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डिजिटल हेल्थ समिट 2023

  • 18 Apr 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

डिजिटल हेल्थ समिट 2023, 3D प्रिंटिग, चौथी औद्योगिक क्रांति, आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY), CoWIN एप, रैनसमवेयर हमला, ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी

मेन्स के लिये:

भारत में डिजिटल हेल्थकेयर से संबंधित मुद्दे, डिजिटल स्वास्थ्य से संबंधित प्रमुख सरकारी पहल  

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में गोवा में भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Industry- CII) द्वारा डिजिटल हेल्थ समिट 2023 का आयोजन किया गया।

  • CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योग-आधारित और उद्योग-प्रबंधित संगठन है।

डिजिटल हेल्थ समिट 2023 की प्रमुख विशेषताएँ:

  • इसने डिजिटल स्वास्थ्य नवाचारों के महत्त्व पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे वे 3D प्रिंटिंग, पॉइंट-ऑफ-केयर डायग्नोस्टिक्स, रोबोट, जैव सूचना विज्ञान तथा जीनोमिक्स सहित घातीय चिकित्सा को सशक्त बना सकते हैं।
  • इसका उद्देश्य अंतरसंचालनीयता, डेटा गोपनीयता और डेटा सुरक्षा मानकों को बढ़ावा देने के लिये एक डिजिटल पब्लिक गुड्स फ्रेमवर्क बनाना है।
  • इसने उच्च गुणवत्तापूर्ण  चिकित्सा तक समान पहुँच के साथ "नागरिक केंद्रित" डिजिटल स्वास्थ्य प्रणालियों की आवश्यकता पर बल दिया।
  • साथ ही इस बात पर भी प्रकाश डाला कि स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी चौथी औद्योगिक क्रांति का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू है।

डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल:  

  • परिचय:  
    • डिजिटल स्वास्थ्य सेवा चिकित्सा देखभाल वितरण की एक प्रणाली है जो गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा देखभाल सेवाओं को सुलभ, सस्ती और टिकाऊ बनाने के लिये डिजिटल तकनीकों की एक शृंखला का उपयोग करती है।
    • डिजिटल स्वास्थ्य के व्यापक दायरे में मोबाइल स्वास्थ्य (mHealth), स्वास्थ्य सूचना प्रौद्योगिकी (IT), पहनने योग्य उपकरण, टेलीहेल्थ और टेलीमेडिसिन और व्यक्तिगत चिकित्सा जैसी श्रेणियाँ शामिल हैं।
    • विश्व स्वास्थ्य सभा (World Health Assembly) द्वारा वर्ष 2020 में अपनाई गई डिजिटल स्वास्थ्य पर WHO की वैश्विक रणनीति, नवाचार और डिजिटल स्वास्थ्य में नवीनतम विकास को शामिल करने के लिये एक रोडमैप प्रस्तुत किया गया है जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य परिणामों में सुधार हेतु इन उपकरणों का उपयोग करना है।
  • प्रमुख अनुप्रयोग:
    • प्वाइंट-ऑफ-केयर डायग्नोस्टिक्स: प्वाइंट-ऑफ-केयर डायग्नोस्टिक्स ("POCD") चिकित्सा उपकरण उद्योग में एक उभरती हुई प्रवृत्ति है और इसमें उत्पादों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है जो रोगियों या स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों द्वारा संसाधन सीमित समायोजन द्वारा सटीक निदान में सक्षम बनाती है।
      • हाल के दिनों में बायोसेंसर, पोर्टेबल एक्स रे, हैंडहेल्ड अल्ट्रासाउंड और स्मार्टफोन आधारित POCD जैसे कई एप्लीकेशन विकसित किये गए हैं।
    • चिकित्सा आभासी सहायक: आभासी स्वास्थ्य सहायक और चैटबॉट रोगियों तथा चिकित्सकों के बीच के अंतराल को भरते हैं तथा नियुक्ति निर्धारण, स्वास्थ्य रिकॉर्ड बनाए रखने एवं अन्य प्रशासनिक कार्यों जैसी सेवाओं के माध्यम से रोगियों की ज़रूरतों को पूरा करती हैं। 
    • स्व-निगरानी हेल्थकेयर डिवाइस: मॉनिटर और सेंसर अब पहनने योग्य उपकरणों में एकीकृत किये जा रहे हैं, जो इन्हें शरीर में विभिन्न शारीरिक परिवर्तनों का पता लगाने की अनुमति देते हैं। 
      • ये स्मार्ट डिवाइस वज़न, नींद के पैटर्न, आसन, आहार और व्यायाम को ट्रैक करने में सक्षम हैं।
    • ई-फार्मेसी: ई-फार्मेसी एक ऐसी फार्मेसी है जो इंटरनेट के माध्यम से कार्य करती है और मेल, कूरियर या डिलीवरी पर्सन के माध्यम से ऑर्डर का निपटान सुनिश्चित  करती है।
  • डिजिटल हेल्थकेयर के लाभ:
    • टेलीमेडिसिन ने स्वास्थ्य सेवा के विकेंद्रीकरण और दूरस्थ तथा उन्नत देखभाल तक पहुँच सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
    • ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों के मरीज़ अब ऑनलाइन परामर्श और दवाओं की होम डिलीवरी के माध्यम से सस्ती एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्राप्त कर सकते हैं।
    • डिजिटल उपकरण स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को स्वास्थ्य डेटा तक पहुँच प्रदान कर रोगी के स्वास्थ्य के बारे में व्यापक दृष्टिकोण प्रदान कर सकते हैं।

भारत में डिजिटल स्वास्थ्य देखभाल से संबंधित चुनौतियाँ:  

  • परिचय:  
  • भारत ने कोविड-19 महामारी को देखते हुए तीव्र गति से डिजिटल स्वास्थ्य को अपनाया है। इस अभूतपूर्व स्वास्थ्य संकट ने टेलीमेडिसिन को अपनाने का मार्ग प्रशस्त किया और इस प्रकार भारत में दूरस्थ तथा रोगी-केंद्रित देखभाल की शुरुआत हुई।
  • चुनौतियाँ:  
    • स्पष्ट विनियमों की अनुपस्थिति: स्पष्ट विनियमों और दिशा-निर्देशों के अभाव में दुर्व्यवहार, स्वास्थ्य संबंधी डिजिटल रिकॉर्ड का दुरुपयोग, डेटा चोरी तथा इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का दुरुपयोग हो सकता है।
      • साथ ही डिजिटल बुनियादी ढाँचे एवं कुशल पेशेवरों की कमी भारत में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के डिजिटलीकरण हेतु एक और बाधा है।
    • डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा: डिजिटल स्वास्थ्य सेवा में रोगी का विश्वास बनाए रखने हेतु डेटा गोपनीयता एवं साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। सुरक्षा उपायों की कमी से डेटा का उल्लंघन हो सकता है तथा रोगी के डेटा से समझौता हो सकता है।
    • ई-फार्मेसी को वैधानिक समर्थन नहीं: औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 भारत में दवाओं के आयात, निर्माण एवं वितरण को नियंत्रित करता है।
      • हालाँकि औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 या फार्मेसी अधिनियम, 1948 के तहत "ई-फार्मेसी" की कोई वैधानिक परिभाषा नहीं है।
  • डिजिटल स्वास्थ्य से संबंधित सरकारी पहल:  

डिजिटल स्वास्थ्य और नवाचार को बढ़ावा देने हेतु WHO के उद्देश्य: 

  • अंतर-संचालनीयता और डेटा शेयरिंग के लिये मानकों के निर्धारण के माध्यम से डेटा, अनुसंधान एवं साक्ष्य सुनिश्चित करना तथा सूचित निर्णय लेने के लिये डिजिटल समाधानों के कार्यान्वयन का समर्थन करना।
  • नई तकनीक द्वारा समर्थित अभ्यास में वैज्ञानिक समुदायों का उपयोग करके ज्ञान बढ़ाना और विशेषज्ञ दृष्टिकोण के बीच नैदानिक तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों की चर्चा को सुविधाजनक बनाना।
  • देश की ज़रूरतों के आधार पर नवाचारों की पहचान, प्रचार, सह-विकास और वृद्धि के लिये एक सक्रिय रणनीति अपनाना। इसके तहत किसी देश के नवाचारों के माध्यम से ज़रूरतों एवं आपूर्ति के बीच समन्वय स्थापित किया जाता है।

आगे की राह

  • AI पावर्ड हेल्थकेयर: बड़ी मात्रा में डेटा का विश्लेषण, जाँच करने के लिये स्वास्थ्य क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमता का तेज़ी से उपयोग किया जा रहा है।
    • इस तकनीक में लागत कम करने के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा वितरण की सटीकता और गति में सुधार करने की क्षमता है।
  • हेल्थकेयर में ब्लॉकचेन: ब्लॉकचेन तकनीक स्वास्थ्य डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता में सुधार करने के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल प्रक्रियाओं को कारगर बनाने में मदद कर सकती है।
    • ब्लॉकचेन सूचनाओं को संगृहीत और साझा करने के लिये एक सुरक्षित और पारदर्शी तरीका प्रदान करता है, इससे त्रुटियों, धोखाधड़ी एवं प्रशासनिक लागतों को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • मोबाइल हेल्थ (mHealth): mHealth के अंतर्गत अप्रत्यक्ष तौर पर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिये मोबाइल उपकरणों और एप्स का उपयोग करना शामिल है।
    • यह विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुँच वाले ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोगी हो सकता है। mHealth रोगियों को पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों का प्रबंधन करने और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ अधिक आसानी से सामंजस्य स्थापित करने में भी मदद कर सकता है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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