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स्कूली बच्चों की सुरक्षा

  • 26 Sep 2024
  • 16 min read

प्रारंभिक परीक्षा के लिये:

सर्वोच्च न्यायालय, स्कूल सुरक्षा और संरक्षा दिशानिर्देश 2021राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR), शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009, NISHTHA कार्यक्रम, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020, SDG 16, E-बालनिदान, POCSO ई-बॉक्स

मुख्य परीक्षा के लिये:

स्कूल सुरक्षा और संरक्षा दिशानिर्देश, 2021 को लागू करने में NCPCR की भूमिका

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के बदलापुर में दो स्कूली छात्राओं के साथ यौन उत्पीड़न की घटना के बाद स्कूलों में स्कूल सुरक्षा और संरक्षा दिशानिर्देश, 2021 को लागू करने का निर्देश दिया। 

स्कूल सुरक्षा और संरक्षा दिशानिर्देश, 2021 क्या हैं?

  • शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा के लिये स्कूल प्रबंधन की जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु दिशानिर्देश तैयार किये हैं।
    • इसमें सुरक्षा उपायों, कर्मचारियों की ज़िम्मेदारियों और क्षति या दुर्व्यवहार की घटनाओं को रोकने की प्रक्रियाओं सहित प्रमुख मुद्दों पर ध्यान दिया गया है।
    • यह निजी स्कूलों सहित सभी स्कूलों पर लागू है।
  • दिशानिर्देशों का उद्देश्य:
    • स्कूल में सुरक्षित वातावरण का निर्माण: एक सुरक्षित और संरक्षित स्कूल वातावरण बनाने के लिये सभी हितधारकों यानी छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों एवं स्कूल प्रबंधन के बीच सहयोगी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहिये।
    • मौजूदा अधिनियमों, नीतियों और दिशा-निर्देशों के बारे में जागरूकता: सभी हितधारकों को बाल सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं से संबंधित विभिन्न कानूनों, नीतियों, प्रक्रियाओं और दिशा-निर्देशों के बारे में जागरूक करना चाहिये। उदाहरण के लिये, किशोर न्याय मॉडल नियम, 2016, शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 आदि।
    • शून्य सहनशीलता नीति: किसी भी प्रकार की लापरवाही या कदाचार के विरुद्ध "शून्य सहनशीलता नीति" लागू करने के साथ अपराधी को कठोर दंड देना।
  • त्रि-आयामी दृष्टिकोण:
    • बाल सुरक्षा के लिये जवाबदेहिता: सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में स्कूल के प्रमुख, शिक्षक और शिक्षा प्रशासन को बाल सुरक्षा के लिये जवाबदेह ठहराया गया है।
      • निजी और गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में ज़िम्मेदारी स्कूल प्रबंधन, प्रधानाचार्य और शिक्षकों की है। 
    • संपूर्ण विद्यालयी दृष्टिकोण: इन दिशानिर्देशों के तहत शिक्षा में सुरक्षा और संरक्षा पहलुओं को शामिल करके "संपूर्ण विद्यालयी दृष्टिकोण" पर बल दिया गया है।
      • इसमें बाल सुरक्षा के स्वास्थ्य, शारीरिक, सामाजिक-भावनात्मक, मनो-सामाजिक और संज्ञानात्मक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना तथा छात्रों के कल्याण के बारे में समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करना शामिल है।
    • बहु-क्षेत्रीय चिंताएँ: इसमें शिक्षा क्षेत्र से परे विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से प्राप्त इनपुट और अनुशंसाओं को एकीकृत किया जाता है। उदाहरण के लिये, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा स्वास्थ्य एवं स्वच्छता प्रोटोकॉल।
  • प्रमुख विशेषताऐं: 
    • शिक्षक और हितधारक क्षमता निर्माण: इसमें सुरक्षा प्रोटोकॉल को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिये शिक्षकों, स्कूल प्रमुखों, अभिभावकों और छात्रों की संवेदनशीलता, उन्मुखीकरण और क्षमता निर्माण की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है।
      • उदाहरण के लिये, प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के लिये निष्ठा कार्यक्रम में कोविड-19 के प्रति शैक्षिक प्रतिक्रिया पर एक विशेष मॉड्यूल शामिल किया गया।
    • साइबर सुरक्षा और ऑनलाइन शिक्षा: इसके तहत बच्चों और शिक्षकों के लिये मज़बूत डिजिटल सुरक्षा उपायों को अपनाने हेतु साइबर और ऑनलाइन सुरक्षा के महत्त्व पर बल दिया गया है।
    • आपदा प्रबंधन और सुरक्षा नीतियों का अनुपालन: इसे भौतिक अवसंरचना और आपदा तैयारी के संबंध में स्कूल सुरक्षा नीति पर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशानिर्देश,2016 के अनुरूप बनाया गया है।
      • यह आवासीय विद्यालयों के लिये राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के दिशानिर्देशों के भी अनुरूप है।
    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020: NEP, 2020 के तहत सभी स्कूलों द्वारा कुछ व्यावसायिक और गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने को सुनिश्चित करने के लिये एक राज्य स्कूल मानक प्राधिकरण (SSSA) के गठन को अनिवार्य बनाया गया है।
      • इस नीति में आवासीय छात्रावासों में विद्यार्थियों (विशेषकर बालिकाओं) की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का अनुपालन: बाल अधिकार सम्मेलन के तहत राष्ट्रों को यह सुनिश्चित करने के लिये बाध्य किया गया है कि बच्चों को सभी प्रकार की हिंसा से संरक्षित किया जाए।
  • सतत् विकास लक्ष्यों की पूर्ति: सतत् विकास लक्ष्य संख्या 4, सभी के लिये समावेशी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने से संबंधित है।
    • SDG संख्या 16 बच्चों के विरुद्ध हिंसा से संबंधित होने के साथ हिंसा को कम करके तथा बच्चों के शोषण, तस्करी और दुर्व्यवहार को समाप्त करके शांतिपूर्ण एवं समावेशी समाज को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

सर्वोत्तम प्रथाएँ: 

  • नागालैंड ने स्कूल काउंसलिंग में 9 महीने का डिप्लोमा कोर्स शुरू किया है और इसे वर्ष 2018 से स्कूल काउंसलिंग के सिद्धांत एवं व्यवहार में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के प्राथमिक उद्देश्य से डिज़ाइन और प्रस्तुत किया गया है।
  • यह शिक्षकों और पेशेवरों को छात्रों के भावनात्मक एवं मनोवैज्ञानिक कल्याण को बढ़ावा देने के क्रम में आवश्यक कौशल और ज्ञान से लैस करता है।

बच्चों के कल्याण की दिशा में कार्य करने वाले NGO 

  • बचपन बचाओ आंदोलन (BBA): यह भारत का सबसे बड़ा जमीनी स्तर का तस्करी विरोधी आंदोलन है। इसकी शुरुआत वर्ष 1980 में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने बच्चों को सभी प्रकार के शोषण से बचाने के उद्देश्य से की थी।
  • CRY (बाल अधिकार और आप): यह निःशुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच प्रदान करने के साथ बच्चों के विरुद्ध हिंसा, दुर्व्यवहार और शोषण को रोकने पर केंद्रित है।
  • प्रथम: प्रथम एक नवोन्मेषी शिक्षण संगठन है जिसकी स्थापना भारत में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये की गई है।
  • नन्ही कली: यह कक्षा 1 से 10 तक की वंचित बालिकाओं को 360 डिग्री सहायता प्रदान करती है, जिसका उद्देश्य उन्हें सम्मान के साथ अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने में सक्षम बनाना है। 

बाल सुरक्षा सुनिश्चित करने में NCPCR की क्या भूमिका है?

  • निगरानी की ज़िम्मेदारी: NCPCR और SCPCRs (राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग) स्कूल सुरक्षा और संरक्षा से संबंधित दिशानिर्देशों के कानूनी पहलुओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये ज़िम्मेदार हैं।
  • ई-बाल निदान: बाल अधिकारों के विभिन्न उल्लंघनों और वंचना की शिकायतों का समय पर निवारण सुनिश्चित करने के लिये NCPCR की एक समर्पित ऑनलाइन शिकायत प्रणाली "ई-बाल निदान" है।
  • पोक्सो ई-बॉक्स: NCPCR ने बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की आसान और प्रत्यक्ष रिपोर्टिंग के साथ-साथ पोक्सो अधिनियम, 2012 के तहत अपराधियों के खिलाफ समय पर कार्रवाई के लिये पोक्सो ई-बॉक्स शुरू किया है।
  • शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009: शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 की धारा 31 और धारा 32 के तहत NCPCR और SCPCRs को बच्चों की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने सहित RTE अधिनियम, 2009 के कार्यान्वयन की देखरेख का कार्य सौंपा गया है।
  • बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005: CPCR अधिनियम, 2005 की धारा 13(1) के तहत NCPCR और SCPCRs को बाल अधिकार उल्लंघन की शिकायतों की जाँच करने एवं बाल संरक्षण कानूनों के कार्यान्वयन की निगरानी आदि का कार्य सौंपा गया है।
    • NCPCR और SCPCRs बाल अधिकारों के उल्लंघन और वंचना से संबंधित मामलों का स्वतः संज्ञान ले सकते हैं।
  • किशोर न्याय अधिनियम, 2015: किशोर न्याय अधिनियम, 2015 की धारा 109, आयोगों को बच्चों की सुरक्षा के लिये किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के कार्यान्वयन की निगरानी का कार्य सौंपा गया है।

बच्चों की सुरक्षा और संरक्षण के लिये संविधान के प्रावधान

प्रावधान

अधिकार

अनुच्छेद 14

कानून के समक्ष समता का मौलिक अधिकार

अनुच्छेद 15 (3)

विशेष प्रावधानों का मौलिक अधिकार

अनुच्छेद 21

जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार

अनुच्छेद 21A

6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिये निःशुल्क एवं अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार

अनुच्छेद 23 और 24

शोषण के विरुद्ध मौलिक अधिकार

अनुच्छेद 39 (E)

स्वास्थ्य का अधिकार और आर्थिक आवश्यकता के कारण दुर्व्यवहार से मुक्ति

अनुच्छेद 39 (F)

सम्मान के साथ विकास का अधिकार तथा शोषण और नैतिक एवं भौतिक परित्याग से बचपन तथा युवावस्था की गारंटीकृत सुरक्षा

अनुच्छेद 46

कमज़ोर वर्गों की विशेष शैक्षिक देखभाल के साथ सामाजिक अन्याय एवं सभी प्रकार के शोषण से सुरक्षा का अधिकार

अनुच्छेद 47

पोषण, जीवन स्तर और बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य का अधिकार

अनुच्छेद 51A (k)

शिक्षा के अवसर प्रदान करना, माता-पिता या अभिभावकों का कर्त्तव्य है

आगे की राह:

  • NCPCR के दिशानिर्देशों का सख्ती से अनुपालन: स्कूलों को स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर NCPCR के मैनुअल का सख्ती से पालन करना चाहिये एवं उनके सुरक्षा प्रोटोकॉल में अंतराल की पहचान करनी चाहिये तथा उन्हें हल करना चाहिये।
  • सुरक्षा योजना: प्रत्येक स्कूल को अपनी स्कूल विकास योजना (SDP) के एक प्रमुख घटक के रूप में स्कूल सुरक्षा योजना को शामिल करना चाहिये। 
  • सेवाकालीन शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों को बाल यौन अपराध निवारण (POCSO) अधिनियम, 2012 सहित विभिन्न सुरक्षा मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिये तथा अपराधों की रिपोर्टिंग के लिये उनकी ज़िम्मेदारियों के बारे में भी जागरूक किया जाना चाहिये।
    • स्कूलों को POCSO अधिनियम, 2012 की धारा 19 के अनुसार बाल यौन शोषण से संबंधित किसी भी अपराध या संदेह की रिपोर्ट करनी चाहिये।
  • एंटी बुलिंग समिति (Anti-Bullying Committee): स्कूलों को अवैध गतिविधि विरोधी समितियों की स्थापना करनी चाहिये, रैगिंग रोकथाम कार्यक्रम लागू करने चाहिये एवं नियमित रूप से इसकी प्रभावशीलता पर चर्चा करनी चाहिये।
  • स्कूल सुरक्षा सप्ताह: स्कूलों को सभी सुरक्षा व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिये प्रत्येक शैक्षणिक सत्र की शुरुआत में स्कूल सुरक्षा सप्ताह मनाना चाहिये।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक उपायों पर चर्चा कीजिये। इसे लागू करने में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की क्या भूमिका है?

 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs) 

मेन्स

प्रश्न. राष्ट्रीय बाल नीति के प्रमुख प्रावधानों का परीक्षण करते हुए इसके कार्यान्वयन की स्थिति पर प्रकाश डालिये। (2016)

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