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G20 देश एवं आपदा जोखिम न्यूनीकरण

  • 26 May 2023
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आपदा जोखिम न्यूनीकरण, G20, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, चरम जलवायु घटनाएँ, ग्रीष्म लहर

मेन्स के लिये:

आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु रणनीतियाँ 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारत की G20 अध्यक्षता में प्रथम G20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण वर्किंग ग्रुप (DRR-WG) की बैठक हुई जिसमें भारत ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) के महत्त्व पर ज़ोर दिया।

बैठक की मुख्य विशेषताएँ:  

  • G20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण वर्किंग ग्रुप ने सरकारों से आपदा जोखिम वित्तपोषण के लिये प्रभावी और पसंदीदा साधन के साथ एक सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बनाने का आग्रह किया है।
    • इसने एक नए युग की सामाजिक सुरक्षा प्रणालियों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया जो आपदाओं तथा उनके स्थानीय प्रभावों को कम करते हैं। 
  • इसने पाँच प्राथमिकताओं को रेखांकित किया है:
    • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की वैश्विक बहाली 
    • अवसंरचना प्रणालियों को आपदा प्रतिरोधी बनाने की दिशा में बढ़ी हुई प्रतिबद्धता
    • DRR के लिये मज़बूत राष्ट्रीय वित्तीय ढाँचा
    • मज़बूत राष्ट्रीय एवं वैश्विक आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली
    • DRR के लिये पारिस्थितिक तंत्र-आधारित दृष्टिकोण का बढ़ता अनुप्रयोग
  • G20 में DRR-WG का उद्देश्य सेंदाई फ्रेमवर्क की मध्यावधि समीक्षा के लिये विचारों को शामिल करना, सभी स्तरों पर बहुपक्षीय सहयोग को नवीनीकृत करना और भविष्य की वैश्विक नीतियों एवं DRR से संबंधित पहलों को सूचित करना है।

आपदा जोखिम न्यूनीकरण हेतु एक सामूहिक G-20 रूपरेखा की आवश्यकता:

  • 4.7 बिलियन की आबादी वाले G-20 देशों में संपत्ति संकेंद्रण से जोखिम और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अधिक संवेदनशीलता देखी गई है।  
  • वर्तमान विश्व जोखिम सूचकांक में शीर्ष 10 कमज़ोर देशों में से चार, G-20 देश हैं।
  • अकेले G-20 देशों में संयुक्त अनुमानित औसत वार्षिक हानि 218 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो उनके द्वारा किये गए बुनियादी ढाँचे में औसत वार्षिक निवेश के 9% के बराबर है।
  • आपदा जोखिम कम करने के उपाय इस तरह की हानि को रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

आपदा जोखिम को कम करने के लिये प्रमुख रणनीतियाँ:

  • बेहतर आर्थिक और शहरी विकास:
    • बेहतर आर्थिक और शहरी विकास विकल्पों के साथ प्रथाओं, पर्यावरण की सुरक्षा, गरीबी तथा असमानता में कमी आदि जैसे उपायों के माध्यम से संवेदनशीलता और जोखिम को कम किया जा सकता है।
      • उदाहरण के लिये भारत में बाढ़ जोखिम प्रबंधन रणनीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन से चरम मौसम स्थितियों को कम करने और प्रबंधित करने में सहायता मिल सकती है।
  • वित्तपोषण:  
    • आपदा जोखिम न्यूनीकरण के वित्तपोषण पर पुनर्विचार करने की अवश्यकता है। किसी देश में सरकारी बजट के माध्यम से पूरी की जाने वाली वित्तीय आवश्यकताएँ उस देश की राजकोषीय स्थिति से स्वतंत्र नहीं होती हैं और सीमित हो सकती हैं।
    • उन्‍नत वित्‍तपोषण उपायों की खोज की जानी चाहिये, जिनमें आरक्षित निधि का सृजन, डेडिकेटेड लाइन ऑफ क्रेडिट तथा विश्‍व स्‍तर पर संसाधनों का दोहन शामिल है।
  • आधारभूत संरचना: 
    • सार्वजनिक राजस्व के माध्यम से बनाई गई सड़कें, रेल, हवाई अड्डे तथा बिजली की लाइन जैसी अवसंरचनाओं को आपदाओं के प्रति लचीला होने की आवश्यकता है और इसके लिये अधिक धन की आवश्यकता हो सकती है।
    • इस तरह की आपदा-प्रतिरोधी अवसंरचनाओं के सामाजिक लाभों को प्रतिबिंबित करने वाले विकल्पों का उपयोग करके इस अतिरिक्त आवश्यकता को वित्तपोषित करने की आवश्यकता है।
  • व्यापक और तीव्र जोखिम का निपटान: 
    • व्यापक जोखिम (लगातार लेकिन मध्यम प्रभावों से नुकसान का जोखिम) तथा तीव्र जोखिम (कम आवृत्ति और उच्च प्रभाव वाली घटनाओं से) के निपटान के लिये अलग-अलग रणनीतियों पर काम किया जाना चाहिये।
    • नुकसान का एक बड़ा हिस्सा व्यापक घटनाओं के कारण होता है।
    • संचयी रूप से वितरित घटनाएँ जैसे- ग्रीष्म लहर (हीटवेव) , बिजली, स्थानीय बाढ़ एवं भूस्खलन के कारण अत्यधिक नुकसान होता है। व्यापक जोखिम वाली घटनाओं से होने वाले नुकसान को कम करने के लिये लक्षित दृष्टिकोणों को लागू करने से अल्पावधि से मध्यम अवधि के परिदृश्य पर प्रभाव पड़ सकता है।
  • बहु-स्तरीय, बहु-क्षेत्रीय प्रयास: 
    • आपदा जोखिम न्यूनीकरण को बहु-स्तरीय, बहु-क्षेत्रीय प्रयास के रूप में देखने की आवश्यकता है।
    • यदि प्रयासों को स्थानीय से उप-राष्ट्रीय, उप-राष्ट्रीय से राष्ट्रीय, राष्ट्रीय से वैश्विक और क्षैतिज रूप से सभी क्षेत्रों में एकीकृत किया जाता है, तो अज्ञात जोखिमों को प्रबंधित करने के लिये तत्परता का स्तर बढ़ाया जा सकता है।
    • विश्व आपस में जुड़ा एवं अन्योन्याश्रित है और G20 ऐसी रणनीतियों को विकसित करने में मदद कर सकता है।

आगे की राह 

  • G20 को अपने सदस्यों और अन्य हितधारकों के बीच पूर्व चेतावनी प्रणाली, आपदा-प्रतिरोधी बुनियादी ढाँचे, वित्तीय ढाँचे एवं आपदा जोखिम में कमी हेतु प्रतिक्रिया प्रणाली पर सहयोग तथा समन्वय को बढ़ावा देना चाहिये।
  • उन्हें विशेष रूप से प्रौद्योगिकी, डेटा और पारिस्थितिक तंत्र-आधारित दृष्टिकोणों के उपयोग पर आपदा जोखिम में कमी लाने हेतु नवाचार एवं अनुसंधान को बढ़ावा देना चाहिये।
  • सतत् विकास एजेंडा, 2030, जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते और नए शहरी एजेंडे के साथ आपदा जोखिम में कमी के प्रयासों को संरेखित करने एवं यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि कोई भी क्षेत्र पिछड़ न जाए।
  • आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर कार्य समूह G20 हेतु अगले सात वर्षों में सेंदाई फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन में नेतृत्त्व करने का एक अवसर है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस समूह के सभी चारों देश G20 के सदस्य हैं? (2020) 

(a) अर्जेंटीना, मेक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की 
(b) ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, मलेशिया और न्यूज़ीलैंड
(c) ब्राज़ील, ईरान, सऊदी अरब और वियतनाम
(d) इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया

उत्तर: (a)  


मेन्स:

प्रश्न. आपदा प्रबंधन में पूर्ववर्ती प्रतिक्रियात्मक उपागम से हटते हुए भारत सरकार द्वारा आरंभ किये गए अभिनूतन उपायों की विवेचना कीजिये। (2020) 

प्रश्न. आपदा प्रभावों और लोगों के लिये इसके खतरे को परिभाषित करने हेतु भेद्यता एक आवश्यक तत्त्व है। आपदाओं के प्रति भेद्यता का किस प्रकार और किन-किन तरीकों के साथ चरित्र-चित्रण किया जा सकता है? आपदाओं के संदर्भ में भेद्यता के विभिन्न प्रकारों की चर्चा कीजिये।  (2019) 

प्रश्न. भारत में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डी.आर.आर.) के लिये 'सेंदाई आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रारूप (2015-30)' हस्ताक्षरित करने से पूर्व एवं उसके बाद किये गए विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिये। यह प्रारूप 'ह्योगो कार्यवाही प्रारूप, 2005' से किस प्रकार भिन्न है? (2018) 

 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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