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डायनासोर और यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क टैग

  • 15 Nov 2024
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण, यूनेस्को वैश्विक जियो पार्क, क्रिटेशियस काल, मंगोलियाई गोबी रेगिस्तान, भू-विरासत स्थल, भू-आकृतियाँ, पर्वत शृंखलाएँ, हिमनद, मेसोज़ोइक युग, पैंजिया, युकाटन प्रायद्वीप। 

मेन्स के लिये:

भारत के भू-विरासत स्थल और यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क टैग।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा गुजरात के रायोली गाँव में स्थित डायनासोर जीवाश्म पार्क एवं संग्रहालय, को यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क का दर्जा प्राप्त कराने का प्रयास किया जा रहा है।

गुजरात के डायनासोर जीवाश्म पार्क और संग्रहालय के बारे में मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • भू-वैज्ञानिक महत्त्व: वर्ष 1980 के दशक के प्रारंभ में भू-वैज्ञानिकों ने डायनासोर की हड्डियों और अंडों के जीवाश्म की खोज की थी।
    • ये हड्डियाँ राजासौरस नर्मदेंसिस (Rajasaurus Narmadensis) और राहियोलिसौरस गुजरातेंसिस (Rahiolisaurus Gujaratensis) की हैं, जो लेट क्रेटेशियस पीरियड (लगभग 67 मिलियन वर्ष पूर्व) के माँसाहारी डायनासोर थे।
  • वैश्विक स्थिति: यह विश्व में सबसे बड़ी डायनासोर एग हैचरी में से एक है, जो ऐक्स-एन-प्रोवेंस (फ्राँस) और मंगोलियाई गोबी रेगिस्तान के बाद विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है।
  • अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व: वर्ष 1990 के दशक में इस स्थल ने अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया, जब 50 जीवाश्म वैज्ञानिकों का एक दल डायनासोर के अंडों का अध्ययन करने के लिये यहाँ आया।

भारत में डायनासोर का इतिहास क्या है?

  • डायनासोर की खोज: एशिया में सर्वप्रथम डायनासोर की हड्डियाँ भारत में वर्ष 1828 में जबलपुर, मध्य प्रदेश में कैप्टन विलियम हेनरी स्लीमन द्वारा खोजी गई थीं, जिन्हें बाद में वर्ष 1877 में टाइटेनोसॉरस इंडिकस (Titanosaurus indicus) नाम दिया गया था। 
    • टाइटेनोसॉरस, एक विशाल शाकाहारी डायनासोर था जिसका उद्भव क्रिटेशियस काल के अंत हुआ था।
  • डायनासोर जीवाश्म: मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात प्रमुख जीवाश्म समृद्ध क्षेत्र हैं जहाँ से बहुटी से डायनासोर के कंकाल और अंडे प्राप्त हुए हैं।
    • इस क्षेत्र में कई महत्त्वपूर्ण प्रजातियाँ खोजी गई हैं, जैसे बारापासोरस (शाकाहारी), आइसिसोरस (शाकाहारी), इंडोसुचस (मांसाहारी), और राजसौरस नर्मदेंसिस (माँसाहारी)।
  • डायनासोर हैचरी: माना जाता है कि भारत विश्व की सबसे बड़ी डायनासोर हैचरी में से एक है, जहाँ जबलपुर (म.प्र.), बालासिनोर (गुजरात) और धार ज़िले (म.प्र.) जैसे क्षेत्रों में प्रमुख डायनासोर हैचरी स्थल पाए गए हैं। 

यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क (भू-विरासत स्थल) क्या हैं?

  • परिचय: यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्त्वपूर्ण भू-वैज्ञानिक स्थलों के साथ एकीकृत ऐसे भौगोलिक क्षेत्र हैं जिन्हें संरक्षण, शिक्षा और सतत् विकास हेतु समग्र दृष्टिकोण के साथ प्रबंधित किया जाता है।
    • भू-विरासत स्थल ऐसे भौगोलिक क्षेत्र हैं जो अपनी विशिष्ट चट्टानी संरचनाओं, जीवाश्मों, खनिज संग्रहण या भू-आकृतियों के कारण भू-वैज्ञानिक महत्त्व के होते हैं।
  • पदनाम प्रक्रिया: यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्कों को चार वर्षों के लिये नामित किया जाता है, जिसके बाद उनका पुनर्मूल्यांकन किया जाता है।
    • ग्रीन कार्ड: यदि कोई क्षेत्र संबंधित मानदंडों को पूरा करता है तो यह कार्ड प्रदान किया जाता है।
    • पीला कार्ड: यदि कोई क्षेत्र संबंधित मानदंडों को पूरा नहीं करता है तो यह कार्ड जारी किया जाता है तथा इसमें सुधार के लिये दो वर्ष का समय दिया जाता है।
    • लाल कार्ड: यदि कोई क्षेत्र पीला कार्ड जारी होने के बाद दो वर्षों के अंदर संबंधित मानदंडों को पूरा करने में विफल रहता है तो यह कार्ड जारी किया जाता है, जिससे उस क्षेत्र का दर्जा समाप्त हो जाता है।
  • वैश्विक स्थिति: अब तक 48 देशों में कुल 213 यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क हैं लेकिन भारत में कोई ग्लोबल जियोपार्क नहीं है। उदाहरण के लिये, चीन में डाली-कांगशान यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क।
  • विविधता: ऐसे भू-विरासत स्थलों में ज्वालामुखी संरचनाएँ, जीवाश्म समृद्ध क्षेत्र, गुफाएँ, पर्वत श्रृंखलाएँ, हिमनद विशेषताओं के साथ खनिज समृद्ध क्षेत्र शामिल हो सकते हैं।

डायनासोर के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • डायनासोर प्रागैतिहासिक काल के सरीसृप हैं जो लगभग 245 मिलियन वर्ष पूर्व पृथ्वी पर थे।
    • नॉन-एवियन डायनासोर (Non-Avian Dinosaurs) के साथ पूर्वजों की समानता के कारण आधुनिक पक्षियों को डायनासोर का एक प्रकार माना जाता है।
  • डायनासोर का आकार: कुछ डायनासोर विशालकाय (जैसे अर्जेंटीनोसॉरस, जिनका वजन 110 टन तक था) थे
    • सबसे छोटी प्रजातियाँ जैसे कि हमिंगबर्ड, डायनासोर का एवियन वंशज है।
  • वर्गीकरण: डायनासोर को तीन प्रमुख समूहों में वर्गीकृत किया गया है।
    • ऑर्निथिस्किया: इसमें पौधे खाने वाले एवं चोंच वाले डायनासोर (जिनमें स्टेगोसॉरस और ट्राइसेराटॉप्स शामिल हैं) शामिल हैं।
    • सॉरोपोडोमोर्फा: इसमें डिप्लोडोकस जैसे लंबी गर्दन वाले एवं विशालकाय शाकाहारी डायनासोर शामिल हैं।
    • थेरोपोडा: इसमें टायरानोसॉरस रेक्स और वेलोसिरैप्टर जैसे माँसाहारी डायनासोर (जिनमें आधुनिक पक्षियों के पूर्वज भी शामिल हैं) शामिल हैं।
  • समयावधि: अधिकांश डायनासोर मेसोज़ोइक युग (245 से 66 मिलियन वर्ष पूर्व) से संबंधित थे, जिसे तीन अवधियों में विभाजित किया गया है।
    • ट्राइऐसिक (252-201 मिलियन वर्ष पूर्व): सुपरकॉन्टिनेंट पैंजिया पर सरीसृपों का डायनासोर के रूप में विकास हुआ।
    • जुरासिक (201-145 मिलियन वर्ष पूर्व): इस अवधि में पृथ्वी ठंडी हो गई, जिससे पौधे और डायनासोर का विकास हुआ, जिनमें ब्रैकियोसौरस भी शामिल था।
    • क्रटेशियस (145-66 मिलियन वर्ष पूर्व): इस दौरान अधिक महाद्वीपों का निर्माण होने के साथ डायनासोर की विविधता में वृद्धि हुई, जिसमें टायरानोसॉरस रेक्स एवं वेलोसिरैप्टर शामिल थे।
  • आहार और गतिविधि: माँसाहारी दो पैरों पर चलते थे और अकेले या समूह में शिकार करते थे जबकि वनस्पति खाने वाले दो या चार पैरों पर चलते थे और पौधों पर निर्भर थे।
  • विशेषता: इनकी प्रमुख विशेषता (जो डायनासोर को अन्य सरीसृपों से अलग करती है) में कूल्हे के सॉकेट में एक छेद का होना था जिससे वह सीधे चल सकते थे।
    • टेरोसॉर्स (उड़ने वाले सरीसृप) और प्लेसिओसॉर्स (समुद्र में रहने वाले सरीसृप) में कूल्हे के सॉकेट जैसी विशेषता न मिलने के कारण इन्हें डायनासोर की श्रेणी में नहीं रखा जाता है।
  • विलुप्ति: क्रटेशियस काल (145 मिलियन से 66 मिलियन वर्ष पूर्व) के दौरान एक विशाल क्षुद्रग्रह के प्रभाव के बाद लगभग 66 मिलियन वर्ष पूर्व डायनासोर विलुप्त हो गए थे।
    • पृथ्वी के साथ क्षुद्रग्रह की टक्कर से युकाटन प्रायद्वीप में 110 मील (180 किमी) चौड़ा एक गड्ढा बन गया, जो अब मैक्सिको में स्थित है।

निष्कर्ष

गुजरात का डायनासोर जीवाश्म पार्क प्रमुख डायनासोर जीवाश्मों एवं उनके अंडों को प्रदर्शित करने वाला एक महत्त्वपूर्ण स्थल है, जिससे भारत की समृद्ध जीवाश्म विरासत प्रदर्शित होती है। अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के साथ यह यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क पदनाम हेतु अनुकूल है, जो न केवल भू-पर्यटन एवं स्थानीय विकास में योगदान देने बल्कि पृथ्वी के भू-वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक इतिहास को संरक्षित करने पर केंद्रित है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत में पाए गए डायनासोर जीवाश्म के भू-वैज्ञानिक और पुरावैज्ञानिक महत्त्व को बताते हुए भू-पर्यटन पर इसके संभावित प्रभावों का मूल्यांकन कीजिये।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रिलिम्स:

Q. "छठा व्यापक विलोप /छठा विलोप" यह शब्द किसकी विवेचना के संदर्भ में समाचारों में प्रायः उल्लिखित होता है? (2018)

(a) विश्व के बहुत से भागों में कृषि में व्यापक रूप मेंएकधान्य कृषि प्रथा और बड़े पैमाने पर वाणिज्यिक कृषि के साथ रसायनों के अविवे की प्रयोग के परिणामस्वरूप अच्छे देशी पारितंत्र की हानि।
(b) आसन्न भविष्य में पृथ्वी के साथ उल्कापिण्ड की संभावित टक्कर का भय, जैसा कि 65 मिलियन वर्ष पहले हुआ था और जिसके कारण डायनोसोर की जातियों समेत अनेक जातियों का व्यापक रूप से विलोप हो गया।
(c) विश्व के अनेक भागों में आनुवंशिकतः रूपांतरित फ़सलों की व्यापक रूप में खेती और विश्व के दूसरे भागों में  उनकी खेती को बढ़ावा देना, जिसके कारण अच्छे देशी फ़सली पादपों का विलोप हो सकता है और खाद्य जैव-विविधता की हानि हो सकती है।
(d) मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों क  अतिशोषण/दुरुपयोग, प्राकृतिक आवासों का संविभाजन/नाश, पारितंत्र का विनाश, प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन।

उत्तर: (d)

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