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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विदेश मंत्री की ईरान यात्रा

  • 06 Aug 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चाबहार बंदरगाह, ईरान, अफगानिस्तान की विश्व के मानचित्र में अवस्थिति

मेन्स के लिये:

भारत-ईरान संबंध

चर्चा में क्यों?

भारत के विदेशमंत्री (External Affairs Minister- EAM) नये ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिये ईरान गये हैं। यह हाल के दिनों में तनाव में रहे ईरान के साथ संबंधों को फिर से स्थापित करने का प्रयास करने वाली एक ऐतिहासिक घटना है।

  • तालिबान तथा अफगान सुरक्षा बलों के बीच अफगानिस्तान में गृहयुद्ध के बढ़ने के बीच एक महीने में विदेशमंत्री की यह दूसरी यात्रा हो रही है।

Chabahar-Port

प्रमुख बिंदु:

  • भारत के लिये ईरान का महत्त्व:
    • भू-रणनीतिक पहुँच: भारत, ईरान को चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भू-आबद्ध अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुँचने की कुंजी के रूप में देखता है।
      • ईरान की भौगोलिक स्थिति विशेष रूप से मध्य एशिया के लिये, जो प्राकृतिक संसाधनों का एक समृद्ध भंडार है, भारत की भू-राजनीतिक पहुँच के लिये सर्वोपरि है।
      • इसी प्रकार अफगानिस्तान में भारत की पहुँच के लिये ईरान महत्त्वपूर्ण है, जिसमें भारत के महत्त्वपूर्ण रणनीतिक और सुरक्षा हित शामिल हैं।
      • इसके अलावा, भारत चाबहार बंदरगाह का विकास पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान के साथ व्यापार करने में किये जाने वाली बाधाओं को दूर करने के लिये कर रहा है।
    • ऊर्जा सुरक्षा: ईरान, हाइड्रोकार्बन के सबसे संपन्न देशों में से एक और भारत, ऊर्जा की आवश्यकता के साथ तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वाले देशों में से एक ऐसी परिस्थितियाँ  दोनों देशों को प्राकृतिक भागीदार बनाते हैं।
  • यात्रा का महत्त्व:
    • भारत-ईरान संबंधों में संघर्ष के कारण:
    • अफगानिस्तान से उत्पन्न सुरक्षा चिंताएँ: अफगानिस्तान में तेज़ी से विकास के बीच यह दौरा हुआ है, जब अमेरिका ने सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है और तालिबान ने अफगान शहरों पर अपने हमले बढ़ा दिये हैं।
      • तालिबान का तेज़ी से बढ़ना भारत और ईरान दोनों के लिये चिंता का विषय है।
      • इस संदर्भ और साझा हितों को देखते हुए, भारत और ईरान के लिये विशेष रूप से अफगानिस्तान पर अधिक निकटता से सहयोग करना आवश्यक है।
  • संबद्ध चुनौतियाँ:
    • अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में भारत का बहिष्कार: एक और "ट्रोइका प्लस" बैठक, अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया पर यू.एस.-रूस-चीन-पाकिस्तान समूह, दोहा में आयोजित होने जा रहा है।
      • हालाँकि, भारत और ईरान, जो दो क्षेत्रीय शक्तियाँ हैं, को बाहर रखा जा रहा है।
  • ईरान पर लगातार प्रतिबंध: ईरान पर डोनाल्ड ट्रम्प की नीति को उलटने के अभियान के वादे के बावजूद, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के प्रशासन ने वर्ष 2017-2018 में लगाये गये अधिकांश अतिरिक्त प्रतिबंधों को वापस लेना शेष है।

आगे की राह:

  • भारत ने चाबहार बंदरगाह को अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे के ढाँचे में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।
    • इस संदर्भ में, चाबहार बंदरगाह के संयुक्त उपयोग पर भारत-उज्बेकिस्तान-ईरान-अफगानिस्तान चतुर्भुज कार्य समूह का गठन एक स्वागत योग्य कदम है।
  • भारत को एक तरफ ईरान के साथ और दूसरी तरफ सऊदी अरब तथा इज़रायल जैसे अपने सहयोगियों के साथ-साथ अमेरिका के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू

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