धूल से उत्सर्जित कुछ प्रकाश भी मौजूद था। 
  • इस घटना को वैज्ञानिकों ने ‘इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप’ (Event Horizon Telescope- EHT) के माध्यम से देखा है। 
    • अधिकांश ब्लैक होल्स का अवलोकन संबंधी डेटा वर्ष 2017 के बाद से एकत्र किया गया है किंतु कुछ वेधशालाएँ वर्ष 2009 से अवलोकन कर रही थीं।
      • इसका मतलब है कि हमारे पास एक दशक से अधिक की छवियाँ मौजूद हैं, हालाँकि शुरुआती छवियाँ बहुत अधिक धुँधली हैं।
    • यदि हम ब्लैक होल की एक स्पष्ट छवि को कैप्चर कर सकते हैं तो यह प्रकाश की पतली रिंग के रूप में दिखाई देगा।
      • रिंग जैसी दिखने वाली छवि का गठन ब्लैक होल के किनारों पर प्रकाश की मौजूदगी के कारण होता है जो सीधे पृथ्वी की ओर केंद्रित होती है।
    • ब्लैक होल के घूमने के कारण रिंग का एक किनारा हमेशा दूसरे की तुलना में चमकदार होता है।
  • एक दशक के डेटा का अवलोकन करने पर पता चलता है कि समय के साथ रिंग का आकार भी बदलता रहता है।
  • वर्ष 2021 में दो और रेडियो वेधशालाएँ ‘इवेंट होराइज़न टेलीस्कोप’ में शामिल हो जाएंगी जो हमें ब्लैक होल के बारे में अधिक स्पष्ट जानकारी देंगी।

ब्लैक होल:

  • ब्लैक होल शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने 1960 के दशक के मध्य में किया था।
  • ब्लैक होल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्व बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता। चूँकि इनसे प्रकाश बाहर नहीं निकल सकता, अतः हमें ब्लैक होल दिखाई नहीं देते, वे अदृश्य होते हैं।
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