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भारत-विश्व

भारत का मध्य-एशिया के साथ बेहतर उड़ान संपर्क का प्रयास

  • 14 Jan 2019
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?


भारत ने हाल ही में मध्य एशिया के देशों के साथ एयर कॉरिडोर पर बातचीत करने का प्रस्ताव रखा। इसे वर्षों से 2 अरब डॉलर से नीचे रहे व्यापार को बढ़ावा देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वित्तीय ज़िम्मेदारी के सिद्धांतों का पालन करने के लिये कनेक्टिविटी पहल की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।

पहला भारत-मध्य एशिया संवाद

  • उज़्बेकिस्तान में पहली भारत-मध्य एशिया वार्ता (First India-Central Asia Dialogue) में एक भाषण में स्वराज ने मध्य एशिया के देशों को चाबहार बंदरगाह परियोजना में भाग लेने के लिये आमंत्रित किया। इसे संयुक्त रूप से भारत और ईरान द्वारा अफगानिस्तान में भारतीय वस्तुओं को उतारने और उन्हें विभिन्न स्थानों पर भेजने के लिये विकसित किया गया है।
  • विदेश मंत्री स्वराज कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और युद्ध से तबाह अफगानिस्तान को स्थायित्व प्रदान करने के तरीकों सहित कई मुद्दों पर बातचीत करने के लिये दो दिवसीय यात्रा पर उज़्बेकिस्तान के शहर समरकंद पहुँचीं।
  • स्वराज ने अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2015 में किये गए सभी पाँच मध्य एशियाई देशों- कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के दौरों का उल्लेख किया।
  • विकास साझेदारी भारत के अन्य देशों के साथ जुड़ाव का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरी है।
  • उन्होंने इस साझेदारी को मध्य एशिया में भी विस्तारित करने की पेशकश की है, जहाँ हम देशों को अपनी परियोजनाओं तथा क्रेडिट्स एंड बायर्स क्रेडिट के तहत तथा अपनी विशेषज्ञता साझा कर करीब ला सकते हैं।

मध्य एशियाई देशों के साथ घनिष्ठ संबंध

  • भारत 1990 के दशक से मध्य-एशियाई गणराज्यों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है लेकिन अब तक के प्रयासों के बेहतर परिणाम नहीं निकले पाए हैं।
  • भारत का सभी पाँच देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार 2 बिलियन डॉलर से कम है। भारत ने इसके लिये मध्य एशिया को भू-आबद्ध (land-locked) क्षेत्र के रूप में होने को ज़िम्मेदार माना है और वाणिज्य में सुधार के लिये चाबहार पोर्ट के माध्यम से वैकल्पिक मार्ग खोजने की कोशिश की है।
  • हालाँकि भौगोलिक रूप से अफगानिस्तान और मध्य एशिया भू-आबद्ध क्षेत्र हैं, इसके बावजूद ऐसे कई तरीके हैं जिनसे भारत, अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देश इस क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिये काम कर सकते हैं ताकि देशों के बीच व्यापार और वाणिज्य के क्षेत्र में आदान-प्रदान सुनिश्चित हो सके।
  • इस संदर्भ में भारत, ईरान और अफगानिस्तान के संयुक्त प्रयासों से ईरान में चाबहार पोर्ट के विकास ने एक व्यवहार्य और परिचालन व्यापार मार्ग के रूप में अफगानिस्तान और मध्य एशिया में व्यापार हेतु एक नई उम्मीद जगाई है।
  • चाबहार एक मज़बूत उदाहरण प्रस्तुत करता है कि किसी भी बाधा को दूर करने के लिये मज़बूत साझेदारी की अहमियत क्या हो सकती है।

एयर कॉरिडोर पर वार्ता

  • मध्य एशिया के साथ घनिष्ठ व्यापार संबंधों को आगे बढ़ाने के लिये भारत और मध्य एशिया के नागरिक उड्डयन प्राधिकरणों, हवाई माल ढुलाई और विमानन कंपनियों की भागीदारी के साथ भारत 'एयर कॉरिडोर पर एक संवाद' आयोजित करने का इच्छुक है ताकि, वस्तुओं (जिसमें जल्द खराब होने वाली वस्तुएँ भी शामिल हैं) का कुशलता और तेज़ी से आदान-प्रदान किया जा सके।
  • भारत ने पहले से ही भारत और कई अफगान शहरों के बीच माल के परिवहन के लिये हवाई गलियारे खोले हैं।
  • पिछले साल अश्गाबाद समझौते में शामिल होकर भारत ने ‘क्षेत्र में कनेक्टिविटी के कई विकल्पों’ का समर्थन किया है। अश्गाबाद समझौते का उद्देश्य ईरान, ओमान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारे की स्थापना करना है।
  • स्वराज ने ‘सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों, सुशासन, कानून का शासन, खुलापन, पारदर्शिता और समानता’ के आधार पर कनेक्टिविटी पहल की आवश्यकता को रेखांकित किया।

स्रोत : लाइव मिंट

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