इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


सामाजिक न्याय

CPWD द्वारा दिव्यांगों के लिये 4% आरक्षण की अनुमति

  • 24 May 2022
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016, पीडब्ल्यूडी, सीपीडब्ल्यूडी से संबंधित विभिन्न योजनाएँ

मेन्स के लिये:

वंचित वर्ग के लिये योजनाएँ , दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने दिव्यांग व्यक्तियों (PwD) के लिये आरक्षित किये जाने वाले जूनियर इंजीनियर (सिविल और इलेक्ट्रिकल) के 4% पदों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू की है, इस प्रावधान को दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 (RPwD Act) द्वारा अनिवार्य बनाया गया है।

 प्रमुख बिंदु

  • केंद्रीय लोक निर्माण एजेंसी ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को 4% पदों और स्थानों की पहचान करने के लिये  कहा है, जहाँ दिव्यांग व्यक्तियों को नियुक्त किया जा सकता है।
  • CPWD ने क्षेत्रीय केंद्रों को भी PwDs के लिये "उचित आवास" बनाने के निर्देश दिये हैं, जैसा कि RPwD अधिनियम में भी उल्लिखित है।
  • इससे पहले विशेषज्ञ समिति (CPWD के तहत) का मानना था कि PwDs को सर्वप्रथम उस स्थान के  लिये अपेक्षित तकनीकी योग्यता या पद की आवश्यकता है और उसके पश्चात् उन्हें उस पद के लिये चयन प्रक्रिया में प्रतिस्पर्द्धा करनी होगी।
  • बाद में समिति ने CPWD को जेई (सिविल और इलेक्ट्रिकल) की भर्ती के लिये DEPWD की अधिसूचना का पालन करने की सलाह दी।

 दिव्यांगता से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:

  • राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत के अंतर्गत अनुच्छेद-41 में कहा गया है कि राज्य अपनी आर्थिक क्षमता एवं विकास की सीमा के भीतर कार्य, शिक्षा व बेरोज़गारी, वृद्धावस्था, बीमारी तथा अक्षमता के मामलों में सार्वजनिक सहायता के अधिकार को सुरक्षित करने के लिये प्रभावी प्रावधान करेगा। 
  • संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची में 'दिव्यांगों और बेरोज़गारों को राहत' विषय निर्दिष्ट है।

दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016:

  • परिभाषा: 
    • दिव्यांगता को एक विकसित और गतिशील अवधारणा के आधार पर परिभाषित किया गया है।
    • बेंचमार्क दिव्यांगता से तात्पर्य अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त किसी भी प्रकार की कम-से-कम 40% दिव्यांगता से है।
  • प्रकार: 
    • दिव्यांगों के प्रकार को 7 से बढ़ाकर 21 कर दिया गया है।
    • इस अधिनियम में मानसिक बीमारी, ऑटिज़्म, स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर, सेरेब्रल पाल्सी, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, क्रोनिक न्यूरोलॉजिकल बीमारियाँ, भाषा दिव्यांगता, थैलेसीमिया, हीमोफिलिया, सिकल सेल रोग, बहरा, अंधापन, एसिड अटैक पीड़ितों और पार्किंसंस रोग सहित कई दिव्यांगताएँ शामिल हैं।
    • इसके अलावा सरकार को निर्दिष्ट दिव्यांगता की किसी अन्य श्रेणी को अधिसूचित करने के लिये भी अधिकृत किया गया है।
  • आरक्षण: 
    • दिव्यांगों के लिये सरकारी नौकरियों में आरक्षण को 3% से बढ़ाकर 4% और उच्च शिक्षा संस्थानों में 3% से बढ़ाकर 5% कर दिया गया है।
  • शिक्षा:
    • बेंचमार्क दिव्यांगता वाले 6 से 18 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे को मुफ्त शिक्षा का अधिकार है। समावेशी शिक्षा प्रदान करने के लिये सरकार द्वारा वित्तपोषित एवं मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों की आवश्यकता होगी। 
  • अभिगम्यता:
    • सुगम्य भारत अभियान के साथ-साथ सार्वजनिक भवनों में निर्धारित समय सीमा में पहुंँच सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया गया है।
  • नियामक संस्था:
    • दिव्यांग व्यक्तियों के लिये मुख्य आयुक्त और राज्य आयुक्त अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये नियामक एवं शिकायत निवारण निकायों के रूप में कार्य करेंगे।
  • विशेष कोष:
    • दिव्यांग व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिये एक अलग राष्ट्रीय और राज्य कोष बनाया जाएगा।

PwDs हेतु विभिन्न सरकारी योजनाएंँ:

  • दिशा (DISHA): 
    • यह राष्ट्रीय न्यास अधिनियम के अंतर्गत आने वाले दिव्यांगों के साथ 10 वर्ष तक के बच्चों के लिये प्रारंभिक हस्तक्षेप और स्कूल तैयारी योजना है।
  • विकास (VIKAAS):
    • ऑटिज़्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता, या बहु-दिव्यांगता वाले 10 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिये डे केयर कार्यक्रम ताकि उन्हें अपने पारस्परिक और व्यावसायिक कौशल में सुधार करने में मदद मिल सके।
  • समर्थ (SAMARTH): 
    • अनाथों, संकटग्रस्त परिवारों और बीपीएल और एलआईजी परिवारों के दिव्यांग लोगों (जिनके पास राष्ट्रीय न्यास अधिनियम द्वारा कवर की गई चार दिव्यांगताओं में से कम-से-कम एक है) के लिये राहत गृह प्रदान करने का कार्यक्रम है।
  • घरौंदा (GHARAUNDA):
    • यह योजना ऑटिज़्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और बहु-दिव्यांग व्यक्ति को जीवन भर आवास और देखभाल सेवाएंँ प्रदान करती है।
  • निरामाया (NIRAMAYA) 
    • यह योजना ऑटिज़्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और बहु-दिव्यांग व्यक्तियों को किफायती स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिये है।
  • सहयोगी (SAHYOGI):
    • दिव्यांग लोगों (पीडब्ल्यूडी) और उनके परिवारों की कुशल देखभाल करने वालों को प्रशिक्षित करने के लिये देखभालकर्त्ता प्रकोष्ठ (Caregiver Cells-CGCs) स्थापित करने की योजना है।
  • प्रेरणा (PRERNA): 
    • ऑटिज़्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और बहु-दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा उत्पादित उत्पादों एवं सेवाओं की बिक्री के लिये व्यावहारिक व व्यापक प्रसार चैनल बनाने के लिये एक विपणन योजना।
  • समभाव (SAMBHAV): 
    • यह एड्स, सॉफ्टवेयर और अन्य प्रकार के सहायक उपकरणों को इकट्ठा करने तथा व्यवस्थित करने के लिये प्रत्येक शहर में अतिरिक्त संसाधन केंद्र स्थापित करने की योजना है।
  • बढ़ते कदम (BADHTE KADAM):
    • यह योजना राष्ट्रीय न्यास के पंजीकृत संगठनों (आरओ) को राष्ट्रीय न्यास की अक्षमताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने की गतिविधियों को संचालित करने में सहायता करती है।
  • अन्य महत्त्वपूर्ण योजनाएंँ:

केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD)

  • CPWD जुलाई 1854 में अस्तित्व में आया जब लॉर्ड डलहौजी ने सार्वजनिक कार्यों के निष्पादन के लिये एक केंद्रीय एजेंसी की स्थापना की तथा अजमेर प्रांतीय डिवीज़न की नींव रखी। 
  • यह पिछले 164 वर्षों से देश की सेवा कर रहा है।
  • यह अब एक व्यापक निर्माण प्रबंधन विभाग के रूप में विकसित हो गया है, जो परियोजना की अवधारणा से लेकर पूर्णता, परामर्श और रखरखाव प्रबंधन तक सेवाएँ प्रदान करता है।
  • इसकी अध्यक्षता महानिदेशक (DG) द्वारा की जाती है जो भारत सरकार का प्रधान तकनीकी सलाहकार भी हैं। क्षेत्रों और उप-क्षेत्रों का नेतृत्व क्रमशः विशेष महानिदेशक एवं अतिरिक्त महानिदेशक करते हैं, जबकि सभी राज्यों की राजधानियों (कुछ को छोड़कर) के क्षेत्रों का नेतृत्व मुख्य अभियंता करते हैं।
  • CPWD की पूरे भारत में उपस्थिति है तथा यह दुष्कर इलाकों में भी जटिल परियोजनाओं के निर्माण और निर्माण के बाद के चरण में रखरखाव करने की क्षमता रखता है। 
  • CPWD वर्ष 1982 के एशियाई खेलों और वर्ष 2010 में राष्ट्रमंडल खेलों के लिये स्टेडियमों के निर्माण एवं अन्य बुनियादी ढांँचे की आवश्यकताओं की पूर्ति में शामिल था। 

विगत वर्ष के प्रश्न:

प्रश्न.  भारत लाखों दिव्यांग व्यक्तियों का घर है। कानून के अंतर्गत उन्हें क्या लाभ उपलब्ध हैं? (2011)

  1. सरकारी स्कूलों में 18 साल की उम्र तक मुफ्त स्कूली शिक्षा।
  2. व्यवसाय स्थापित करने के लिये भूमि का अधिमान्य आवंटन।
  3. सार्वजनिक भवनों में रैंप।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1                  
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3         
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: d

  • जैसा कि वर्ष 2011 में सवाल पूछा गया था, तब  दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 अस्तित्व में नहीं था। दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 दिव्यांग लोगों के लिये समान अवसर व राष्ट्र निर्माण में उनकी पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करता है।
  • अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों के लिये शिक्षा, रोज़गार और व्यावसायिक प्रशिक्षण, आरक्षण, पुनर्वास तथा सामाजिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • अधिनियम सरकारों और स्थानीय अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता है कि प्रत्येक दिव्यांग बच्चे को 18 वर्ष की आयु तक एक उपयुक्त वातावरण में मुफ्त शिक्षा मिले तथा सामान्य स्कूलों में दिव्यांग छात्रों के समाकलन को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाए, अतः कथन 1 सही है।
  • इसके अलावा अधिनियम सरकारों और स्थानीय प्राधिकरणों को दिव्यांग व्यक्तियों के पक्ष में घर के लिये भूमि के अधिमान्य आवंटन (रियायती दरों पर), व्यवसाय स्थापित करने, विशेष स्कूलों की स्थापना, दिव्यांग उद्यमियों द्वारा कारखानों की स्थापना के लिये योजनाएंँ बनाने का निर्देश देता है। अतः कथन 2 सही है।
  • अधिनियम में अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों आदि सहित सार्वजनिक भवनों में रैंप का प्रावधान है। अतः कथन 3 सही है।

स्रोत : द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2