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भारतीय समाज

घरेलू प्रवास पर EAC-PM रिपोर्ट

  • 27 Dec 2024
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रवासन, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना, वन नेशन वन राशन कार्ड

मेन्स के लिये:

घरेलू प्रवास में कमी और इसके निहितार्थ, भारत में प्रवासन, भारत में प्रवासियों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) ने "400 मिलियन ड्रीम्स!" शीर्षक से एक कार्यपत्र जारी किया है, जिसमें वर्ष 2011 से घरेलू प्रवास में आई 12% की गिरावट पर प्रकाश डाला गया है।

  • यह बदलाव व्यापक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों को दर्शाता है, जिसका श्रेय पारंपरिक रूप से उच्च प्रवास स्रोत वाले क्षेत्रों में बेहतर आर्थिक अवसरों एवं बुनियादी ढाँचे को दिया गया है।

घरेलू प्रवास पर EAC-PM रिपोर्ट की मुख्य बातें क्या हैं? 

  • प्रवास में कमी: भारत में घरेलू प्रवासियों की संख्या में वर्ष 2011 से 12% की कमी आई है वर्ष 2023 के अनुसार प्रवासियों की अनुमानित संख्या 40.20 करोड़ है।
    • यह जनगणना 2011 के अनुसार 45.58 करोड़ प्रवासियों से 11.78% कम है।
    • प्रवास दर (किसी क्षेत्र में प्रवेश करने वाले और जाने वाले व्यक्तियों की संख्या के बीच का अंतर) वर्ष 2011 में कुल जनसंख्या की 37.64% से घटकर वर्ष 2023 में 28.88% हो गई है, जो प्रवास में कमी का संकेत है। 
  • प्रवास गतिशीलता:
    • प्रवास का शहरी संकेंद्रण: दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे प्रमुख शहर प्रवासियों के लिये प्राथमिक गंतव्य बने हुए हैं।
  • महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में कुल प्रवासियों के प्रतिशत हिस्से में कमी देखी गई है।
    • प्रवासियों को सबसे अधिक आकर्षित करने वाले राज्य: पश्चिम बंगाल, राजस्थान और कर्नाटक में प्रवासियों को आकर्षित करने में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। 
    • मुंबई, बंगलुरू शहरी और हावड़ा सबसे अधिक प्रवासी आगमन को आकर्षित करने वाले शीर्ष ज़िलों में शामिल हैं।
    • उभरते प्रवासन मार्ग: प्राथमिक प्रवासन गलियारों में उत्तर प्रदेश-दिल्ली, गुजरात-महाराष्ट्र, तेलंगाना-आंध्र प्रदेश और बिहार-दिल्ली शामिल हैं।
    • मौसमी प्रवास प्रवृत्तियाँ: प्रवास अप्रैल से जून के दौरान सर्वाधिक होता है, तथा नवंबर-दिसंबर में यह अधिक होता है, जो संभवतः त्यौहारों और विवाहों के कारण होता है।
      • जनवरी में प्रवास का स्तर सबसे कम होता है, जो एक मौसमी पैटर्न का संकेत देता है।
  • प्रवास में कमी के कारण: घरेलू प्रवास में कमी का श्रेय प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) जैसी योजनाओं के माध्यम से स्थानीय आर्थिक अवसरों में सुधार, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के माध्यम से उन्नत बुनियादी ढाँचे, आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के माध्यम से बेहतर स्वास्थ्य सेवा, तथा प्रवास-मूल क्षेत्रों में डिजिटल इंडिया के माध्यम से शिक्षा और कनेक्टिविटी में प्रगति को दिया जाता है।

EAC_PM_Report_Migration

प्रवास

  • प्रवासन से तात्पर्य लोगों के अपने निवास स्थान से नए स्थान पर, या तो अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार या किसी राज्य के भीतर स्थानांतरण से है। 
  • प्रवास के दो प्राथमिक प्रकार: अंतर्राष्ट्रीय प्रवास में राज्य की सीमाओं को पार करके किसी अन्य देश में न्यूनतम अवधि तक रहना शामिल है, जबकि आंतरिक प्रवास उसी देश के भीतर होता है। 
    • शहरीकरण आंतरिक प्रवास का एक विशिष्ट रूप है, जहाँ लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर जाते हैं।

घरेलू प्रवास में कमी के क्या निहितार्थ हैं?

  • आर्थिक निहितार्थ: प्रवास में कमी के कारण कुछ क्षेत्रों में श्रमिकों की कमी हो सकती है, विशेष रूप से उन उद्योगों में जो प्रवासी श्रमिकों पर बहुत अधिक निर्भर हैं। 
    • इससे उन क्षेत्रों में मजदूरी बढ़ सकती है, लेकिन उत्पादन लागत भी बढ़ सकती है और प्रतिस्पर्द्धा कम हो सकती है।
    • छोटे शहरों में बेहतर आर्थिक अवसर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच आय असमानता को कम कर सकते हैं। कार्यबल के अपने गृह क्षेत्रों में रहने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
  • सामाजिक निहितार्थ: प्रवासन में कमी से ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढाँचे की मांग बढ़ सकती है।
  • हालाँकि, इससे शहरी केंद्रों में बेहतर रोज़गार और शिक्षा के अवसरों तक पहुँच सीमित हो जाती है।
    • यदि परिवार के पुरुष सदस्यों के लिये प्रवास के अवसर कम हो जाएँ, तो परंपरागत रूप से यहीं रहने वाली महिलाओं को लंबे समय तक आर्थिक निर्भरता का सामना करना पड़ सकता है। 
  • जनसांख्यिकीय प्रभाव: शहरी क्षेत्रों में प्रवासियों के कम पलायन से शहरीकरण प्रभावित हो सकता है, जिससे शहरों की आर्थिक गतिशीलता प्रभावित हो सकती है। 
  • मेट्रो शहरों में जनसंख्या वृद्धि में कमी से उनके उपभोक्ता आधार और आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित हो सकती हैं।
  • नीति और शासन संबंधी निहितार्थ: कम प्रवास दर शहरी क्षेत्रों पर दबाव को कम कर सकती है, जिससे संभावित रूप से भीड़भाड़, आवास की कमी और सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव जैसी समस्याएँ कम हो सकती हैं। 
    • रोज़गार पलायन को कम करने के लिये महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGA) जैसी राष्ट्रीय रोज़गार योजनाओं को बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।
    • ग्रामीण क्षेत्रों में रहने से स्थानीय भूमि और जल संसाधनों पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे असंवहनीय कृषि पद्धतियाँ विकसित हो सकती हैं।

प्रवासियों के कल्याण हेतु भारत की पहल:

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) 

  • EAC-PM एक स्वतंत्र सलाहकार निकाय है, जो भारत सरकार, विशेष रूप से प्रधानमंत्री को आर्थिक और संबंधित सलाह प्रदान करता है। 
    • इसके कार्यक्षेत्र में प्रधानमंत्री द्वारा संदर्भित मुद्दों का विश्लेषण और सलाह देना, व्यापक आर्थिक मामलों पर विचार करना तथा प्रधानमंत्री द्वारा सौंपे गए कार्यों को निष्पादित करना शामिल है।
  • EAC-PM की भूमिका सलाहकारी और गैर-बाध्यकारी है, तथा रिपोर्टों, प्रस्तुतियों और हितधारकों के साथ संवाद के माध्यम से जनता के बीच आर्थिक समझ को बढ़ावा देने हेतु अतिरिक्त प्रयास भी किये जाते हैं।
  • नीति आयोग (राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्था) प्रशासनिक और तार्किक सहायता के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत में घटते घरेलू प्रवास के सामाजिक-आर्थिक निहितार्थों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। यह क्षेत्रीय विकास और शहरीकरण के रुझानों को कैसे प्रभावित करता है?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स:

प्रश्न. भारत के प्रमुख शहरों में आईटी उद्योगों के विकास से उत्पन्न मुख्य सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ क्या हैं? (2021)

प्रश्न. पिछले चार दशकों में भारत के अंदर और बाहर श्रम प्रवास के रुझानों में बदलाव पर चर्चा कीजिये। (2015)

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