शासन व्यवस्था
मल कीचड़ एवं सेप्टेज प्रबंधन
- 26 Jun 2024
- 17 min read
प्रिलिम्स के लिये:मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (FSSM), मल कीचड़ उपचार संयंत्र (FSTPs), भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS), खुले में शौच मुक्त (ODF), स्वच्छ सर्वेक्षण, कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT) सतत विकास लक्ष्य (SDGs)। मेन्स के लिये:मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन से जुड़े मुद्दे और चुनौतियाँ तथा संबंधित उठाए गए कदम। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
चर्चा में क्यों?
भारत ने हाल ही में डिजिटल तकनीक से लैस 1,000 से अधिक मल कीचड़ उपचार संयंत्र (FSTP) स्थापित किये हैं। यह प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल स्वच्छता समाधान बनाने के लिये एक अभिनव विधि के रूप में मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (FSSM) के विकास को दर्शाता है।
मल कीचड़ उपचार संयंत्र (FSTP) क्या हैं?
- परिचय: FSSM, FSSM में विशेष सुविधाएँ हैं, जिन्हें सेप्टिक टैंक जैसी ऑन-साइट सफाई प्रणालियों से एकत्रित मल कीचड़ एवं सेप्टेज को संसाधित एवं उपचारित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- FSSM,मल के प्रबंधन पर प्राथमिक ध्यान केंद्रित करता है तथा इसे रोग संचरण की सर्वाधिक संभावना वाला अपशिष्ट प्रवाह मानता है।
- उद्देश्य: FSTP का निर्माण मानव अपशिष्ट के प्रबंधन एवं उपचार के लिये किया जाता है, जो केंद्रीयकृत सीवेज प्रणालियों से जुड़ा नहीं होता है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ अधिक व्यापक सीवेज बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होती है।
- ये संयंत्र एकत्रित मल कीचड़ का उपचार करते हैं, जिससे रोगाणुओं एवं कार्बनिक पदार्थों में कमी आती है, तथा यह निपटान पुनः उपयोग के लिये सुरक्षित हो जाता है।
- डिजिटल समेकन :दक्षता एवं प्रभावशीलता में सुधार के लिये FSTP में डिजिटल निगरानी के साथ ही प्रबंधन प्रणालियों को शामिल करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
- भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS):
- स्वच्छता अवसंरचना के मानचित्रण एवं नियोजन के लिये GIS प्रौद्योगिकी का उपयोग।
- मोबाइल एप्लीकेशन:
- क्षेत्र सर्वेक्षण और डेटा संग्रह को सुव्यवस्थित करने के लिये SaniTab, mWater, गूगल फॉर्म एवं Kobo टूलबॉक्स जैसे मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करना।
- ओडिशा तथा महाराष्ट्र में संचालित, मल निकासी सेवाओं के लिये GPS ट्रैकिंग का उपयोग करना।
- सतत् नगरीय सेवाएँ:
- ओडिशा ने सस्टेनेबल अर्बन सर्विसेज इन ए जिफी (SUJOG) कार्यक्रम आरंभ किया है, जो भविष्य के लिये शहर को धारणीय बनाने के लिये डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर गवर्नेंस, इम्पैक्ट एंड ट्रांसफॉर्मेशन (DIGIT) प्लेटफॉर्म द्वारा संचालित है।
- भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS):
भारत में स्वच्छता प्रणालियों के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
- ऑन-साइट स्वच्छता प्रणालियाँ(OSS):
- ट्विन पिट एवं सेप्टिक टैंक: ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचलित हैं जहाँ केंद्रीकृत सीवेज अव्यावहारिक है।
- वैकल्पिक साइट पर समाधान:
- बायो-डाइजेस्टर शौचालय, बायो-टैंक एवं मूत्र डायवर्जन के अंतर्गत शुष्क शौचालय शामिल करना।
- संग्रहण तथा निष्क्रिय उपचार इकाइयों के रूप में कार्य करना।
- सतत् एवं लागत प्रभावी स्वच्छता के लिये सुलभ इंटरनेशनल द्वारा जैव-शौचालय का निर्माण करना।
- शहरी स्वच्छता:
- सीवर सिस्टम और ट्रीटमेंट प्लांट भूमिगत सीवर नेटवर्क: घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों के लिये उपयुक्त, आपस में जुड़ी पाइपें अपशिष्ट जल को एकत्रित करती हैं और परिवहन करती हैं
- सीवेज उपचार संयंत्र (STP):
- वे भौतिक, जैविक और रासायनिक प्रक्रियाओं का उपयोग करते हैं तथा यंत्रीकृत और गैर-यंत्रीकृत दोनों प्रणालियों का उपयोग करते हैं।
मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (FSSM) की क्या आवश्यकता है?
- मैनुअल स्कैवेंजिंग का उन्मूलन:
- मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा जाति, वर्ग और आय के आधार पर संचालित होती है। यह भारत की जाति व्यवस्था से जुड़ी हुई है, जहाँ तथाकथित निचली जातियों से यह काम करने की अपेक्षा की जाती है।
- वर्ष 1989 में, अत्याचार निवारण अधिनियम सफाई कर्मचारियों के लिये एक एकीकृत सुरक्षा कवच बन गया, क्योंकि मैनुअल स्कैवेंजर के रूप में कार्यरत 90% से अधिक लोग अनुसूचित जाति के थे।
- स्वास्थ्य परिणाम:
- पर्याप्त स्वच्छता सुविधाएँ जलजनित बीमारियों को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो भारत की समग्र स्वास्थ्य स्थिति पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
- भारत में संपूर्ण स्वच्छता अभियान ने इस संबंध में सकारात्मक परिणाम प्रदर्शित किये हैं।
- पर्यावरण संरक्षण:
- गंगा नदी में अनुपचारित अपशिष्ट जल के निर्वहन सहित अनुचित सीवेज प्रबंधन पर्यावरण प्रदूषण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत बना हुआ है। इस समस्या से निपटने के लिये प्रभावी स्वच्छता प्रणालियों को लागू करना महत्त्वपूर्ण है।
- सामाजिक-आर्थिक प्रगति:
- बेहतर स्वच्छता का आर्थिक उत्पादकता में वृद्धि के साथ गहरा संबंध है, क्योंकि स्वस्थ समुदाय कार्यबल में भाग लेने और आर्थिक विकास में योगदान देने के लिये बेहतर ढंग से सुसज्जित होते हैं।
- गरिमा और सामाजिक समानता:
- उचित स्वच्छता सुविधाओं तक पहुँच मानव गरिमा हेतु मौलिक है, विशेष रूप से महिलाओं के लिये, क्योंकि यह व्यक्तिगत स्वच्छता के लिये सुरक्षित और निजी स्थान प्रदान करती है, जिससे जीवन की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
भारत में मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (FSSM) से संबंधित पहल क्या हैं?
- राष्ट्रीय मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (NFSSM) गठबंधन:
- NFSSM एलायंस जैसे संगठनों का उद्देश्य आमतौर पर धारणीय स्वच्छता प्रथाओं को बढ़ावा देना है, विशेष रूप से मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन के क्षेत्र में।
- मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2017 में सेप्टिक टैंकों के डिज़ाइन, मल-स्लजिंग के लिये संचालन प्रक्रियाओं और अनुपचारित निर्वहन हेतु दंड के बारे में विस्तार से बताया गया है।
- संवैधानिक समर्थन:
- भारतीय संविधान के अनुसार, स्वच्छता और जल राज्य के विषय (सातवीं अनुसूची, सूची II - राज्य सूची, प्रविष्टियाँ क्रमशः 6 और 17) हैं।
- 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 के तहत, स्वच्छता सहित शहरी सेवाओं की योजना और वितरण की ज़िम्मेदारी शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies- ULB) पर है, जो स्थानीय नगर पालिकाएं हैं।
- कानूनी ढाँचा:
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 और जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 जैसे कानून पर्यावरण में अनुपचारित प्रदूषकों के उत्सर्जन पर रोक लगाते हैं।
- सतही जल और भूजल संदूषण की रोकथाम करने के लिये संसाधित मल गाद के सुरक्षित निपटान के लिये ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 पारित किये गए।
- सफाई कर्मचारी नियोजन और शुष्क शौचालय संनिर्माण (प्रतिषेध) अधिनियम, 1993 और हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 (Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation Act) को मानव मल को हाथ से उठाने पर रोक लगाने के लिये पारित किया गया था और हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों को नियोजित करना एक दांडिक अपराध है।
- खुले में शौच-मुक्त (ODF)+ और ODF++ प्रोटोकॉल:
- भारत ने खुले में शौच-मुक्त (ODF)+ और ODF++ प्रोटोकॉल के शुभारंभ के माध्यम से FSSM के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाना जारी रखा है, स्वच्छ सर्वेक्षण में FSSM पर ज़ोर दिया है, साथ ही कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (अमृत) में FSSM के लिये वित्तीय आवंटन और स्वच्छ गंगा हेतु राष्ट्रीय मिशन (NMCG) मिशन की शुरुआत की है।
- संबंधित सतत् विकास लक्ष्य:
- SDG 3: अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण- सभी आयु वर्ग के लोगों के लिये स्वस्थ जीवन सुनिश्चित करना और कल्याण को बढ़ावा देना।
- SDG 6: स्वच्छ जल और स्वच्छता- ऑनसाइट स्वच्छता प्रणालियों के कामकाज़ में सुधार करना और मल-जनित रोगजनकों के साथ मानव संपर्क की संभावना को कम करना;
- SDG 11: सतत् शहर और समुदाय- शहरों और मानव बस्तियों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला और सतत् बनाना।
मल गाद और सेप्टेज प्रबंधन (FSSM) से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?
- संग्रह और परिवहन संबंधी मुद्दे:
- इसकी चुनौतियों में अवैध मैनुअल स्कैवेंजिंग की निरंतरता, सेप्टिक टैंकों तक सीमित पहुँच, टैंकों का अनुचित डिज़ाइन और आकार, अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा, निर्धारित सफाई की कमी और निजी क्षेत्र की अपर्याप्त औपचारिक भागीदारी शामिल है।
- डिजिटल बाधा:
- परिधीय क्षेत्रों में अविश्वसनीय या इंटरनेट पहुँच की कमी डिजिटल समाधानों के प्रभावी नियोजन में बाधा डालती है। FSSM प्रणालियों के बढ़ते डिजिटलीकरण से डेटा उल्लंघन और साइबर हमलों की संभावना बढ़ जाती हैं, जिसके लिये सुदृढ़ सुरक्षा उपायों की आवश्यकता होती है।
- प्रबंधन और निपटान की कमियाँ:
- सीवेज और सेप्टेज के प्रबंधन और निपटान के लिये पर्याप्त केंद्रीकृत या विकेंद्रीकृत सुविधाओं और निर्दिष्ट स्थलों की कमी विद्यमान है।
- पहुँच संबंधी बाधाएँ:
- घरेलू वित्तीय बाधाएँ, व्यक्तिगत शौचालयों के लिये सीमित स्थान और सांस्कृतिक या सामाजिक कारक जैसी चुनौतियाँ उचित स्वच्छता सुविधाओं तक व्यापक पहुँच में बाधा डालती हैं।
- संस्थागत उपागम:
- एकीकृत शहरव्यापी दृष्टिकोण के अभाव के कारण संस्थागत कर्तव्य और ज़िम्मेदारियाँ अव्यवस्थित हो जाती हैं।
आगे की राह
- सेप्टेज का पृथक प्रबंधन:
- सेप्टेज के पृथक प्रबंधन में अपशिष्ट को सुरक्षित रूप से संसाधित करने और निपटाने के लिये भौतिक, जैविक और रासायनिक अभिक्रियाओं जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है जो सतत् स्वच्छता प्रथाओं के साथ संरेखित होती हैं तथा स्वच्छ, स्वस्थ समुदायों के लक्ष्यों का समर्थन करती हैं।
- अप्रबंधित सेप्टेज का भूमिगत निपटान:
- मल गाद को गहरी खाई में दफनाकर उसका निपटान संभव है, यदि:
- उपयुक्त स्थान का चयन किया गया है
- सतह की मृदा को संदूषित होने से बचाया गया है
- मल गाद को गहरी खाई में दफनाकर उसका निपटान संभव है, यदि:
- डेटा सुरक्षा और गोपनीयता:
- एकत्रित डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मजबूत तंत्र विकसित करना।
- उदाहरण के लिये, संवेदनशील सरकारी डेटाबेस में उपयोग किये जाने वाले एन्क्रिप्शन और एक्सेस कंट्रोल उपायों को लागू करना।
- सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना:
- स्वच्छता बनाए रखने और सेप्टिक टैंकों के नियमित रखरखाव की आवश्यकता के बारे में जानकारी फैलाने के लिये जागरूकता अभियान या सूचना शिक्षा और संचार (Information education and communication) आयोजित किये जा सकते हैं।
- इसके अलावा, इससे भेदभाव वाले वर्गों के मामले में सामाजिक सशक्तिकरण हो सकता है और मल संग्रह और परिवहन को समाप्त किया जा सकता है।
- मानकीकरण और एकीकरण:
- विभिन्न मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर डेटा संग्रह और साझा करने के लिये मानकीकृत प्रोटोकॉल विकसित करना।
- ओडिशा के SUJOG कार्यक्रम में उपयोग किये जाने वाले DIGIT प्लेटफ़ॉर्म के समान एक राष्ट्रीय स्तर का डेटा एकीकरण प्लेटफ़ॉर्म बनाना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन कार्यान्वयन के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं तथा डिजिटल प्रौद्योगिकी ने भारतीय शहरों में मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन प्रथाओं में किस प्रकार सुधार किया है? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी 'राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA)' की प्रमुख विशेषताएँ हैं? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्सप्रश्न: नमामि गंगे और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) कार्यक्रमों पर और इससे पूर्व की योजनाओं से मिश्रित परिणामों के कारणों पर चर्चा कीजिये। गंगा नदी के परिरक्षण में कौन-सी प्रमात्रा छलांगे, क्रमिक योगदानों की अपेक्षा ज़्यादा सहायक हो सकती हैं? (2015) |