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कार्नियन प्लुवियल एपिसोड

  • 03 Jun 2024
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

कार्नियन प्लवियल एपिसोड (Carnian Pluvial Episode- CPE) विस्तारित और तीव्र वर्षा की अवधि थी जो ट्राइऐसिक काल के अंत में (लगभग 230 मिलियन वर्ष पूर्व) घटित हुई थी।

  • इसका स्थलीय और समुद्री जीवन दोनों के विकास पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
  • शोधकर्त्ताओं का मानना ​​है कि यह लंबे समय तक होने वाली वर्षा तथा व्रांगेलिया प्रांत (उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित) में व्यापक ज्वालामुखी गतिविधि के कारण हुए वैश्विक जलवायु परिवर्तन का परिणाम थी।
  • ट्राइऐसिक काल के अंत में पृथ्वी के सभी भू-भाग एक साथ मिलकर एक विशाल महाद्वीप का निर्माण कर रहे थे, जिसे पैंजिया (Pangaea) के नाम से जाना जाता है।
  • CPE का प्रभाव:
    • इसके कारण समुद्री जीवन और स्थलीय प्रजातियाँ बड़े पैमाने पर विलुप्त हो गईं, लगभग एक तिहाई प्रजातियाँ नष्ट हो गईं तथा जैवविविधता हानि हुई।
      • हालाँकि इसने एक नई और पृथक समुद्री एवं स्थलीय प्रजातियों के विकास के लिये अवसर भी उत्पन्न किया, जिसमें डायनासोर का विकास भी शामिल है।
  • ऐसा माना जाता है कि CPE ने मेसोज़ोइक युग के लिये मंच तैयार किया, जिसे डायनासोर का युग कहा जाता है, जिसमें डायनासोर का विकास हुआ और वे समृद्ध हुए तथा अगले 150 मिलियन वर्षों तक उन्होनें स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र पर अपना प्रभुत्व बनाए रखा।

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