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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-भूटान संबंध और उप-राष्ट्रीय कूटनीति

  • 01 Feb 2025
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पंचवर्षीय योजना, गेलेफु स्मार्ट सिटी परियोजना, पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना, टाउन ट्विनिंग, फरक्का जल-बँटवारा संधि 1996, संघ सूची, सकल घरेलू उत्पाद, मानस राष्ट्रीय उद्यान, रॉयल मानस राष्ट्रीय उद्यान 

मेन्स के लिये:

भारत-भूटान संबंध, भारत के राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाने में उपराष्ट्रीय कूटनीति की क्षमता

स्रोत: बिज़नेस लाइन 

चर्चा में क्यों?

भूटान नरेश की भारत यात्रा के बाद, दोनों देशों ने भारत और भूटान संबंधों को सुदृढ़ करने के लिये प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिसमें असम जैसे राज्यों की उप-राष्ट्रीय कूटनीति से दोनों देशों के आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों का और अधिक सुदृढ़ीकरण हो सकता है।

इस यात्रा के मुख्य परिणाम क्या थे?

  • सहयोग का विस्तार: भूटान ने अपनी 13वीं पंचवर्षीय योजना (2024-29) के लिये भारत के निरंतर समर्थन और भूटान के आर्थिक प्रोत्साहन कार्यक्रम में भारत के योगदान के लिये आभार व्यक्त किया।
  • आर्थिक विकास: भारत ने माइंडफुलनेस सिटी परियोजना, एक स्थायी आर्थिक केंद्र, के लिये निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया है।
  • जलविद्युत सहयोग: 1020 मेगावाट की पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है और दोनों देश पुनात्सांगछू-I परियोजना को शीघ्र पूरा करने पर सहमत हुए हैं।
  • सीमा पार कनेक्टिविटी: भूटान के पूर्वी क्षेत्र और असम के सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये असम के दर्रांगा में एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) का उद्घाटन किया गया।

Bhutan

उप-राष्ट्रीय कूटनीति क्या है?

  • परिचय: उपराष्ट्रीय कूटनीति (paradiplomacy) से तात्पर्य उपराष्ट्रीय संस्थाओं (जैसे राज्य या क्षेत्र) से है जो अपने पारस्परिक हितों को बढ़ावा देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संलग्न होते हैं।
    • वैश्वीकरण से उप-राष्ट्रीय कूटनीति को बढ़ावा मिला है जिसमें क्षेत्रीय सरकारें परस्पर संबंधित विश्व में अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं।
  • भारत में संस्थागत तंत्र:
    • राज्य प्रभाग: विदेश मंत्रालय के अंतर्गत 'राज्य प्रभाग' केंद्र-राज्य के बीच बेहतर संपर्क को सुगम बनाता है तथा राज्यों को व्यापार, पर्यटन, निवेश आदि क्षेत्रों में विदेशी संबंध विकसित करने में सहायता करता है।
    • वाणिज्य दूतावास कार्यालय एवं संघीय विदेश मामलों का कार्यालय: यह उप-राष्ट्रीय इकाइयों के साथ कूटनीति को बढ़ावा देने में सहायक हैं।
    • सिटी डिप्लोमेसी: सिटी डिप्लोमेसी या टाउन ट्विनिंग सांस्कृतिक और आर्थिक आदान-प्रदान पर केंद्रित है। उदाहरण के लिये, कोबे-अहमदाबाद सिस्टर सिटीज़
    • वैश्विक सिटी कूटनीति के उदाहरण: ब्राजील के साओ पाउलो शहर की ब्राजील के विदेश मंत्रालय के सहयोग से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के संचालन के क्रम में अपनी स्वयं की नीति है।
    • बार्सिलोना (स्पेन), क्यूबेक (कनाडा), कैलिफोर्निया (अमेरिका), लंदन (यूके), वैंकूवर (कनाडा) भी विदेशी संबंध में भूमिका निभाते हैं।
  • भारत में उप-राष्ट्रीय कूटनीति: भारतीय राज्यों को व्यापार, वाणिज्य और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्रों के संदर्भ में विदेश नीति कार्यान्वयन में कुछ स्वतंत्रता प्राप्त है।
    • वर्ष 2015 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले चीन में एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बांग्लादेश में भारत के प्रधानमंत्री के साथ शामिल हुए।
    • गुजरात के "वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट" द्वारा गुजरात में निवेश को बढ़ावा देने में भूमिका निभाई जाती है।
      • कर्नाटक, तमिलनाडु और बिहार जैसे अन्य राज्यों द्वारा FDI को आकर्षित करने से व्यापार के अवसर बढ़ रहे हैं।
    • वर्ष 1992 में महाराष्ट्र ने दाभोल विद्युत परियोजना के वित्तपोषण के लिये बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एनरॉन और जनरल इलेक्ट्रिक) के साथ साझेदारी की।
    • वर्ष 1996 का फरक्का जल-बँटवारा मुद्दा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की बांग्लादेश यात्रा के बाद सुलझा लिया गया, जिसके परिणामस्वरूप 1996 में फरक्का जल-बंटवारा संधि हुई
  • लाभ:
    • राज्य-स्तरीय प्रभाव: भारतीय राज्य भूमि, श्रम और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में संघीय और राज्य नीतियों को संरेखित करके विदेश नीति को आकार प्रदान करते हैं।
      • इससे कच्चातीवु द्वीप जैसे मुद्दों को रोका जा सकता है, जहाँ संघ के निर्णय से स्थानीय आबादी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
    • पूरक शक्तियाँ: भारतीय राज्य और उनके समकक्ष राज्य IT और ऑटोमोटिव जैसे क्षेत्रों में आपसी आवश्यकताओं के आधार पर अनुकूलित दृष्टिकोण अपनाते हुए सहयोग करते हैं।
    • वैश्विक चुनौतियाँ: जलवायु परिवर्तन और महामारी से उबरने में राज्य का सहयोग वैश्विक विश्व के लिये स्थानीय स्तर पर प्रभावी समाधान प्रस्तुत कर सकता है।
    • दीर्घकालिक गठबंधन: उप-राष्ट्रीय कूटनीति ज़मीनी स्तर पर साझेदारी को बढ़ावा देती है, P2P और B2B संबंधों को प्रोत्साहित करती है, जिससे स्थायी संपर्क सुनिश्चित होते हैं।
  • चिंताएँ: 
    • संवैधानिक बाधाएँ: भारत के संविधान में विदेशी मामले संघ सूची के अंतर्गत हैं, जिससे राज्यों की भागीदारी सीमित तथा केंद्रीय प्राधिकार के अतिक्रमण की चिंता बढ़ जाती है।
    • राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: उप-राष्ट्रीय कूटनीति राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित कर सकती है, विशेष रूप से पूर्वोत्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों या पाकिस्तान और चीन की सीमा से लगे राज्यों में।
    • बाह्य प्रभाव: स्थानीय सरकारें गलत सूचना का लक्ष्य बन सकती हैं, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को स्वतंत्र रूप से प्रबंधित करने की उनकी क्षमता प्रभावित हो सकती है।
      • छोटे शहर विदेशी ताकतों द्वारा हेरफेर के प्रति संवेदनशील हो सकते हैं।
    • सार्वजनिक प्रतिक्रिया: राज्यों द्वारा बनाए गए स्वतंत्र विदेशी संबंध, यदि राष्ट्रीय हितों के साथ संघर्ष उत्पन्न करते हैं, तो सार्वजनिक विरोध और कूटनीतिक घर्षण उत्पन्न कर सकते हैं।

असम के साथ उप-राष्ट्रीय कूटनीति भारत-भूटान संबंधों को कैसे बढ़ा सकती है?

  • व्यापार और संपर्क: दर्रांगा जैसे अधिक एकीकृत चेक पोस्टों की स्थापना और कोकराझार-गेलेफू और बनारहाट-समत्से जैसे रेलवे संपर्कों को विकसित करने के साथ-साथ असम के प्राकृतिक संसाधनों (चाय, तेल, जोहा चावल, भूत जोलोकिया) से भूटान के साथ व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
    • वर्तमान में भारत और भूटान के बीच 70% से अधिक व्यापार पश्चिम बंगाल के जयगाँव भूमि सीमा शुल्क स्टेशन (LCS) से होकर गुज़रता है।
  • ऊर्जा सहयोग: भूटान की जलविद्युत कंपनियों के साथ दीर्घकालिक विद्युत क्रय समझौता (PPA) असम की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद कर सकता है।
  • समुद्री संपर्क: भूटान धुबरी नदी बंदरगाह और असम की असोम माला पहल (सड़क अवसंरचना विकास कार्यक्रम) का उपयोग करके बांग्लादेश तक परिवहन लागत को कम कर सकता है।
  • पारिस्थितिकी सहयोग: मानस राष्ट्रीय उद्यान (असम) और रॉयल मानस राष्ट्रीय उद्यान (भूटान) पर सहयोग से संरक्षण और पारिस्थितिकी पर्यटन को मज़बूती मिलेगी, जिससे अधिक पर्यटक आकर्षित होंगे।
  • सांस्कृतिक कूटनीति: भूटान के साथ असम के सांस्कृतिक संबंध सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से अधिक एकजुटता को बढ़ावा दे सकते हैं।

निष्कर्ष

  • उप-राष्ट्रीय कूटनीति, विशेष रूप से असम के माध्यम से, व्यापार, ऊर्जा सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ाकर भारत-भूटान संबंधों को मज़बूत करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह वैश्विक चुनौतियों के लिये नवोन्मेषी समाधान प्रस्तुत करता है, साथ ही दीर्घकालिक द्विपक्षीय सहयोग के लिये ज़मीनी स्तर पर साझेदारी को भी बढ़ावा देता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत की विदेश नीति में उपराष्ट्रीय कूटनीति के संभावित लाभों और चिंताओं पर चर्चा कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स

प्रश्न: आतंकवादी गतिविधियों और परस्पर अविश्वास ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को धूमिल बना दिया है। खेलों और सांस्कृतिक आदान-प्रदानों जैसी मृदु शक्ति किस सीमा तक दोनों देशों के बीच सद्भाव उत्पन्न करने में सहायक हो सकती है? उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये। (2015)

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