कोविड के कारण गरीबी में वृद्धि: प्यू रिपोर्ट | 22 Mar 2021

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्यू रिसर्च सेंटर (Pew Research Center) द्वारा किये गए एक नए शोध में पाया गया है कि कोविड महामारी (Coronavirus Pandemic) के चलते लगभग 32 मिलियन भारतीय मध्यम वर्ग से निम्न वर्ग में पहुँच गए हैं जिसके परिणामस्वरूप देश में गरीबी में वृद्धि हुई है।

  • यह रिपोर्ट विश्व बैंक (World Bank) के आँकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है।
  • प्यू रिसर्च सेंटर विश्व को प्रभावित करने वाले विभिन्न मुद्दों, दृष्टिकोणों और रुझानों पर उपलब्ध आँकड़ों का निष्पक्ष विश्लेषण कर लोगों के सामने प्रस्तुत करता है।

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प्रमुख बिंदु

भारतीय परिदृश्य:

  • गरीबी दर:
    • भारत में गरीबी दर वर्ष 2020 में बढ़कर 9.7% हो गई, जो कि जनवरी 2020 में 4.3% अनुमानित थी।
  • बढ़ी हुई गरीबी:
    • भारत में वर्ष 2011 से वर्ष 2019 तक गरीबों की संख्या 340 मिलियन से घटकर 78 मिलियन हो गई थी।
    • इस संख्या में वर्ष 2020 में 75 मिलियन की बढ़ोतरी हुई है।
      • गरीब वर्ग: भारत के संदर्भ में एक दिन में 2 अमेरिकी डॉलर या उससे कम कमाने वाले लोगों को गरीबी की श्रेणी में रखा जाता है।
      • गरीबी में वैश्विक वृद्धि का लगभग 60% वृद्धि अकेले भारत में हुई।
    • कोविड महामारी के दौरान महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme- MGNREGS) के तहत नामाँकन में अत्यधिक वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि गरीब लोग काम पाने के लिये प्रयास कर रहे थे।
  • मध्यम वर्ग की संख्या में कमी:
    • भारत में वर्ष 2020 में मध्यम वर्ग की संख्या लगभग 3.2 करोड़ तक कम हुई है।
      • मध्यम वर्ग: लगभग 10-20 अमेरिकी डॉलर (700-1,500 रुपए) प्रतिदिन कमाने वाले लोग इस वर्ग में आते हैं।
    • मध्य आय समूह की संख्या 10 करोड़ से घटकर 6.6 करोड़ हो गई है।
  • निम्न आय वर्ग में कमी:
    • भारत की अधिकांश आबादी निम्न आय वर्ग में आती है।
    • इस समूह के लगभग 3.5 करोड़ लोगों के गरीबी रेखा से नीचे आ जाने के बाद अब यह जनसंख्या 119.7 करोड़ से घटकर 116.2 करोड़ हो गई है।
      • निम्न आय समूह: इस समूह में प्रतिदिन 50 से 700 रुपए तक कमाने वाले लोग आते हैं।
  • समृद्ध जनसंख्या:
    • अमीर लोगों की आबादी भी लगभग 30% गिरकर 1.8 करोड़ हो गई।
      • अमीर वर्ग: इसमें वे लोग शामिल हैं जो प्रतिदिन 1500 रुपए से अधिक कमाते हैं।

चीन के साथ तुलना:

  • चीन में भारत से भी बड़ी आबादी रहती है लेकिन यहाँ गरीबी पर महामारी का प्रभाव बहुत कम देखा गया।
  • यह वर्ष 2020 में वृद्धि करने वाली एकमात्र ऐसी प्रमुख अर्थव्यवस्था थी जहाँ गरीबी का स्तर लगभग अपरिवर्तित रहा।
  • चीन के लोगों के जीवन स्तर में मामूली गिरावट आई क्योंकि यहाँ के मध्यम वर्ग की संख्या में सिर्फ एक करोड़ की कमी आई, जबकि गरीबी का स्तर लगभग अपरिवर्तित रहा।

वैश्विक परिदृश्य:

  • गरीबी दर:
    • पिछले कुछ वर्षों से वैश्विक गरीबी दर में एक स्थिर गिरावट देखने के बाद पिछले वर्ष यह दर 10.4% हो गई।
    • पहले यह उम्मीद की जा रही थी कि वर्ष 2020 में गरीबी दर घटकर 8.7% हो जाएगी।
  • गरीब वर्ग:
    • वैश्विक गरीबों की संख्या वर्ष 2020 में बढ़कर 803 मिलियन हो गई है जो कि महामारी-पूर्व 672 मिलियन थी।
  • मध्यम वर्ग:
    • वैश्विक स्तर पर वर्ष 2011 से वर्ष 2019 तक मध्यम वर्ग की आबादी 899 मिलियन से बढ़कर 1.34 बिलियन हो गई थी, जिसके सालाना लगभग 54 मिलियन बढ़ने की उम्मीद थी।
  • दक्षिण एशिया:
    • दक्षिण एशिया में वर्ष 2020 में मध्यम वर्ग की संख्या में सबसे ज़्यादा कमी और गरीबी में सबसे ज़्यादा विस्तार हुआ है।
      • महामारी के दौरान दक्षिण एशिया के आर्थिक विकास में तेज़ी से कमी प्रमुख विशेषता रही।

कारण:

  • महामारी के कारण लगने वाले लॉकडाउन से व्यापार बंदी, नौकरियों में कमी और आय में गिरावट देखी गई जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी की स्थिति में पहुँच गई।
  • वैश्विक गरीबी में तीव्र वृद्धि इस कारण हुई क्योंकि कोविड-19 महामारी से पूर्व कम आय स्तर की सीमा पर अधिकांश लोग थे।

प्रभाव:

  • वैश्विक आबादी के लगभग एक-तिहाई से अधिक लोग भारत और चीन में रहते हैं। अतः इन दोनों देशों में महामारी के स्वरूप और उससे निपटने के लिये किये गए प्रयास वैश्विक स्तर पर आय के वितरण से होने वाले परिवर्तनों को प्रभावित करेंगे।
  • इसने आर्थिक मोर्चे पर हुई प्रगति को भी कई वर्ष पीछे धकेल दिया है।

कोविड के प्रभाव को कम करने हेतु भारत की पहलें:

स्रोत: द हिंदू