भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज | 30 Jun 2023
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चर्चा में क्यों?
केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री ने खान मंत्रालय द्वारा गठित एक विशेषज्ञ दल द्वारा तैयार किये गए “भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों” पर देश की पहली रिपोर्ट पेश की।
- यह रिपोर्ट खनन क्षेत्र में नीति निर्माण, रणनीतिक योजना और निवेश निर्णयों के लिये एक मार्गदर्शक अवसंरचना के रूप में काम करेगी। यह पहल एक मज़बूत एवं लचीला खनिज क्षेत्र का निर्माण करने हेतु सरकार की प्रतिबद्धता द्वारा भारत के लिये 'नेट ज़ीरो/शुद्ध-शून्य' लक्ष्य की प्राप्ति के बड़े दृष्टिकोण के साथ संरेखित है।
खनिज:
- खनिज भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं द्वारा निर्मित प्राकृतिक पदार्थ हैं। उनमें एक निश्चित रासायनिक संरचना और भौतिक अभिलक्षण होते हैं।
- उन्हें उनकी विशेषताओं और उपयोग के आधार पर धात्विक और गैर-धात्विक खनिजों में वर्गीकृत किया गया है।
- धात्विक खनिज वे हैं जिनमें धातु अथवा धातु यौगिक होते हैं, जैसे लोहा, ताम्र, सोना, चांदी, आदि।
- अधात्विक खनिज वे हैं जिनमें धातु नहीं होती, जैसे चूना पत्थर, कोयला, अभ्रक, जिप्सम आदि।
- महत्त्वपूर्ण खनिज:
- महत्त्वपूर्ण खनिज वे है जो आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आवश्यक हैं, इन खनिजों की उपलब्धता में कमी तथा केवल कुछ भौगोलिक स्थानों में निष्कर्षण या प्रसंस्करण के चलते आपूर्ति शृंखला में व्यवधान पैदा हो सकता है।
- महत्त्वपूर्ण खनिजों के घोषणा की प्रक्रिया:
- यह एक गतिशील प्रक्रिया है और यह समय के साथ नई प्रौद्योगिकियों, बाज़ार की गतिशीलता और भू-राजनीतिक विचारों के उभरने के साथ विकसित हो सकती है।
- विभिन्न देशों के पास अपनी विशिष्ट परिस्थितियों और प्राथमिकताओं के आधार पर महत्त्वपूर्ण खनिजों की अपनी अनूठी सूची हो सकती है।
- अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा या आर्थिक विकास में उनकी भूमिका के को ध्यान में रखते हुए 50 खनिजों को महत्त्वपूर्ण घोषित किया है।
- जापान ने 31 खनिजों के एक समूह को अपनी अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण माना है।
- यूनाइटेड किंगडम ने 18, यूरोपीय संघ ने 34 और कनाडा ने 31 खनिजों को महत्त्वपूर्ण माना है।
- भारत के महत्त्वपूर्ण खनिज:
- खान मंत्रालय के अंतर्गत विशेषज्ञ समिति ने भारत के 30 महत्त्वपूर्ण खनिजों के एक समूह की पहचान की है।
- ये एंटीमनी, बेरिलियम, बिस्मथ, कोबाल्ट, कॉपर, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रेफाइट, हेफनियम, इंडियम, लिथियम, मोलिब्डेनम, नाइओबियम, निकेल, पीजीई, फॉस्फोरस, पोटाश, आरईई, रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंटियम, टैंटलम, टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, ज़िरकोनियम, सेलेनियम और कैडमियम हैं।
- खान मंत्रालय में महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिये उत्कृष्टता केंद्र (CECM) के निर्माण की भी समिति ने सिफारिश की है।
- CECM समय-समय पर भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों की सूची को अद्यतन करने के साथ खनिज रणनीति को भी अधिसूचित करेगा।
भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज:
- आर्थिक विकास: उच्च तकनीक इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, परिवहन एवं रक्षा उद्योग इन खनिजों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
- इसके अतिरिक्त सौर पैनल, पवन टरबाइन, बैटरी और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसी हरित प्रौद्योगिकियों के लिये महत्त्वपूर्ण खनिज आवश्यक हैं।
- इन क्षेत्रों में भारत की महत्त्वपूर्ण घरेलू मांग और क्षमता को देखते हुए इनकी वृद्धि से रोज़गार सृजन, आय सृजन और नवाचार में वृद्धि की जा सकती है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: ये खनिज रक्षा, एयरोस्पेस, परमाणु उर्जा तथा अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, जिसमें चरम स्थितियों का सामना करने के साथ जटिल कार्य करने में सक्षम उच्च गुणवत्ता वाली तथा विश्वसनीय सामग्रियों के उपयोग की आवश्यकता होती है।
- रक्षा तैयारियों के साथ आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिये भारत को महत्त्वपूर्ण खनिजों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी।
- पर्यावरणीय स्थिरता: यह स्वच्छ ऊर्जा तथा कार्बन न्यून अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण का अभिन्न अंग है, जो जीवाश्म ईंधन तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन पर भारत की निर्भरता को कम करने में सक्षम बनाते हैं।
- वर्ष 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने की प्रतिबद्धता के साथ ये खनिज भारत के हरित उद्देश्यों को पूरा करने के लिये आवश्यक हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह सहयोग भारत को अपने आयात स्रोतों में विविधता लाने, चीन पर निर्भरता कम करने और खनिज सुरक्षा एवं लचीलापन बढ़ाने में सक्षम बनाता है।
भारत के लिये महत्त्वपूर्ण खनिजों से संबंधित चुनौतियाँ:
- रूस-यूक्रेन संघर्ष के निहितार्थ: रूस विभिन्न महत्त्वपूर्ण खनिजों का एक प्रमुख उत्पादक है जबकि यूक्रेन के पास लिथियम, कोबाल्ट, ग्रेफाइट और दुर्लभ तत्त्वों का विशाल भंडार है।
- दोनों देशों के बीच चल रहा युद्ध इन महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं को प्रभावित करता है।
- सीमित घरेलू भंडार: भारत के पास प्रमुख खनिज जैसे लिथियम, कोबाल्ट और अन्य दुर्लभ तत्त्वों का सीमित भंडार है।
- इनमें से अधिकांश खनिजों का आयात किया जाता है जिस कारण भारत इनकी आपूर्ति के लिये अन्य देशों पर बहुत अधिक निर्भर है। आयात पर यह निर्भरता मूल्य में उतार-चढ़ाव, भू-राजनीतिक कारकों तथा आपूर्ति में व्यवधान के मामले में भेद्यता उत्पन्न कर सकती है।
- खनिजों की बढ़ती मांग: नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के निर्माण और इलेक्ट्रिक वाहनों के संक्रमण हेतु बड़ी मात्रा में खनिजों जैसे- तांबा, मैंगनीज़, जस्ता, लिथियम, कोबाल्ट एवं अन्य दुर्लभ तत्त्वों की आवश्यकता होती है।
- भारत का सीमित भंडार और उच्च आवश्यकताएँ इसे घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिये विदेशी भागीदारों पर निर्भर बनाती हैं।
निष्कर्ष:
भारत के पास महत्त्वपूर्ण खनिजों के रणनीतिक प्रबंधन के माध्यम से अपने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी को मज़बूत करने का अवसर है। संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में खनिज सुरक्षा भागीदारी (MSP) जैसी पहल में भाग लेकर भारत वैश्विक महत्त्वपूर्ण खनिज आपूर्ति शृंखलाओं की स्थापना में योगदान दे सकता है।
- ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते महत्त्वपूर्ण खनिज अन्वेषण, विकास, प्रसंस्करण एवं व्यापार में भारत की स्थिति को और मज़बूत सकते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:
प्रश्न. गोंडवानालैंड के देशों में से एक होने के बावजूद भारत के खनन उद्योग अपने सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी) में बहुत कम प्रतिशत का योगदान देते हैं। विवेचना कीजिये। (2021) प्रश्न. "प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव के बावजूद कोयला खनन विकास के लिये अभी भी अपरिहार्य है"। विवेचना कीजिये। (2017) |