अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-जापान रक्षा संबंध
- 14 Sep 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक, अभ्यास मिलन (MILAN), मालाबार अभ्यास। मेन्स के लिये:भारत-जापान संबंध। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और जापान ने सुरक्षा एवं सहयोग के लिये टोक्यो में 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की।
प्रमुख बिंदु
- रक्षा सहयोग बढ़ाना: दोनों देश काउंटरस्ट्राइक/जवाबी कार्यवाही क्षमताओं सहित राष्ट्रीय रक्षा के लिये आवश्यक सभी विकल्पों की जाँच कर रहे हैं और अपनी क्षमताओं को मज़बूत करने हेतु अपने रक्षा बजट में पर्याप्त वृद्धि करेंगे।
- चूँकि ज़्यादातर पड़ोसी देशों को चीन से बढ़े हुए सुरक्षा खतरों से निपटने की ज़रूरत है।
- समुद्री सहयोग बढ़ाना: समुद्री क्षेत्र में जागरूकता सहित समुद्री सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर व्यापक चर्चा हुई जिसमें भारत की क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास (Security and Growth for All in the Region-SAGAR) का समावेशी दृष्टिकोण शामिल है।
- वैश्विक सहयोग: दोनों देशों ने स्वीकार किया कि सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये पहले से कहीं अधिक वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।
- इसके अलावा इस बात पर दोनों पक्षों में सर्वसम्मति है कि राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के आधार पर स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित एवं समावेशी हिंद-प्रशांत के लिये मज़बूत भारत-जापान संबंध बहुत महत्त्वपूर्ण है।
टू-प्लस-टू वार्ता:
- 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता दोनों देशों के बीच उच्चतम स्तरीय संस्थागत तंत्र (Highest-Level Institutional Mechanism) है।
- यह संवाद का एक प्रारूप है जहांँ रक्षा/विदेश मंत्री या सचिव दूसरे देश के अपने समकक्षों से मिलते हैं।
- भारत का चार प्रमुख रणनीतिक साझेदारों- अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और रूस के साथ 2+2 संवाद है।
जापान-भारत संबंध:
- रक्षा अभ्यास:
- भारत और जापान के रक्षा बल द्विपक्षीय अभ्यासों की शृंखला आयोजित करते हैं, जैसे कि जिमेक्स (नौसेना), शिन्यू मैत्री (वायुसेना) और अभ्यास धर्म गार्जियन आदि।
- बहुपक्षीय अभ्यास मिलन (MILAN) में पहली बार जापान की भागीदारी और मार्च, 2022 में आपूर्ति एवं सेवा समझौते के पारस्परिक प्रावधान का संचालन रक्षा सहयोग की प्रगति में मील का पत्थर है।
- दोनों देश संयुक्त राज्य अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ मालाबार अभ्यास (नौसेना अभ्यास) में भी भाग लेते हैं।
- बहुपक्षीय समूह:
- भारत और जापान दोनों ही क्वाड, जी20 और जी-4 के सदस्य हैं।
- वे इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) के भी सदस्य देश हैं।
- स्वास्थ्य सेवा:
- भारत के ‘आयुष्मान भारत कार्यक्रम’ और जापान के ‘AHWIN’ कार्यक्रम के लक्ष्यों एवं उद्देश्यों के बीच समानता एवं ताल-मेल को देखते हुए दोनों पक्षों ने ‘आयुष्मान भारत’ के लिये AHWIN के आख्यान के निर्माण हेतु परियोजनाओं की पहचान करने के लिये एक-दूसरे के साथ परामर्श किया।
- निवेश और ODA:
- पिछले कुछ दशकों से भारत जापान की आधिकारिक विकास सहायता (Official Development Assistance- ODA) ऋण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा है।
- दिल्ली मेट्रो ODA के उपयोग के माध्यम से जापानी सहयोग के सबसे सफल उदाहरणों में से एक है।
- भारत की वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) परियोजना को ‘आर्थिक भागीदारी के लिये विशेष शर्त’ (Special Terms for Economic Partnership- STEP) के तहत जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी द्वारा प्रदत्त सॉफ्ट लोन द्वारा वित्तपोषित किया गया है।
- इसके अलावा जापान और भारत ने जापान की शिंकानसेन प्रणाली (Shinkansen System) को भारत में लाते हुए एक हाई-स्पीड रेलवे के निर्माण के लिये प्रतिबद्धता जताई है।
- भारत जापान परमाणु समझौता 2016 भारत को दक्षिण भारत में छह परमाणु रिएक्टर बनाने में मदद करेगा, जिससे वर्ष 2032 तक देश की परमाणु ऊर्जा क्षमता दस गुना तक बढ़ जाएगी।
- पिछले कुछ दशकों से भारत जापान की आधिकारिक विकास सहायता (Official Development Assistance- ODA) ऋण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता रहा है।
- आर्थिक संबंध:
- वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत के साथ जापान का द्विपक्षीय व्यापार कुल 20.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा।
- भारत को जापान का निर्यात भारत के कुल आयात का 2.35% था और जापान को भारत का निर्यात भारत के कुल निर्यात का 1.46% था। यह रेखांकित करता है कि एक बड़ी संभावना बनी हुई है।
- भारत जापान के लिये 18वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था और जापान वर्ष 2020 में भारत के लिये 12वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
- वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान भारत के साथ जापान का द्विपक्षीय व्यापार कुल 20.57 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा।
- 14वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन, 2022 के दौरान घटनाक्रम:
- भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिये सतत् विकास पहल:
- इसे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में बुनियादी ढांँचे के विकास पर नज़र रखने हेतु लॉन्च किया गया है, इसके अलावा इसमें चल रही परियोजनाओं और कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य देखभाल, नई एवं नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में संभावित भविष्य के सहयोग के साथ-साथ बांँस मूल्य शृंखला को मज़बूत करने के लिये भी एक पहल शामिल है।
- भारत-जापान डिजिटल साझेदारी:
- दोनों देशों द्वारा साइबर सुरक्षा पर इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देते हुए डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के उद्देश्य से "भारत-जापान डिजिटल साझेदारी" पर चर्चा की गई।
- जापानी ICT क्षेत्र में योगदान करने के लिये जापान अधिक कुशल भारतीय IT पेशेवरों को आकर्षित करने की आशा कर रहा है।
- स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी:
- इसे इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी सहित स्टोरेज सिस्टम, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, सौर ऊर्जा हाइड्रोजन, अमोनिया आदि के विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग के लिये लॉन्च किया गया था।
- इसका उद्देश्य भारत में विनिर्माण को प्रोत्साहित करना, इन क्षेत्रों में लचीला और भरोसेमंद आपूर्ति शृंखलाओं के निर्माण के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास में सहयोग को बढ़ावा देना है।
- भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिये सतत् विकास पहल:
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न:प्रिलिम्स: प्रश्न. राष्ट्रों का एक वर्तमान समूह जिसे G-8 के नाम से जाना जाता है, पहले G-7 के रूप में शुरू हुआ। निम्नलिखित में से कौन-सा देश G-7 में शामिल नहीं था? (2009) (a) कनाडा उत्तर: D व्याख्या:
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