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शासन व्यवस्था

डेस्टिनेशन नॉर्थ ईस्ट

  • 12 Nov 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आज़ादी का अमृत महोत्सव, पूर्वोत्तर का सात दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव, राष्ट्रीय संग्रहालय, मौरिस ग्वायर समिति, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, हॉर्नबिल महोत्सव

मेन्स के लिये:

पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास कार्यक्रम एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र का भारत के लिये महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में आज़ादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत आज़ादी के 75 वर्ष के जश्न के हिस्से के रूप में पूर्वोत्तर का सात दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव ‘डेस्टिनेशन नॉर्थ ईस्ट’, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली में संपन्न हुआ।

  • इसके अंतर्गत ‘उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय’ और उत्तर-पूर्वी परिषद (NEC) की पहल "डेस्टिनेशन नॉर्थ ईस्ट इंडिया" के तहत उत्तर-पूर्व भारत की समृद्ध विरासत का जश्न मनाया गया।

प्रमुख बिंदु

  • उद्देश्य: शेष भारत को उत्तर-पूर्व से जोड़ना।
    • इसमें आठ पूर्वोत्तर राज्यों की कला और शिल्प, वस्त्र, जनजातीय उत्पाद, पर्यटन एवं इसके प्रचार आदि की विशेष प्रस्तुति दर्शाई है।
  • शामिल संगठन:
    • उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय।
    • उत्तर पूर्वी परिषद (NEC): यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास हेतु नोडल एजेंसी है जिसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के आठ राज्य शामिल हैं। इसका गठन वर्ष 1971 में संसद के एक अधिनियम द्वारा किया गया था।
    • राष्ट्रीय संग्रहालय: दिल्ली में राष्ट्रीय संग्रहालय की स्थापना का खाका ‘मौरिस ग्वायर समिति’ द्वारा मई 1946 में तैयार किया गया था।
      • अपनी शुरुआत में वर्ष 1957 तक यह पुरातत्त्व महानिदेशक के अंतर्गत कार्यरत था, बाद में शिक्षा मंत्रालय ने इसे एक अलग संस्थान घोषित किया और अपने प्रत्यक्ष नियंत्रण में रखा।
      • वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय संस्कृति मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र का महत्त्व:

North-East-India

  • सामरिक स्थान: NER रणनीतिक रूप से पूर्वी भारत के पारंपरिक घरेलू बाज़ार तक पहुँच के साथ-साथ पूर्व के पड़ोसी देशों, जैसे- बांग्लादेश और म्याँमार के साथ निकटता से जुड़ा है।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ संबंध: आसियान के साथ जुड़ाव भारत की विदेश नीति की दिशा का केंद्रीय स्तंभ होने के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्य भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच भौतिक सेतु के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के पूर्वी देशों से जुड़ाव की क्षेत्रीय सीमा से संबंधित करती है।
  • आर्थिक महत्त्व: NER में विशाल प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं, जो देश के जल संसाधनों का लगभग 34% और भारत की जलविद्युत क्षमता का लगभग 40% हैं।
  • सिक्किम भारत का पहला जैविक राज्य है।
  • पर्यटन क्षमता: भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में कई वन्यजीव अभयारण्य स्थित हैं, जैसे- काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, जो कि एक सींग वाले गैंडे के लिये प्रसिद्ध है, मानस राष्ट्रीय उद्यान, नामेरी, ओरंग, असम में डिब्रू सैखोवा, अरुणाचल प्रदेश में नामदफा, मेघालय में बालपक्रम, मणिपुर में केबुल लामजाओ, नागालैंड में इटांकी, सिक्किम में कंचनजंगा।
  • सांस्कृतिक महत्त्व: NER में जनजातियों की अपनी संस्कृति है। लोकप्रिय त्योहारों में नगालैंड का हॉर्नबिल महोत्सव, सिक्किम का ‘पांग ल्हाबसोल’ आदि शामिल हैं।

पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिये सरकारी पहल:

  • उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER): वर्ष 2001 में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के विकास विभाग (Ministry of Development of North Eastern Region- DoNER) की स्थापना हुई। वर्ष 2004 में इसे एक पूर्ण मंत्रालय का दर्जा प्रदान कर दिया गया।
  • अवसंरचना संबंधी पहल: 
    • भारतमाला परियोजना (Bharatmala Pariyojana- BMP) के तहत पूर्वोत्तर में लगभग 5,301 किलोमीटर सड़क के विस्तार व सुधार के लिये अनुमोदन प्रदान  किया गया है।
    • उत्तर-पूर्व को आरसीएस-उड़ान (उड़ान को और अधिक किफायती बनाने हेतु) के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में शामिल किया गया है।
  • कनेक्टिविटी परियोजनाएंँ: कलादान मल्टी मॉडल पारगमन परिवहन परियोजना (म्याँमार) और बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (Bangladesh-China-India-Myanmar- BCIM) कॉरिडोर।
  • पर्यटन को बढ़ावा देने हेतु पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के तहत पिछले पांँच वर्षों में पूर्वोत्तर के लिये 140.03 करोड़ रुपए की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है।
  • मिशन पूर्वोदय: पूर्वोदय का उद्देश्य इस्पात क्षेत्र में एक एकीकृत इस्पात हब की स्थापना के माध्यम से पूर्वी भारत के त्वरित विकास को गति प्रदान करना है।
    • एकीकृत स्टील हब, जिसमें ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और उत्तरी आंध्र प्रदेश शामिल हैं, पूर्वी भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु एक पथ-प्रदर्शक के रूप में कार्य करेगा।
  • पूर्वोत्‍तर औद्योगिक विकास योजना (NEIDS): पूर्वोत्तर राज्यों में रोज़गार को बढ़ावा देने हेतु सरकार मुख्य रूप से इस योजना के माध्यम से एमएसएमई क्षेत्र को प्रोत्साहित कर रही है।
  • पूर्वोत्तर के लिये राष्ट्रीय बांँस मिशन का विशेष महत्त्व है।
  • उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विज़न 2020: यह दस्तावेज़ पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिये एक व्यापक ढांँचा प्रदान करता है ताकि इस क्षेत्र को अन्य विकसित क्षेत्रों के बराबर लाया जा सके जिसके तहत उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय सहित अन्य मंत्रालयों ने विभिन्न पहलें शुरू की हैं।  
  • डिजिटल नॉर्थ ईस्ट विज़न 2022: यह  पूर्वोत्तर के लोगों के जीवन में बदलाव लाने और उसे आसान बनाने हेतु डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाने पर ज़ोर देता है।

स्रोत: पीआईबी 

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