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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विश्व विकलांगता दिवस

  • 05 Dec 2017
  • 5 min read

संदर्भ
प्रति वर्ष 3 दिसंबर, ‘विश्व विकलांगता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2017 में इसकी थीम “सभी के लिये टिकाऊ और लचीली सामाजिक व्यवस्था की ओर परिवर्तन” (Transformation towards sustainable and resilient society for all) निर्धारित की गई है।

प्रमुख बिंदु

  • संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1981 को ‘विकलांगजनों के लिये अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया था। 
  • उसके बाद 1983-92 के दशक को को ‘विकलांगजनों के लिये अंतर्राष्ट्रीय दशक’ घोषित किया गया। 
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1992 से प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को ‘विश्व विकलांगता दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की गई। 

कुछ आँकड़े

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार विश्व की 15.3% आबादी किसी न किसी प्रकार की अशक्तता से पीड़ित है। इस प्रकार यह विश्व का सबसे बड़ा ‘अदृश्य अल्पसंख्यक समूह’ है।  
  • विश्व में निर्धन लोगों की श्रेणी में गिने जाने वाले कुल लोगों में से  लगभग 20% विकलांगता से पीड़ित हैं।
  • निम्न और मध्यम आय वाले देशों में रहने वाले अशक्त जनों में से मात्र 5-15% लोगों की ही सहायक उपकरणों और तकनीकों तक पहुँच है।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल जनसंख्या का मात्र 2.21% ही विकलांगता से पीड़ित है। भारत में अशक्त जनों की इस कम संख्या का कारण भारतीय समाज में विकलांगता को छिपाने की प्रवृत्ति को माना जा सकता है। 
  • अन्य शोधों के अनुसार भारत में विकलांग जनों की वास्तविक संख्या कहीं ज़्यादा होने का अनुमान है।

विश्व विकलांगता दिवस मनाने का उद्देश्य

  • इस दिवस को मनाने का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य अशक्त जनों की अक्षमता के मुद्दों को लेकर समाज में लोगों की जागरूकता, समझ और संवेदनशीलता को बढ़ावा देना है।
  • विकलांग जनों के आत्म-सम्मान, कल्याण और आजीविका की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उनकी सहायता करना।
  • आधुनिक समाज में अशक्त जनों के साथ हो रहे हर प्रकार के भेद-भाव को समाप्त करना।

इस दिशा में किये गए प्रयास

  • अशक्त जनों के अधिकारों के संवर्द्धन, संरक्षण एवं उनके स्वास्थ्य, शिक्षा, रोज़गार, आवास एवं पुनर्वास, राजनीतिक जीवन में सहभागिता और समानता तथा भेदभाव रहित व्यवहार जैसे कई महत्त्वपूर्ण मुद्दों को शामिल करते हुए 2006 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘अशक्तजनों के अधिकारों पर अभिसमय’ (Convention on The Rights of Persons With Disabilities) स्वीकार किया गया।
  • भारत ने इस अभिसमय पर 2007 में हस्ताक्षर किये तथा इसकी पुष्टि भी की।
  • अशक्त जनों के प्रति प्रेम-भाव और आदर बढ़ाने के लिये भारत में इन्हें ‘दिव्यांग’ कहा जाने लगा है।
  • यहाँ 40% या उससे अधिक अशक्तता वाले लोगों को दिव्यांग की श्रेणी में गिना जाता है।
  • विकलांग व्यक्तियों के लिये सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करने के लिये सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के विकलांगजन सशक्तीकरण विभाग ने ‘सुगम्य भारत’ नामक एक देशव्यापी अभियान की शुरुआत की है।
  • दिव्यांगजनों को विकास की मुख्यधारा में शामिल करने तथा उनके कौशल को पोषण देने एवं उनकी सुगमता और अधिकारों की सुरक्षा के लक्ष्य पर आधारित ‘दिव्यांगजन अधिकार विधेयक -2016’ पारित किया जा चुका है। 
  • इस विधेयक की मुख्य विशेषता विकलांगता की श्रेणियों को 7 से बढ़ाकर 21 किया जाना है। इसमें एसिड पीड़ितों को भी शामिल किया जाना उल्लेखनीय है।
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