हिमालयी क्षेत्र में पूर्व चेतावनी प्रणाली | 10 Nov 2022
प्रिलिम्स के लिये:भूकंप, सेंदाई फ्रेमवर्क (2015-2030), बाढ़, , हिमस्खलन, सुनामी, सूखा, आपदा प्रबंधन। मेन्स के लिये:प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) ने अचानक आने वाली बाढ़, चट्टानों के स्खलन, स्खलन, ग्लेशियर झील के फटने और हिमस्खलन के खिलाफ हिमालयी राज्यों में पूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिये क्षेत्रीय अध्ययन शुरू किया है।
प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली क्या है?
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली खतरे की निगरानी, पूर्वानुमान और भविष्यवाणी, आपदा जोखिम मूल्यांकन, संचार और तैयारी गतिविधियों, प्रणालियों एवं प्रक्रियाओं की एक एकीकृत प्रणाली है जो व्यक्तियों, समुदायों, सरकारों, व्यवसायों तथा अन्य लोगों को खतरनाक घटनाओं से पहले आपदा जोखिमों को कम करने के लिये समय पर कार्रवाई करने में सक्षम बनाती है।
- यह तूफान, सुनामी, सूखा और हीटवेव सहित आसन्न खतरों से पहले लोगों एवं संपत्ति के नुकसान को कम करने में मदद करती है।
- बहु-खतरा प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली कई खतरों को संबोधित करती है जो अकेले या एक साथ हो सकटे हैं।
- बहु-खतरे वाली पूर्व चेतावनी प्रणालियों और आपदा जोखिम जानकारी की उपलब्धता बढ़ाना आपदा जोखिम न्यूनीकरण 2015-2030 के लिये सेंदाई फ्रेमवर्क द्वारा निर्धारित सात वैश्विक लक्ष्यों में से एक है।
आपदा प्रबंधन हेतु भारत के प्रयास:
- राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की स्थापना:
- भारत ने सभी प्रकार की आपदाओं के न्यूनीकरण के संदर्भ में तेज़ी से कार्य किया है तथा आपदा प्रतिक्रिया के लिये समर्पित विश्व के सबसे बड़े बल ‘राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल’ (NDRF) की स्थापना के साथ सभी प्रकार की आपदाओं की स्थिति में तेज़ी से प्रतिक्रिया की है।
- NDMA की स्थापना:
- भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), भारत में आपदा प्रबंधन के लिये शीर्ष निकाय है। आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 द्वारा NDMA की स्थापना और राज्य एवं ज़िला स्तरों पर संस्थागत तंत्र हेतु सक्षम वातावरण का निर्माण अनिवार्य है।
- यह आपदा प्रबंधन पर नीतियाँ निर्धारित करता है।
- अन्य देशों को आपदा राहत प्रदान करने में भारत की भूमिका:
- भारत की विदेशी मानवीय सहायता में इसकी सैन्य शक्ति को भी तेज़ी से शामिल किया गया है जिसके तहत आपदा के समय देशों को राहत प्रदान करने के लिये नौसेना के जहाज़ों या विमानों को तैनात किया जाता है।
- "नेबरहुड फर्स्ट" की इसकी कूटनीति के अनुरूप, राहत प्राप्तकर्त्ता देश दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के हैं।
- क्षेत्रीय आपदा तैयारियों में योगदान:
- बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC/बिम्सटेक) के संदर्भ में भारत ने आपदा प्रबंधन अभ्यासों की मेज़बानी की है जो NDRF को साझेदार राज्यों के समकक्षों को विभिन्न आपदाओं का सामना करने के लिये विकसित तकनीकों का प्रदर्शन करने की अनुमति देता है।
- NDRF और भारतीय सशस्त्र बलों के अभ्यासों ने भारत को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के संपर्क में ला दिया है।
- जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदा का प्रबंधन:
- भारत ने DRR, सतत् विकास लक्ष्यों (2015-2030) और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के लिये सेंदाई फ्रेमवर्क को अपनाया है, जो सभी DRR, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (CCA) एवं सतत् विकास के बीच संबंधों को स्पष्ट करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. भारत में आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डी. आर. आर.) के लिये सेंदाई आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रारूप (2015-30) हस्ताक्षरित करने से पूर्व एवं उसके पश्चात किये गए विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिये। यह प्रारूप 'ह्योगो कार्यवाही प्रारूप, 2005' से किस प्रकार भिन्न है? (2018) |