अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-ईरान संयुक्त आयोग
- 23 Dec 2019
- 5 min read
प्रीलिम्स के लिये:
चाबहार बंदरगाह और ईरान की भौगोलिक स्थिति
मेन्स के लिये:
भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दे
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के विदेशमंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर ने 19वें भारत-ईरान संयुक्त आयोग (19th India-Iran Joint Commission) की बैठक के दौरान ईरान के विदेश मंत्री जावेद ज़रीफ से मुलाकात की।
- इस बैठक के दौरान चाबहार बंदरगाह (Chabahar Port) और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम {Citizenship (Amendment) Act} जैसे विषयों पर वार्ता हुई।
- बैठक में दोनों देशों ने अपने "प्राचीन, ऐतिहासिक और अटूट" संबंधों पर प्रतिबद्धता व्यक्त की, साथ ही दोनो देशों को प्रभावित करने वाले निकट द्विपक्षीय संबंधों एवं क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर भी वार्ता की।
भारत के दृष्टिकोण से ईरान का महत्त्व:
- भारत और ईरान के संबंध प्राचीनकाल से ही बहुआयामी और गहरे रहे हैं। ईरान की भौगोलिक स्थिति भारत के लिये अतिमहत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत ईरान के माध्यम से अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधी कनेक्टविटी प्राप्त कर सकता है।
- वर्तमान में भारत यही कार्य कर भी रहा है। चाबहार बंदरगाह के अतिरिक्त अश्गाबाद समझौता (Ashgabat Agreement) और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (International North–South Transport Corridor- INSTC) के माध्यम से भारत, ईरान के साथ द्विपक्षीय संबंध मज़बूत करने के साथ ही क्षेत्रीय महत्त्वाकांक्षाओं तथा आवश्यकताओं का भी ध्यान रख रहा है।
- भारत और ईरान की अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ पाकिस्तान से लगती हैं इसलिये भारत तथा ईरान के बीच बेहतर राजनीतिक संबंध पाकिस्तान के लिये भू-राजनीतिक दबाव उत्पन्न करेगा।
- भारत की अर्थव्यवस्था आज भी ऊर्जा के परंपरागत स्रोत्रों अर्थात् तेल पर निर्भर करती है, भारत अभी भी तेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता नहीं प्राप्त कर सका है, इसलिये उसे तेल के आयात पर निर्भर रहना होता है। इस प्रकार की स्थिति में भारत के लिये ईरान का महत्त्व अत्यधिक बढ़ जाता है। इसी के मद्देनज़र भारत, ईरान के ऊपर अमेरिकी प्रतिबंधों के इतर तेल आयात का भुगतान भारतीय रुपए और यूरो में करते हुए अपने संबंधों को प्रगाढ़ बनाए हुए है।
भारत-ईरान से संबंधित मुद्दे:
- ईरान ने चिंता जताई है कि ईरान के ऊपर वैश्विक कार्यवाही के मद्देनज़र भारत ने भी सभी तेल आयातों को रोक दिया था। इस प्रकार की कार्यवाही से भारत और ईरान के संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा साथ ही चाबहार बंदरगाह विकास परियोजनाओं की विकास गति भी बहुत धीमी हो गई।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिये भारत को प्रदान की गई "आंशिक छूट" (Narrow Exemption) जारी रहेगी। चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भारत अफगानिस्तान को किये जाने वाले अपने निर्यात में विविधता लाना चाहता है।
- भारत-ईरान संयुक्त आयोग की बैठक के बाद भारत, ईरान और अफगानिस्तान के राजनयिकों के मध्य नई दिल्ली में चाबहार में त्रिपक्षीय परियोजना के विकास हेतु कई नई पहलों पर चर्चा के लिये मुलाकात की गई।
भारत और इस्लामिक सहयोग संगठन:
- नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और सर्वोच्च न्यायालय के अयोध्या मामले से संबंधित फैसले के बारे में 57 सदस्यीय संगठन इस्लामिक सहयोग संगठन ने भारत में मुसलमान अल्पसंख्यकों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
- जेद्दा स्थित OIC के सचिवालय का नेतृत्व सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा किया जाता है।