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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-मध्य एशिया वार्ता की दूसरी बैठक

  • 29 Oct 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

मध्य एशिया, अश्गाबात समझौता 

मेन्स के लिये

भारत और मध्य एशिया के बीच विकसित होते संबंध 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत-मध्य एशिया वार्ता की दूसरी बैठक में मध्य एशियाई गणराज्यों ने आतंकवाद के ‘सुरक्षित ठिकानों’ (Safe Havens) को नष्ट करने की मांग करते हुए संयुक्त रूप से अफगानिस्तान में शांति वार्ता के लिये समर्थन व्यक्त किया जो युद्धग्रस्त देश (अफगानिस्तान) के लिये एक नए युग की शुरुआत की उम्मीद है। 

प्रमुख बिंदु:

  • द्वितीय भारत-मध्य एशिया वार्ता के दौरान भारत एवं मध्य एशियाई देशों के प्रतिनिधियों ने आतंकवाद के सभी रूपों एवं अभिव्यक्तियों की कड़ी निंदा की और आतंकवादियों के सुरक्षित पनाहगाहों, नेटवर्क, बुनियादी ढाँचे एवं फंडिंग चैनलों को नष्ट करके इस खतरे का मुकाबला करने के लिये अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि की।
    • इस अवसर पर सभी देशों ने यह भी सुनिश्चित किया कि किसी भी देश में आतंकवादी हमले के  लिये अपनी ज़मीन का इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा।
  • इस वार्ता बैठक में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मध्य एशियाई क्षेत्र को भारत का ‘विस्तारित पड़ोसी’ (Extended Neighborhood) बताया।
  • भारत की तरफ से मध्य एशियाई देशों के लिये अतिरिक्त $1 बिलियन लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा की गई जिसे प्रमुख अवसंरचना एवं कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर खर्च किया जाएगा।
    • $1 बिलियन ‘लाइन ऑफ क्रेडिट’ के अलावा भारत ने मध्य एशिया में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने हेतु उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं के लिये अनुदान सहायता की पेशकश की।
  • कज़ाखस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों और किर्गिज गणराज्य के पहले उप विदेश मंत्री ने अपने संयुक्त वक्तव्य में ईरान में चाबहार बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण हेतु भारत के प्रयासों पर प्रकाश डाला जो मध्य और दक्षिण एशिया के बाज़ारों के बीच व्यापार एवं परिवहन संचार में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी बन सकता है।
    • गौरतलब है कि उज़्बेकिस्तान में पहली भारत-मध्य एशिया वार्ता (First India-Central Asia Dialogue) में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मध्य एशिया के देशों को चाबहार बंदरगाह परियोजना में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया था। इसे संयुक्त रूप से भारत और ईरान द्वारा अफगानिस्तान में भारतीय वस्तुओं को उतारने और उन्हें विभिन्न स्थानों पर भेजने के लिये विकसित किया गया है।

भारत और मध्य एशिया:

  • सोवियत संघ के विघटन के बाद से भारत मध्य-एशियाई गणराज्यों के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करने की कोशिश कर रहा है। 
  • मध्य एशियाई देशों के भू-आबद्ध होने के कारण भारत का सभी पाँच मध्य एशियाई देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार 2 बिलियन डॉलर के आसपास है। परिणामतः मध्य एशियाई देशों के बाज़ारों तक पहुँचने के लिये भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह को विकसित करके वैकल्पिक मार्ग तैयार किया जा रहा है।
    • हालाँकि भौगोलिक रूप से अफगानिस्तान और मध्य एशिया भू-आबद्ध क्षेत्र हैं, इसके बावजूद ऐसे कई कारक हैं जिनकी वजह से  भारत, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देश इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिये काम कर सकते हैं ताकि देशों के बीच व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में आदान-प्रदान सुनिश्चित हो सके।
  • वर्ष 2019 में भारत द्वारा मध्य एशिया के देशों के साथ एयर कॉरिडोर पर बातचीत का प्रस्ताव रखा गया जिसे व्यापार को बढ़ावा देने की कोशिश के रूप में देखा गया।
    • यद्यपि भारत ने पहले से ही भारत और कई अफगान शहरों के बीच माल के परिवहन के लिये हवाई गलियारे खोले हैं। 
    • वहीं वर्ष 2018 के अश्गाबात समझौते में शामिल होकर भारत ने ‘क्षेत्र में कनेक्टिविटी के कई विकल्पों’ का समर्थन किया है। अश्गाबात समझौते का उद्देश्य ईरान, ओमान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारे की स्थापना करना है।

मध्य एशिया (Central Asia): 

Kazakhstan

  • एशिया महाद्वीप में मध्य एशिया एक ऐसा क्षेत्र है जो पश्चिम में कैस्पियन सागर से लेकर पूर्व में चीन एवं मंगोलिया तक तथा दक्षिण में अफगानिस्तान एवं ईरान से लेकर उत्तर में रूस तक फैला हुआ है।
  • इस क्षेत्र के अंतर्गत पूर्व सोवियत गणराज्य कज़ाखस्तान, किर्गिज़स्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान आते हैं।
  • मध्य एशिया ऐतिहासिक रूप से यायावर लोगों एवं सिल्क रोड के साथ निकटता से संबंधित है।
  • इसने यूरोप, पश्चिम एशिया, दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के लोगों, की आवाजाही एवं माल व विचारों के आदान-प्रदान के लिये ‘एक चौराहे के रूप में’ कार्य किया है।
  • सिल्क रोड ने मुस्लिम देशों को यूरोप, दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया के लोगों से जोड़ा जिस कारण मध्य एशिया की अवस्थिति ने आदिवासीवाद (Tribalism) और परंपरावाद (Traditionalism) और आधुनिकीकरण (Modernization) के बीच संघर्ष को तेज़ किया।
  • मध्य एशिया की सामरिक, आर्थिक-सामाजिक-राजनीतिक-सांस्कृतिक महत्ता के कारण वर्ष 1843 में भूगोलवेत्ता अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (Alexander von Humboldt) द्वारा ‘’मध्य एशिया को आधुनिक दुनिया के लिये विश्व के एक अलग क्षेत्र के रूप में’’ उल्लेख किया गया है। 

स्रोत- द हिंदू

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