कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव-विविधता फ्रेमवर्क लागू | 25 Oct 2023

प्रिलिम्स के लिये:

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (KMGBF), जैव-विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर अंतर सरकारी विज्ञान-नीति मंच (IPBES), जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की छठी मूल्यांकन रिपोर्ट (IPCC-AR 6), पार्टियों का सम्मेलन (COP), जैव-विविधता पर कन्वेंशन (CBD)

मेन्स के लिये:

पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण पर कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव-विविधता अवसंरचना का प्रभाव एवं प्रासंगिकता।  

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

चर्चा में क्यों?

दिसंबर 2022 को हुए कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव-विविधता फ्रेमवर्क (KMGBF) के अंगीकरण के बाद हाल ही में नैरोबी (केन्या) में वैज्ञानिक, तकनीकी एवं प्रावैधिकी सलाह पर सहायक निकाय (SBSTTA-25) पर 25वीं बैठक सामूहिक रूप से कार्रवाई में परिवर्तन को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य के सुझावों के साथ संपन्न हुई।

वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रावैधिकी सलाह पर सहायक निकाय (SBSTTA):

  • जैव-विविधता पर कन्वेंशन का अनुच्छेद 25 बिना किसी निश्चित अवधि वाली एक अंतर-सरकारी वैज्ञानिक सलाहकार निकाय की स्थापना करता है जिसे वैज्ञानिक, तकनीकी और प्रावैधिकी सलाह पर सहायक निकाय (SBSTTA) के रूप में जाना जाता है।
  • इसका उद्देश्य पार्टियों के सम्मेलन (COP) और इसके अन्य सहायक निकायों को कन्वेंशन के कार्यान्वयन के संबंध में समय पर सलाह प्रदान करना है।

हाल की SBSTTA-25 बैठक का विषय: 

  • आक्रामक प्रजातियों और जैव-विविधता मूल्यांकन पर IPBES रिपोर्ट:
    • हाल की IPBES रिपोर्ट ने पौधों और जीवों के विलुप्त होने में आक्रामक प्रजातियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला है। इसके अतिरिक्त प्रकृति के विविध मूल्यों और मूल्यांकन पर पद्धतिगत रिपोर्ट, साथ ही वनीय प्रजातियों के सतत् उपयोग पर विषयगत मूल्यांकन रिपोर्ट पर भी चर्चा की गई।
    • ये निष्कर्ष जैव-विविधता और आक्रामक प्रजातियों के प्रभाव के बीच जटिल संबंध पर प्रकाश डालते हैं।
  • जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन पर IPCC AR6 निष्कर्ष:
    • इस दौरान IPCC AR6 रिपोर्ट के निष्कर्ष भी चर्चा के केंद्र बिंदु थे। यह रिपोर्ट रेखांकित करती है कि जलवायु परिवर्तन जैव-विविधता की हानि का प्राथमिक कारण है और यह रिपोर्ट जलवायु अनुकूलन, लचीलापन, शमन तथा आपदा जोखिम में कमी का समर्थन करने हेतु जैव-विविधता की क्षमता पर ज़ोर देती है।
    • जैव-विविधता और जलवायु परिवर्तन के बीच इस संबंध का वैश्विक पर्यावरण प्रबंधन पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
  • अभिसरण संकट:
  • सिफारिशें:

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव-विविधता फ्रेमवर्क:

  • परिचय:
    • जैव-विविधता पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन (COP15) में "कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव-विविधता फ्रेमवर्क" (Kunming-Montreal Global Biodiversity Framework- GBF) को चार वर्ष के परामर्श और बातचीत प्रक्रिया के बाद अपनाया गया है।
    • यह ऐतिहासिक फ्रेमवर्क, जो सतत् विकास लक्ष्यों की उपलब्धि का समर्थन करता है और कन्वेंशन की पिछली रणनीतिक योजनाओं पर आधारित है, वर्ष 2050 तक प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने वाले विश्व की वैश्विक दृष्टि तक पहुँचने के लिये एक महत्त्वाकांक्षी मार्ग निर्धारित करता है।
    • यह ऐतिहासिक फ्रेमवर्क वर्ष 2050 तक प्रकृति के साथ सद्भाव में विश्व के वैश्विक लक्ष्य को साकार करने, सतत् विकास लक्ष्यों की उपलब्धि का समर्थन करने और कन्वेंशन की पिछली रणनीतिक योजनाओं पर निर्माण करने हेतु एक महत्त्वाकांक्षी मार्ग निर्धारित करता है।
  • 30x30 लक्ष्य:
    • इस घोषणा ने '30x30'  लक्ष्य की अवधारणा प्रस्तुत की है, जो कि COP15 में प्रस्तुत किया गया एक प्रमुख प्रस्ताव है, यह वर्ष 2030 तक पृथ्वी पर भूमि और महासागरों की संरक्षित स्थिति का 30% वहन करेगा।
  • मुख्य लक्ष्य:
    • फ्रेमवर्क में वर्ष 2050 के लिये चार लक्ष्य और वर्ष 2030 के लिये 23 लक्ष्य शामिल हैं।
      • इसके चार लक्ष्य हैं:
        • जैव-विविधता का संरक्षण एवं पुनर्स्थापन करना।
        • जैव-विविधता का सतत् उपयोग सुनिश्चित करना।
        • लाभ को उचित एवं न्यायसंगत ढंग से साझा करना।
        • परिवर्तनकारी बदलावों को सक्षम करना। 

23 लक्ष्य हैं:

कुनमिंग जैव-विविधता कोष:

  • चीन ने विकासशील देशों में जैव-विविधता की रक्षा के लिये एक नए कोष में 233 मिलियन अमेरिकी डाॅलर के योगदान का वादा किया है। इस फंड को चीन द्वारा कुनमिंग बायोडायवर्सिटी फंड के रूप में संदर्भित किया जा रहा है।
  • इसके अलावा कुछ अमीर देशों के निवेशकों का कहना है कि संरक्षण के लिये एक नया फंड आवश्यक नहीं है क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक पर्यावरण सुविधा (Global Environment Facility- GEF) पहले से ही विकासशील देशों को हरित परियोजनाओं के वित्तपोषण में सहायता करती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 5. ‘‘मोमेंटम फॉर चेंज: क्लाइमेट न्यूट्रल नाउ’’ यह पहल किसके द्वारा प्रवर्तित की गई है?  (2018)

(a) जलवायु परिवर्तन पर अन्तर-सरकारी पैनल
(b) UNEP सचिवालय
(c) UNFCCC सचिवालय
(d) विश्व मौसम विज्ञान संगठन

उत्तर: (c)


प्रश्न. 'मरुस्थलीकरण को रोकने के लिये संयुक्त राष्ट्र अभिसमय' (United Nations Convention to Combat Desertification) का/के क्या महत्त्व है/हैं? (2016)

  1. इसका उद्देश्य नवप्रवर्तनकारी राष्ट्रीय कार्यक्रमों एवं समर्थक अंतर्राष्ट्रीय भागीदारियों के माध्यम से प्रभावकारी कार्रवाई को प्रोत्साहित करना है।
  2. यह विशेष/विशिष्ट रूप से दक्षिणी एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका के क्षेत्रों पर केंद्रित होता है तथा इसका सचिवालय इन क्षेत्रों को वित्तीय संसाधनों के बड़े हिस्से का नियतन सुलभ कराता है।
  3. यह मरुस्थलीकरण को रोकने में स्थानीय लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने हेतु ऊर्ध्वगामी उपागम (बॉटम-अप अप्रोच) के लिये प्रतिबद्ध है।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)