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GACs करेंगी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ शिकायतों का समाधान

  • 31 Jan 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सोशल मीडिया, साइबर सुरक्षित भारत पहल, साइबर स्वच्छता केंद्र, ऑनलाइन साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)

मेन्स के लिये:

सोशल मीडिया से संबंधित पहल।

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में केंद्र सरकार ने तीन शिकायत अपील समितियों (GACs) के गठन को अधिसूचित किया जो सोशल मीडिया और अन्य इंटरनेट-आधारित प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ उपयोगकर्त्ता की शिकायतों का समाधान करेंगी।

  • पैनल्स को इन प्लेटफॉर्म्स द्वारा लिये गए सामग्री मॉडरेशन-संबंधी निर्णयों की देख-रेख करने और उन्हें रद्द करने का भी अधिकार होगा।

GACs क्या हैं?

  • संघटन:  
    • तीनों GACs में से प्रत्येक में एक अध्यक्ष, दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे, जो विभिन्न सरकारी संस्थाओं और उद्योग से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी होंगे, जिनका कार्यकाल पद ग्रहण करने की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के लिये होगा।
  • विवादों का समाधान:  
    • GAC दो प्रकार के विवादों का निपटान करेगी:
    • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और गोपनीयता के अधिकार सहित विधि और उपयोगकर्त्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन।
      • एक मंच के सामुदायिक दिशा-निर्देशों और उपयोगकर्त्ता के बीच संविदात्मक विवाद।
  • कार्य: 
    • GAC प्रौद्योगिकी क्षेत्र के नियामक के एक घटक के रूप में भी काम करेगी जिसे MeitY द्वारा भविष्य के डिजिटल इंडिया बिल के अनुसार स्थापित करने का अनुमान है, यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 को प्रतिस्थापित करेगा।
    • GACs एक ऑनलाइन विवाद समाधान तंत्र अपनाएगी जिसमे पूरी अपील प्रक्रिया, यानी इसके फाइलिंग से लेकर अंतिम निर्णय तक ऑनलाइन की जाएगी।
    • सोशल मीडिया मध्यस्थ के शिकायत अधिकारी के निर्णय से असंतुष्ट किसी भी व्यक्ति को तीस दिनों की अवधि के भीतर GAC को अपील दायर करने की अनुमति होगी।
      • अपील प्राप्त होने के एक महीने के भीतर GAC को इस पर विचार करना होगा और निर्णय देना होगा। 
  • महत्त्व और इसकी आवश्यकता: 
    • GAC इस समग्र नीति और विधिक ढाँचे का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, यह इसलिये आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में इंटरनेट खुला, सुरक्षित, विश्वसनीय और जवाबदेह हो।
    • बड़ी संख्या में शिकायतों का समाधान नही किये जाने या इंटरनेट मध्यस्थों द्वारा असंतोषजनक ढंग से संबोधित किये जाने के कारण GAC अस्तित्त्व में आई।
    • इसके माध्यम से सभी इंटरनेट प्लेटफॉर्मों और मध्यस्थों का अपने उपभोक्ताओं के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित किये जाने की उम्मीद है।
  • आलोचना:
    • प्रस्ताव की पहले इस चिंता के कारण आलोचना की गई थी कि सरकार द्वारा नियुक्त पैनल सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा किये गए सामग्री-मॉडरेशन निर्णयों को निर्धारित करने में सक्षम होंगे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसके लिये साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना कानूनी रूप से अनिवार्य है? (2017)

  1. सेवा प्रदाताओं 
  2. डेटा केंद्र 
  3. कॉर्पोरेट निकाय

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न: ‘सामाजिक संजाल स्थल’ (Social Networking Sites) क्या हैं और इन स्थलों से क्या सुरक्षा उलझनें प्रस्तुत होती हैं? (मुख्य परीक्षा, 2013)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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