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भारतीय अर्थव्यवस्था

स्टार्ट-अप्स पर फंडिंग विंटर प्रभाव

  • 23 Jan 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

फंडिंग विंटर, स्टैंड-अप इंडिया योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया एक्शन प्लान

मेन्स के लिये:

भारतीय स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र, स्टार्टअप्स के लिये सरकार की पहल

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

बंगलुरु, जिसे अक्सर भारत की सिलिकॉन वैली कहा जाता है, को वैश्विक घटनाओं के कारण वित्तपोषण की कमी के फलस्वरूप स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र में संकट का सामना करना पड़ा है। फंडिंग विंटर के बाद कई क्षेत्रीय स्टार्ट-अप को छँटनी से लेकर सतर्क निवेशक भावना के अभाव से जूझना पड़ा है।

फंडिंग विंटर क्या है?

  • परिचय:
    • ‘फंडिंग विंटर’ एक शब्द है जिसका उपयोग स्टार्टअप्स के लिये कम पूंजी प्रवाह की अवधि का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
    • फंडिंग विंटर के दौरान निवेशक और ऋणदाता वित्तीय सहायता प्रदान करने में अधिक सतर्क (cautious) तथा चयनात्मक (selective) हो जाते हैं, जिससे बाज़ार में उपलब्ध कुल वित्तपोषण में कमी आती है।
    • फंडिंग विंटर व्यवसायों और उद्यमियों को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है, विशेष रूप से उन लोगों पर जो विकास के शुरुआती चरण में हैं या जो अपने परिचालन का विस्तार करना चाहते हैं।
  • भारत में फंडिंग विंटर के कारण:
    • भारतीय स्टार्ट-अप फंडिंग में उतार-चढ़ाव:
      • वर्ष 2021 में भारतीय स्टार्ट-अप फंडिंग बढ़कर रिकॉर्ड 42 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई, जिससे देशभर में 42 नए यूनिकॉर्न बने। हालाँकि वर्ष 2022 में फंडिंग में 40% की गिरावट देखी गई, जो महामारी से प्रेरित आशावाद में बदलाव का प्रतीक है।
      • प्रारंभिक वृद्धि को कोविड-19 महामारी के दौरान डिजिटल उद्यमों में बड़े पैमाने पर हुए निवेश से बढ़ावा मिला।
      • ऐसी धारणा थी कि डिजिटल प्रवृत्ति उसी गति से जारी रहेगी, लेकिन जैसे ही विश्व की  परिस्थितियाँ सामान्य हुईं, निवेश का पुनर्मूल्यांकन हुआ।
      • आँकड़ों के अनुसार, भारत में तकनीकी कंपनियों को वर्ष 2023 में 8.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की फंडिंग मिली, जो वर्ष 2022 से 67% कम है।
  • वैश्विक व्यापक आर्थिक कारक: 
  • निवेश प्रतिफल (Return on Investments) पर फोकस :
    • निवेशकों ने स्टार्ट-अप की दीर्घकालिक व्यवहार्यता और लाभप्रदता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया, जिससे बाज़ार में गिरावट आई
    • निवेशकों को यूनिकॉर्न और उत्तरवर्ती-चरण के स्टार्ट-अप पर कम भरोसा है जो लाभप्रदता से ऊपर विकास को प्राथमिकता देते हैं।
    • निवेशकों की रुचि और गतिविधि ने विवेकशीलता एवं राजस्व मॉडल पर ध्यान केंद्रित करते हुए आरंभिक चरण के स्टार्ट-अप की ओर रुख किया है।
    • विलय और अधिग्रहण की अनुपस्थिति, सूचीबद्ध स्टार्ट-अप के खराब प्रदर्शन के साथ, निवेशकों को व्यवहार्य निकास विकल्पों के बिना छोड़ दिया गया।
      • निकास के विकल्पों की कमी ने निवेशकों और अंतिम चरण के स्टार्ट-अप दोनों के लिये एक चुनौतीपूर्ण वातावरण तैयार करने में योगदान दिया।
  • घरेलू पूंजी का अभाव:
    • भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में घरेलू पूंजी की कमी से वित्तपोषण संकट और प्रभावित हुआ है।
    • घरेलू पेंशन निधि के तहत प्रौद्योगिकी, उद्यम और स्टार्ट-अप में निवेश नहीं किया जा रहा है जिससे मौजूदा अवसर व्यर्थ हो रहे हैं।
    • केंद्रीय वित्त मंत्रालय तथा नियामक प्रणाली स्टार्ट-अप के कर संबंधी मुद्दों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
  • व्यष्टि तथा समष्टि अर्थशास्त्र संबंधी चुनौतियाँ:
    • समष्टि (Macro) अर्थशास्त्र स्थितियों तथा कुछ स्टार्ट-अप संस्थापकों की मूल व्यावसायिक सिद्धांतों का अनुपालन करने में विफलता ने वित्तपोषण को प्रभावित किया।
    • यह संकट मात्र बाह्य कारकों का परिणाम नहीं था अपितु स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर आंतरिक निर्णयों एवं रणनीतियों का भी परिणाम था।

स्टार्ट-अप्स तथा कर्मचारियों से संबंधित क्या प्रभाव हैं?

  • बड़े पैमाने पर छँटनी:
    • फंडिंग विंटर के परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर छँटनी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय layoffs.fyi (यह टेक स्टार्टअप में हुई छँटनी ट्रैक करता है) के आँकड़ों के अनुसार, तकनीकी कंपनियों ने वर्ष 2023 से जनवरी 2024 तक भारत में लगभग 17,000 कर्मचारियों की छँटनी की।
  • साइलेंट लेऑफ:
    • कंपनियाँ प्रत्यक्ष छँटनी के बजाय कर्मचारी के कार्य को कम रेटिंग देकर तथा उन्हें नौकरी छोड़ने के लिये प्रेरित कर 'साइलेंट लेऑफ' का सहारा लेती हैं।
  • पलायन दर:
    • सितंबर 2022 तथा जुलाई 2023 के बीच 111 भारतीय यूनिकॉर्न ने 4.72% की एट्रिशन/पलायन  दर (जिस दर पर कर्मचारी कोई संगठन छोड़ते हैं) का अनुभव किया जिसमें अकेले बंगलुरु में 41,208 कर्मचारियों ने अपनी कंपनियाँ छोड़ दीं।

भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम:

  • 3 अक्तूबर, 2023 तक देश के 763 ज़िलों में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (Department for Promotion of Industry and Internal Trade- DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त 1 लाख से अधिक स्टार्टअप के साथ भारत ने वैश्विक स्तर पर स्टार्टअप के लिये तीसरे सबसे बड़े इकोसिस्टम के रूप में अपनी स्थिति को सशक्त किया।
  • भारत मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्थाओं के बीच वैज्ञानिक प्रकाशनों की गुणवत्ता तथा अपने विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता में शीर्ष स्थान के साथ नवाचार गुणवत्ता में दूसरे स्थान पर है। 
    • भारत में नवाचार केवल कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है। इसका विस्तार 56 विविध औद्योगिक क्षेत्रों में है जिसमें 13% IT सेवाओं, 9% स्वास्थ्य सेवा एवं जीवन विज्ञान, 7% शिक्षा, 5% कृषि और 5% खाद्य व पेय पदार्थ शामिल हैं।
  • भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में विगत कुछ वर्षों (2015-2022) में तेज़ी से वृद्धि देखी गई है:
    • स्टार्टअप्स के कुल वित्तपोषण में 15 गुना की वृद्धि।
    • निवेशकों की संख्या में 9 गुना की वृद्धि।
    • इन्क्यूबेटरों की संख्या में 7 गुना की वृद्धि।
  • अक्तूबर 2023 तक, भारत में 111 यूनिकॉर्न मौजूद हैं जिनका कुल मूल्यांकन 349.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। यूनिकॉर्न की कुल संख्या में से, 102.30 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कुल मूल्यांकन वाली 45 यूनिकॉर्न की स्थापना वर्ष 2021 में हुई तथा 29.20 बिलियन अमेरिकी डॉलर के कुल मूल्यांकन के साथ 22 यूनिकॉर्न की स्थापना वर्ष 2022 में हुई।
    • वर्ष 2023 में नवीनतम तथा एकमात्र यूनिकॉर्न के रूप में ज़ेप्टो का उदय हुआ। 

स्टार्टअप्स के लिये भारत सरकार की क्या पहल हैं?

आगे की राह

  • पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को व्यवसाय के बुनियादी सिद्धांतों को प्राथमिकता देनी चाहिये, सही अनुपात और संतुलन बनाए रखना चाहिये तथा भविष्य के चक्रों की योजना बनानी चाहिये।
  • निरंतर विकास सुनिश्चित करने के लिये स्टार्ट-अप हेतु संपार्श्विक-मुक्त ऋण सहित वित्तपोषण में संरचनात्मक स्तर के सुधारों की आवश्यकता है।
  • कर्नाटक के ELEVATE कार्यक्रम की तरह निरंतर सरकारी समर्थन, स्टार्ट-अप विफलताओं को रोकने और एक लचीले पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    • कर्नाटक का ELEVATE कार्यक्रम शुरुआती चरण के स्टार्ट-अप को ₹50 लाख तक का एकमुश्त अनुदान देता है। तरजीही बाज़ार पहुँच के तहत, सरकार का लक्ष्य स्टार्ट-अप से सार्वजनिक खरीद को बढ़ावा देना है।
    • सरकार को विशेष रूप से पेंशन फंड से घरेलू निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये नीतियाँ लागू करनी चाहिये।
  • स्टार्ट-अप को मितव्ययिता, दक्षता और जैविक व्यावसायिक नेतृत्व को अपनाकर बाज़ार की गतिशीलता के अनुरूप ढलने की आवश्यकता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. उद्यम पूंजी से क्या तात्पर्य है? (2014)

(a) उद्योगों को उपलब्ध कराई गई अल्पकालीन पूंजी
(b) नए उद्यमियों को उपलब्ध कराई गई दीर्घकालीन प्रारंभिक पूंजी
(c) उद्योगों को हानि उठाते समय उपलब्ध कराई गई निधियाँ
(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन एवं नवीकरण के लिये उपलब्ध कराई गई निधियाँ

उत्तर: (b)


प्रश्न 2. स्मार्ट इंडिया हैकथॉन, 2017 के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. यह एक दशक में हमारे देश के प्रत्येक शहर को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिये केंद्र-प्रायोजित योजना है। 
  2. यह हमारे देश के समक्ष आने वाली कई समस्याओं को हल करने के लिये नई डिजिटल प्रौद्योगिकी नवाचारों की पहचान करने की एक पहल है।
  3. इस कार्यक्रम का उद्देश्य एक दशक में हमारे देश में सभी वित्तीय लेनदेन को पूरी तरह से डिजिटल बनाना है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2
(c) केवल 3
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न 1: हाल के समय में भारत में आर्थिक संवृद्धि की प्रकृति का वर्णन अक्सर नौकरीहीन संवृद्धि के तौर पर किया जाता है। क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में तर्क प्रस्तुत कीजिये। (2015)

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