2030 तक ग्रीन शिप बिल्डिंग हेतु वैश्विक केंद्र | 27 Mar 2023

प्रिलिम्स के लिये:

ग्रीन टग ट्रांज़िशन प्रोग्राम, संयुक्त राष्ट्र का सतत् विकास लक्ष्य, पेरिस समझौता, प्रधानमंत्री गति शक्ति, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO)।

मेन्स के लिये:

पोत निर्माण क्षेत्र से संबंधित भारत की पहल।

चर्चा में क्यों?

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन, जलमार्ग मंत्री ने ग्रीन टग ट्रांज़िशन प्रोग्राम की शुरुआत के साथ भारत को वर्ष 2030 तक ग्रीन शिप निर्माण हेतु वैश्विक केंद्र बनाने के लक्ष्य की घोषणा की है।

पोत-परिवहन क्षेत्र से संबंधित भारत की पहल:

  • हरित पत्तन और पोत परिवहन के लिये भारत का पहला राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoEGPS):
    • भारत का पहला NCoEGPS केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन, जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) तथा ऊर्जा और संसाधन संस्थान के बीच एक सहयोग है। यह हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित है।
      • केंद्र का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्य (14) को संरक्षण और समुद्र आधारित संसाधनों के सतत् उपयोग के माध्यम से प्राप्त करना एवं समुद्री तथा तटीय पारिस्थितिक तंत्र को स्थायी रूप से प्रदूषण से बचाना है।
      • केंद्र पेरिस समझौते के तहत दायित्त्वों को पूरा करते हुए भारत में ग्रीन शिपिंग के लिये नियामक ढाँचा और वैकल्पिक प्रौद्योगिकी अपनाने का रोडमैप विकसित करेगा।
    • NCoEGPS, MoPSW के तहत पत्तनों, शिपिंग और अन्य संस्थानों के लिये ग्रीन शिपिंग क्षेत्रों पर नीति, अनुसंधान एवं सहयोग पर आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिये MoPSW की एक तकनीकी शाखा के रूप में कार्य करेगा।
  • ग्रीन टग ट्रांज़िशन प्रोग्राम:
    • ग्रीन टग ट्रांज़िशन प्रोग्राम ग्रीन हाइब्रिड प्रोपल्सन सिस्टम द्वारा संचालित 'ग्रीन हाइब्रिड टग्स' के साथ शुरू होगा और भविष्य में मेथनॉल, अमोनिया एवं हाइड्रोजन जैसे गैर-जीवाश्म ईंधन समाधानों को अपनाया जाएगा।
      • इसका लक्ष्य वर्ष 2025 तक सभी प्रमुख बंदरगाहों में शुरुआती ग्रीन टग को आरंभ करना है एवं वर्ष 2030 तक सभी टग्स का 50% ग्रीन टग्स में परिवर्तित करना है।
  • प्रधानमंत्री गति शक्ति:
    • प्रधानमंत्री गति शक्ति- ग्रीन पोर्ट्स पहल के साथ मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिये राष्ट्रीय मास्टर प्लान के माध्यम से देश में हरित रसद आपूर्ति शृंखलाओं के विकास में पहले ही तीव्रता देखी जा रही है।
      • बंदरगाहों का लक्ष्य वर्ष 2030 तक प्रति टन कार्गो के कार्बन उत्सर्जन को 30% तक कम करना है।
  • हरित यात्रा वर्ष 2050 परियोजना:
    • यह नॉर्वे सरकार एवं अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के मध्य मई 2019 में शुरू की गई एक साझेदारी परियोजना है, जिसका उद्देश्य शिपिंग उद्योग को कम कार्बन उत्सर्जन हेतु भविष्य की ओर उन्मुख करना है।

निष्कर्ष:

  • वर्ष 2030 तक ग्रीन शिप बिल्डिंग के लिये ग्लोबल हब बनने का भारत का लक्ष्य एक स्वच्छ, हरित पर्यावरण की दिशा में बड़ा प्रयास है। इन पहलों से भारत के हरित रसद आपूर्ति शृंखलाओं के विकास में तेजी आएगी एवं कार्बन उत्सर्जन कम होगा, जिससे सतत् विकास प्राप्त होगा।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिंद महासागर रिम संघ [इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन (IOR-ARC)'] के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2015)

  1. इसकी स्थापना अत्यंत हाल ही में समुद्री डकैती की घटनाओं और तेल अधिप्लाव (ऑयल स्पिल्स) की दुर्घटनाओं के प्रतिक्रियास्वरूप की गई है।
  2. यह एक ऐसी मैत्री है जो केवल समुद्री सुरक्षा हेतु है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: D

व्याख्या:

  • क्षेत्रीय सहयोग के लिये हिंद महासागर रिम संघ (Indian Ocean Rim Association for Regional Cooperation- IOR-ARC) हिंद महासागर में रिम (Rim) देशों की एक क्षेत्रीय सहयोग पहल है, जिसे मार्च 1997 में मॉरीशस में इसके सदस्यों के मध्य आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • IOR-ARC एकमात्र अखिल भारतीय महासागर समूह है। इसमें 23 सदस्य देश और 9 डायलॉग पार्टनर शामिल हैं।
  • इसका उद्देश्य हिंद महासागर रिम क्षेत्र में व्यापार, सामाजिक-आर्थिक तथा सांस्कृतिक सहयोग के लिये एक मंच उपलब्ध कराना है, जो लगभग दो अरब लोगों की जनसंख्या का प्रतिनिधित्त्व करता है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • हिंद महासागर रिम सामरिक और कीमती खनिजों, धातुओं एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों, समुद्री संसाधनों तथा ऊर्जा से समृद्ध है, जो सभी विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों (Exclusive Economic Zones- EEZ), महाद्वीपीय समतल और गहरे समुद्री तल से प्राप्त किये जा सकते हैं।
  • अतः विकल्प D सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.