उर्वरक सब्सिडी | 12 Dec 2022

प्रीलिम्स के लिये:

उर्वरक सब्सिडी, यूरिया, DAP, पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (NBS) योजना

मेन्स के लिये:

उर्वरक सब्सिडी से संबंधित मुद्दे और आगे की राह।

चर्चा में क्यों?

 उच्च सरकारी सब्सिडी के कारण दो उर्वरकों - यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) का अत्यधिक उपयोग हो रहा है।

उर्वरक सब्सिडी

  • उर्वरक:
    • उर्वरक एक प्राकृतिक या कृत्रिम पदार्थ होता है जिसमें नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P) और पोटेशियम (K) रासायनिक तत्त्व होते हैं, जो पौधों की वृद्धि और उत्पादकता में सुधार करते हैं।
    • भारत में 3 मुख्य उर्वरक हैं - यूरिया, DAP और म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP)।
  • उर्वरक सब्सिडी के बारे में:
    • सरकार उर्वरक उत्पादकों को सब्सिडी का भुगतान करती है ताकि किसानों को बाज़ार दर से कम मूल्य पर  उर्वरक खरीदने की अनुमति मिल सके।
    • उर्वरक के उत्पादन/आयात की लागत और किसानों द्वारा भुगतान की गई वास्तविक राशि के बीच का अंतर सरकार द्वारा वहन की जाने वाली सब्सिडी का हिस्सा होता है।
  • यूरिया पर सब्सिडी:
    • भारत में, यूरिया सबसे अधिक उत्पादित, आयातित, खपत और भौतिक रूप से विनियमित उर्वरक है। यह केवल कृषि उपयोगों के लिये अनुदानित है। 
    • केंद्र प्रत्येक संयंत्र में उत्पादन लागत के आधार पर उर्वरक निर्माताओं को यूरिया पर सब्सिडी का भुगतान करता है और इकाइयों को सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) पर उर्वरक बेचती है।
      • यूरिया की MRP फिलहाल 5,628 रुपये प्रति टन तय की गई है।
  • गैर-यूरिया उर्वरकों पर सब्सिडी:
    • गैर-यूरिया उर्वरकों की अधिकतम खुदरा मूल्य कंपनियों द्वारा नियंत्रित या तय नहीं की जाती है।
    • लेकिन सरकार ने हाल ही में और विशेष रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद उर्वरकों के वैश्विक मूल्य में वृद्धि आने के के बाद से उर्वरकों को सरकारी नियंत्रण व्यवस्था के अंतर्गत शामिल कर दिया है।
    • सभी गैर-यूरिया आधारित उर्वरकों को पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी योजना के तहत विनियमित किया जाता है।
    • गैर-यूरिया उर्वरकों के उदाहरण - DAP और MOP।
      • कंपनियों द्वारा DAP की प्रति टन निर्धारित मूल्य 27,000 रुपए है।

उर्वरकों हेतु पहलें:

  • नीम कोटेड यूरिया’:
    • उर्वरक विभाग (DoF) ने सभी घरेलू उत्पादकों के लिये शत-प्रतिशत यूरिया का उत्पादन ‘नीम कोटेड यूरिया’ (NCU) के रूप में करना अनिवार्य कर दिया है।
  • नई यूरिया नीति 2015:
    • इस नीति के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
      • स्वदेशी यूरिया उत्पादन को बढ़ावा देना।
      • यूरिया इकाइयों में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना।
      • भारत सरकार पर सब्सिडी के भार को युक्तिसंगत बनाना।
  • सिटी कम्पोस्ट के प्रोत्साहन हेतु नीति:
    • भारत सरकार ने सिटी कम्पोस्ट के उत्पादन और खपत को बढ़ाने के लिये 1500 रुपए की बाज़ार विकास सहायता (Market Development Assistance) प्रदान करने हेतु वर्ष 2016 में उर्वरक विभाग द्वारा अधिसूचित सिटी कम्पोस्ट को बढ़ावा देने की नीति को मंज़ूरी दी।
    • बिक्री में वृद्धि करने के लिये, शहर के खाद को बेचने के इच्छुक खाद निर्माताओं को सीधे किसानों को खाद थोक में बेचने की अनुमति दी गई।
    • शहरी खाद का विपणन करने वाली उर्वरक कंपनियाँ  को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के अंतर्गत शामिल किया गया है।
  • उर्वरक क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग:
    • उर्वरक विभाग ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) और परमाणु खनिज निदेशालय (AMD) के सहयोग से इसरो के तहत राष्ट्रीय्र रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा "रॉक फॉस्फेट का रिफ्लेक्सेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी और पृथ्वी अवलोकन डेटा का उपयोग करके संसाधन मानचित्रण" पर तीन साल का पायलट अध्ययन शुरू किया।

उर्वरक सब्सिडी से संबंधित मुद्दे:

  • उर्वरकों की कीमत में असंतुलन:
    • यूरिया और DAP पर उच्च सब्सिडी उन्हें किसानों के लिये अन्य उर्वरकों की तुलना में बहुत सस्ता बनाती है।
    • जहाँ यूरिया पैक्ड नमक के मुकाबले एक चौथाई दाम पर बिक रहा है, वहीं DAP भी अन्य उर्वरकों के मुकाबले काफी सस्ता हो गया है।
    • अन्य उर्वरक जो नियंत्रण मुक्त किये गए थे उनकी कीमतें बढ़ गई हैं जिससे किसान पहले की तुलना में अधिक यूरिया और DAP का उपयोग कर रहे हैं।
  • पोषक तत्त्व असंतुलन:
    • देश में N, P और K का उपयोग पिछले कुछ वर्षों में 4:2:1 के आदर्श NPK उपयोग अनुपात से तेज़ी से विचलित हुआ है।
    • यूरिया और DAP किसी भी एक पोषक तत्व का 30% से अधिक होता है।
      • यूरिया में 46% N होता है, जबकि DAP में 46% P और 18% N होता है।
    • अन्य, अधिक महंगे उर्वरकों की तुलना में इनके उपयोग के कारण पोषक तत्त्वों के असंतुलन का मिट्टी के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है, जो अंततः फसल की पैदावार को प्रभावित कर सकता है।
  • वित्तीय स्वास्थ्य को नुकसान:
    • उर्वरक सब्सिडी अर्थव्यवस्था के राजकोषीय स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रही है।
    • सब्सिडी वाले यूरिया को थोक खरीदारों/व्यापारियों या यहाँ तक कि गैर-कृषि उपयोगकर्त्ताओं जैसे कि प्लाइवुड और पशु चारा निर्माताओं को दिया जा रहा है।
      • इसकी तस्करी बांग्लादेश और नेपाल जैसे पड़ोसी देशों में की जा रही है।

आगे की राह

  • यह देखते हुए कि सभी तीन पोषक तत्त्व अर्थात् N (नाइट्रोजन), P (फास्फोरस) और K (पोटेशियम) फसल की पैदावार और उपज की गुणवत्ता बढ़ाने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, सरकार को आवश्यक रूप से सभी उर्वरकों के लिये एक समान नीति अपनानी चाहिये।
  • लंबे समय में, NBS को ही एक फ्लैट प्रति एकड़ नकद सब्सिडी द्वारा प्रतिस्थापित किया जाना चाहिये जिसका उपयोग किसी भी उर्वरक को खरीदने के लिये किया जा सकता है।
    • इस सब्सिडी में मूल्य वर्द्धित और अनुकूलित उत्पाद शामिल होने चाहिये जिनमें न केवल अन्य पोषक तत्त्व शामिल हों बल्कि यूरिया की तुलना में नाइट्रोजन भी अधिक कुशलता से वितरित हो।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न: भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों का खुदरा मूल्य बाज़ार संचालित है और यह सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है।
  2. अमोनिया, जो यूरिया बनाने में काम आता है, प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है।
  3. सल्फर, जो फॉस्फोरिक अम्ल उर्वरक के लिये एक कच्चा माल है, तेलशोधन कारखानों का उपोत्पाद है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • भारत सरकार उर्वरकों पर सब्सिडी देती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसानों को उर्वरक आसानी से उपलब्ध हो तथा देश कृषि उत्पादन में आत्मनिर्भर बना रहे। यह काफी हद तक उर्वरक की कीमत और उत्पादन की मात्रा को नियंत्रित करके प्राप्त किया जाता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • प्राकृतिक गैस से अमोनिया (NH3) का संश्लेषण किया जाता है। इस प्रक्रिया में प्राकृतिक गैस के अणु कार्बन और हाइड्रोजन में परिवर्तित हो जाते हैं। फिर हाइड्रोजन को शुद्ध किया जाता है तथा अमोनिया के उत्पादन के लिये नाइट्रोजन के साथ प्रतिक्रिया कराई जाती है। इस सिंथेटिक अमोनिया को यूरिया, अमोनियम नाइट्रेट तथा मोनो अमोनियम या डायमोनियम फॉस्फेट के रूप में संश्लेषण के बाद प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उर्वरक के तौर पर प्रयोग किया जाता है। अत: कथन 2 सही है।
  • सल्फर तेलशोधन और गैस प्रसंस्करण का एक प्रमुख उप-उत्पाद है। अधिकांश कच्चे तेल ग्रेड में कुछ सल्फर होता है, जिनमें से अधिकांश को परिष्कृत उत्पादों में सल्फर सामग्री की सख्त सीमा को पूरा करने के लिये शोधन प्रक्रिया के दौरान हटाया जाना चाहिये। यह कार्य हाइड्रोट्रीटिंग के माध्यम से किया जाता है और इसके परिणामस्वरूप H2S गैस का उत्पादन होता है जो मौलिक सल्फर में परिवर्तित हो जाता है। सल्फर का खनन भूमिगत, प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले निक्षेपों से भी किया जा सकता है लेकिन यह तेल और गैस से प्राप्त करने की तुलना में अधिक महँगा है तथा इसे काफी हद तक बंद कर दिया गया है। सल्फ्यूरिक एसिड का उपयोग मोनोअमोनियम फॉस्फेट (Monoammonium Phosphate- MAP) एवं डाइअमोनियम फॉस्फेट (Diammonium Phosphate- DAP) दोनों के उत्पादन में किया जाता है। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (b) सही है।


मेन्स

प्रश्न. सब्सिडी फसल प्रतिरूप, फसल विविधता और किसानों की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है? छोटे और सीमांत किसानों के लिये फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्य प्रसंस्करण का क्या महत्त्व है? (मुख्य परीक्षा, 2017)

प्रश्न. प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के साथ मूल्य सब्सिडी के प्रतिस्थापन से भारत में सब्सिडी का परिदृश्य कैसे बदल सकता है? चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2015)

प्रश्न. राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की कृषि सब्सिडी क्या हैं? इसके द्वारा उत्पन्न विकृतियों के संदर्भ में कृषि सब्सिडी व्यवस्था का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2013)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस