अंतर्राष्ट्रीय संबंध
गंगा वृक्षारोपण योजना
- 21 Jul 2018
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चर्चा में क्यों?
9 से 15 जुलाई, 2018 तक राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की ओर से गंगा घाटी वाले पाँच प्रमुख राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में ‘गंगा वृक्षारोपण अभियान’ का आयोजन किया गया।
वृक्षारोपण योजना के लिये नोडल एजेंसी
- इस अभियान को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिये संबंधित राज्यों के वन विभागों को नोडल एजेंसी बनाया गया था। अभियान के संचालन के लिये ज़िला स्तर पर मंडलीय वन अधिकारियों को तथा राज्य स्तर पर मुख्य वन संरक्षकों को नोडल अधिकारी बनाया गया था।
अभियान में शामिल अन्य संस्थान
- अभियान में नेहरू युवा केंद्र संगठन, गंगा विचार मंच, कई गैर सरकारी संगठनों और शिक्षण संस्थानों ने इस अभियान में भाग लिया। ज़िला गंगा समितियों ने भी अभियान को सफल बनाने के लिये सहयोग किया।
वृक्षारोपण अभियान के बारे में महत्त्वपूर्ण बिंदु
- वृक्षारोपण अभियान ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम का मुख्य घटक है।
- यह गंगा के संरक्षण में वन विभाग की ओर से सहयोग की पहल है।
- इसका मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के संरक्षण के प्रयासों में वनों के महत्त्व के प्रति आम जनता तथा सभी हितधारकों को जागरूक बनाना है।
- अभियान को जन आंदोलन का रूप देने के लिये स्कूलों, कॉलेजों और विभागों से ‘एक पौधे को गोद लें’ का अनुरोध किया गया।
- स्थानीय लोगों की भागीदारी से गंगा नदी के किनारे बड़े पैमाने पर पौधरोपण किया गया।
- अभियान के उपलक्ष्य में 100 से ज़्यादा स्थानों पर औपचारिक कार्यक्रम आयोजित किये गए। उत्तर प्रदेश में इसे ‘गंगा हरीतिमा अभियान’ के साथ जोड़ा गया।
गंगा हरीतिमा अभियान
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अभियान में वन अनुसंधान संस्थान का सहयोग
- अभियान के दौरान वृक्षारोपण कार्यक्रम को वैज्ञानिक तरीके से लागू करने के लिये देहरादून स्थित वन अनुसंधान संस्थान को एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। इस रिपोर्ट के आधार पर ही राज्य के वन विभागों ने पौधरोपण गतिविधियाँ चलाईं।
- वन अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट में पौधा रोपण करते समय स्थानीय जलवायु, पारिस्थितिकी, वहाँ की मिट्टी की स्थिति तथा वनस्पतियों को ध्यान में रखने के लिये कहा गया था।
गंगा घाटी क्षेत्र में वृक्षारोपण का महत्त्व
- जहाँ वन होते हैं, वहाँ वर्षा अधिक होती है, जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ता है।
- बड़ी मात्रा में पेड़ों से गिरने वाली पत्तियाँ और छालें वर्षा जल को तेज़ी से बहने नहीं देती और वह धीरे-धीरे ज़मीन के अंदर रिसता जाता है, जिससे जल चक्र की प्रक्रिया आसानी से चलती रहती है।
- इसके अतिरिक्त नदियों के किनारे स्थित घने वन, नदियों को स्वत: साफ होने की क्षमता प्रदान करते हैं।
- ऐेसे में गंगा के किनारे वन लगाए जाने से गंगा संरक्षण के कार्यक्रम को बल मिल रहा है।