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शासन व्यवस्था

भारतीय चिकित्सा हेतु औषधकोश आयोग

  • 06 Aug 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आयुष मंत्रालय, आयुष ड्रग्स, ड्रग रेगुलेशन

मेन्स के लिये:

PCIM & H का महत्त्व , सरकार का हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने आयुष मंत्रालय के तहत अधीनस्थ कार्यालय के रूप में भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी (PCIM&H) के लिये औषधकोश आयोग की स्थापना की है।

  • सरकार ने फार्माकोपिया कमीशन ऑफ इंडियन मेडिसिन एंड होम्योपैथी (PCIM&H) और दो केंद्रीय प्रयोगशालाओं का विलय कर दिया है:
    • भारतीय चिकित्सा हेतु औषधकोश प्रयोगशाला (PLIM) और
    • होम्योपैथिक औषधकोश प्रयोगशाला (HPL)।

औषधकोश आयोग:

  • परिचय:
    • PCIM&H वर्ष 2010 में स्थापित आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में एक स्वायत्त निकाय है।
    • औषध और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 और उसके तहत नियम 1945 के अनुसार औषधकोश आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त मानकों की पुस्तक है।
      • औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम की दूसरी अनुसूची के अनुसार, इसे भारत में बिक्री या वितरण के लिये आयातित और/या बिक्री, स्टॉक या प्रदर्शनी हेतु निर्मित दवाओं के मानकों की आधिकारिक पुस्तक के रूप में नामित किया गया है।
      • यह भारत में निर्मित और विपणन की जाने वाली दवाओं के मानकों को उनकी पहचान, शुद्धता एवं ताकत के संदर्भ में निर्दिष्ट करता है।
  • कार्य:
    • आयोग आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथिक दवाओं के लिये औषधकोश मानकों के विकास में लगा हुआ है।
    • PCIM&H भारतीय चिकित्सा और होम्योपैथी प्रणालियों के लिये केंद्रीय औषधि परीक्षण सह अपीलीय प्रयोगशाला के रूप में भी कार्य कर रहा है।
  • PLIM & HPL के विलय के लाभ:
    • तीनों संगठनों के मानकीकृत परिणामों को बढ़ाने के लिये ढाँचागत सुविधाओं, तकनीकी जनशक्ति और वित्तीय संसाधनों का इष्टतम उपयोग।
    • यह आयुष दवा मानकों के सामंजस्यपूर्ण विकास तथा औषधिकोष एवं सूत्रीकरण (पंजीकृत किये गए नुस्खे) के प्रकाशन की सुविधा प्रदान करेगा।
    • इसका एक अन्य उद्देश्य ‘ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945’ (Drugs and Cosmetics Rules, 1945) में आवश्यक संशोधन करके PCIM&H एवं इसकी प्रयोगशालाओं के विलय वाले ढाँचे को कानूनी दर्जा देना भी है।
      • इस संबंध में महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा, औषधि महानियंत्रक और आयुर्वेद, सिद्ध एवं यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड (ASUDTAB) के साथ परामर्श किया गया है।

आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड:

  • ASUDTAB ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के प्रावधानों के तहत एक वैधानिक निकाय है।
  • यह केंद्र और राज्य सरकारों को त्वरित शेल्फ लाइफ टेस्टिंग (ASLT) दवाओं के नियामक मामलों में सलाह देती है।
    • ASLT उत्पाद को नियंत्रित परिस्थितियों में स्टोर करके उत्पाद की स्थिरता को मापने और आकलन करने का एक अप्रत्यक्ष तरीका है जो सामान्य भंडारण स्थितियों के तहत उत्पाद में होने वाली गिरावट की दर को बढ़ाता है।

आयुष उत्पादों/दवाओं को सरकार की सहायता:

  • औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940:
    • आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी के गुणवत्ता नियंत्रण और औषधि लाइसेंस जारी करने से संबंधित कानूनी प्रावधानों के प्रवर्तन का अधिकार संबंधित राज्य द्वारा नियुक्त राज्य औषधि नियंत्रकों के पास है।
    • यह आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी दवाओं के निर्माण हेतु लाइसेंस जारी करने के लिये नियामक दिशा-निर्देश प्रदान करता है।
    • निर्माताओं के लिये विनिर्माण इकाइयों और दवाओं के लाइसेंस हेतु निर्धारित निर्देशों  का पालन करना अनिवार्य है, जिसमें सुरक्षा और प्रभावशीलता के प्रमाण तथा उचित विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) का अनुपालन शामिल है।
  • आयुष उत्पादों का प्रमाणन:
    • निर्यात की सुविधा के लिये आयुष मंत्रालय नीचे दिये गए विवरण के अनुसार आयुष उत्पादों के निम्नलिखित प्रमाणन को प्रोत्साहित करता है:
      • हर्बल उत्पादों के लिये डब्ल्यूएचओ दिशा-निर्देशों के अनुसार फार्मास्युटिकल उत्पादों (सीओपीपी) का प्रमाणन।
    • भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) द्वारा आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी उत्पादों के लिये गुणवत्ता प्रमाणन योजना को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुपालन की स्थिति के अनुरूप गुणवत्ता के तीसरे पक्ष के मूल्यांकन के आधार पर आयुष प्रीमियम अंक प्रदान करने के लिये लागू किया गया है।
  • आयुष औषध गुणवत्ता एवं उत्पादन संवर्द्धन योजना (AOGUSY):
    • आयुष मंत्रालय ने AOGUSY को केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लागू किया है।
    • उद्देश्य:
      • आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत भारत की विनिर्माण क्षमताओं और पारंपरिक दवाओं तथा स्वास्थ्य संवर्द्धन उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के लिये।
      • आयुष दवाओं और सामग्रियों के मानकीकरण, गुणवत्ता निर्माण तथा विश्लेषणात्मक परीक्षण के लिये सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र में पर्याप्त ढाँचागत और तकनीकी उन्नयन, संस्थागत गतिविधियों की सुविधा के लिये ।
      • आयुष दवाओं के भ्रामक विज्ञापनों की प्रभावी गुणवत्ता नियंत्रण, सुरक्षा और निगरानी के लिये केंद्र तथा राज्य स्तर पर नियामक ढाँचे को मज़बूत करना।
      • आयुष दवाओं और सामग्रियों के मानकों व गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिये तालमेल, सहयोग और अभिसरण दृष्टिकोण के निर्माण को प्रोत्साहित करना।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (पीवाईक्यू) 

भारत सरकार दवा के पारंपरिक ज्ञान को दवा कंपनियों द्वारा पेटेंट कराने से कैसे बचा रही है? (2019)

स्रोत: पी.आई.बी.

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