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आंतरिक विस्थापन पर वैश्विक रिपोर्ट- 2023

  • 18 May 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आंतरिक विस्थापन- 2023 पर वैश्विक रिपोर्ट, आंतरिक विस्थापन, संघर्ष और हिंसा, रूस-यूक्रेन संघर्ष, आपदा, बाढ़, मानसून

मेन्स के लिये:

आंतरिक विस्थापन और मुद्दे, आंतरिक विस्थापन- 2023 पर वैश्विक रिपोर्ट

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (Internal Displacement Monitoring Centre- IDMC) ने आंतरिक विस्थापन पर वैश्विक रिपोर्ट (Global Report on Internal Displacement- GRID 2023) नामक रिपोर्ट जारी की है जिसके अनुसार, आपदाओं के कारण वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में विस्थापित लोगों की संख्या में 40% की वृद्धि हुई।

  • IDMC, आंतरिक विस्थापन पर डेटा एवं विश्लेषण का विश्व का प्रमुख स्रोत है। यह आंतरिक विस्थापन पर उच्च गुणवत्ता वाला डेटा, विश्लेषण और विशेषज्ञता प्रदान करता है जिसका उद्देश्य नीति एवं परिचालन निर्णयों को सूचित करना है जो भविष्य में विस्थापन के जोखिम को कम कर सकते हैं।

GRID- 2023 की प्रमुख खोज क्या हैं? 

  • विस्थापन की कुल संख्या: 
    • आंतरिक विस्थापन में रहने वाले लोगों की संख्या 110 देशों और क्षेत्रों में 71.1 मिलियन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुँच चुकी है। 
    • 62.5 मिलियन लोग संघर्ष एवं हिंसा के चलते जबकि 8.7 मिलियन आपदाओं के चलते विस्थापित हुए हैं।
      • आपदाओं ने दिसंबर 2022 तक 88 देशों और क्षेत्रों से 8.7 मिलियन लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित किया।
      • इससे पाकिस्तान, नाइजीरिया और ब्राज़ील सहित कई देशों में बाढ़ से विस्थापितों की संख्या में वृद्धि हुई है।
    • वर्ष 2021 तक आपदाओं के कारण 30.7 मिलियन लोग विस्थापित हुए। वर्ष 2022 में लगभग 150 देशों/क्षेत्रों ने इस तरह के विस्थापन की सूचना दी।
  • देशों के अनुसार परिदृश्य:
    • वर्ष 2022 में दुनिया में सबसे अधिक 8.16 मिलियन लोग आपदा के कारण पाकिस्तान में विस्थापित हुए थे।
      • पाकिस्तान में बाढ़ ने लाखों लोगों को विस्थापित किया, जो वैश्विक आपदा विस्थापन के एक-चौथाई के लिये ज़िम्मेदार है।
    • 5.44 मिलियन विस्थापन के साथ फिलीपींस दूसरे स्थान और 3.63 मिलियन के साथ चीन तीसरे स्थान पर था।
    • भारत ने 2.5 मिलियन विस्थापन के साथ चौथा सबसे बड़ा आपदा विस्थापन दर्ज किया और नाइजीरिया 2.4 मिलियन के साथ पाँचवें स्थान पर रहा।
  • विस्थापन के कारक:
    • आपदा: आपदाओं में वृद्धि विशेष रूप से मौसम संबंधी प्रभाव, काफी हद तक ला नीना के प्रभाव का परिणाम है जो लगातार तीसरे वर्ष जारी रहा।
      • "ट्रिपल-डिप" ला नीना ने दुनिया भर में व्यापक आपदाएँ उत्पन्न कीं।
    • रूस-यूक्रेन प्रेरित विस्थापन: 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विस्थापित हुए लोगों की संख्या में वृद्धि हुई।
      • संघर्ष के कारण 16.9 मिलियन लोगों का विस्थापन हुआ "किसी भी देश के लिये अब तक का सबसे अधिक आँकड़ा दर्ज किया गया।"
      • संघर्ष और हिंसा से जुड़े विस्थापनों की संख्या लगभग दोगुनी होकर 28.3 मिलियन हो गई।
  • आशय:
    • गंभीर संघर्ष, आपदाओं एवं विस्थापन ने वर्ष 2022 में वैश्विक खाद्य सुरक्षा को और खराब कर दिया, जो कोविड-19 महामारी से मंद तथा असमान वसूली के परिणामस्वरूप पहले से ही एक चिंता का विषय बना था।
    • निम्न-आय वाले देश, जिनमें से कई आंतरिक विस्थापन से संबंधित हैं, खाद्य तथा उर्वरक आयात और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय सहायता पर उनकी निर्भरता को देखते हुए सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
      • खाद्य सुरक्षा संकट के स्तर का सामना कर रहे 75% देशों में आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (Internally Displaced People- IDP) हैं।

भारतीय परिदृश्य:

  • भारत में 2022 में संघर्ष और हिंसा के कारण 631,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए, जबकि 25 लाख लोग आपदा के कारण विस्थापित हुए।
  • भारत और बांग्लादेश में मानसून के मौसम की आधिकारिक पुष्टि से पहले ही बाढ़ की स्थिति देखी गई, जो प्राय: मध्य जुलाई तथा सितंबर के बीच की अवधि है।
    • भारत का उत्तर-पूर्वी राज्य असम मई 2022 में शुरुआती बाढ़ से प्रभावित हुआ था और जून में एक बार फिर उन्हीं क्षेत्रों में बाढ़ आई थी। इससे पूरे राज्य में लगभग पाँच लाख लोग प्रभावित हुए।
  • भारत के कुछ हिस्सों में जुलाई 2022 में  पिछले 122 वर्षों में सबसे कम वर्षा दर्ज की गई।
  • मानसूनी अवधि की समाप्ति तक पूरे भारत में 2.1 मिलियन लोग विस्थापित हुए, जो वर्ष 2021 के मौसम के दौरान 5 मिलियन की तुलना में काफी कम थे।

आंतरिक विस्थापन 

  • परिचय: आंतरिक विस्थापन उन लोगों की स्थिति का वर्णन करता है जिन्हें अपने घर छोड़ने के लिये मजबूर किया गया है लेकिन उन्होंने अपना देश नहीं छोड़ा है। 
  • विस्थापन के कारक: प्रत्येक वर्ष लाखों लोग संघर्ष, हिंसा, विकास परियोजनाओं, आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में अपने घरों या निवास स्थानों को छोड़कर अपने देशों की सीमाओं के भीतर विस्थापित हो जाते हैं। 
  • घटक: आंतरिक विस्थापन दो घटकों पर आधारित है:
    • यदि लोगों का विस्थापन ज़बरदस्ती या अनैच्छिक है (उन्हें आर्थिक और अन्य स्वैच्छिक प्रवासियों से अलग करने हेतु); 
    • यदि व्यक्ति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त राज्य की सीमाओं के भीतर रहता है (उन्हें शरणार्थियों से अलग करने हेतु)।
  • शरणार्थी से भिन्नता:  वर्ष 1951 के शरणार्थी सम्मेलन के अनुसार, "शरणार्थी" वह व्यक्ति है जिस पर अत्याचार किया गया हो और जिसे अपने मूल देश को छोड़ने के लिये मजबूर किया गया हो।
    • शरणार्थी माने जाने की एक पूर्व शर्त यह है कि वह व्यक्ति किसी अंतर्राष्ट्रीय सीमा को पार करता हो।
    • शरणार्थियों के विपरीत आंतरिक रूप से विस्थापित लोग किसी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय नहीं हैं।
    • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों की सुरक्षा और सहायता पर वैश्विक नेतृत्व के रूप में किसी एक एजेंसी या संगठन को नामित नहीं किया गया है। 
    • हालाँकि आंतरिक विस्थापन पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।

सिफारिशें:   

  • निम्नलिखित क्षेत्रों में सुधार करना आवश्यक है: गरीबी में कमी, आपदा जोखिम में कमी, शांति निर्माण, आपदा समाधान, जलवायु लचीलापन और खाद्य सुरक्षा।
  • विस्थापित व्यक्तियों के सामने आने वाली समस्याओं के निपटारे हेतु स्थायी समाधान अधिक आवश्यक होते जा रहे हैं। इसमें नकद सहायता एवं आजीविका पहलों को बढ़ाना शामिल है  जिन्हें जोखिम को कम करने हेतु रणनीतिक निवेश के माध्यम से आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (Internally Displaced People- IDP) की वित्तीय स्थिरता को बढ़ाते हैं।
  • तत्काल मानवीय सहायता के अलावा विस्थापित समुदायों के लचीलेपन को बढ़ाने वाली सक्रिय कार्रवाई और साथ ही जोखिम कम करने की रणनीतियों में निवेश की आवश्यकता है।
  • आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (IDP) की आजीविका और कौशल विकसित करने से उनकी खाद्य सुरक्षा व  उनके समुदायों तथा देशों की आत्मनिर्भरता में वृद्धि करके टिकाऊ समाधान की सुविधा प्रदान करने में मदद मिलेगी।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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