अफगानिस्तान में अफीम के भंडार पर चिंताएँ | 24 Jul 2024

प्रिलिम्स के लिये::

UNSC रिपोर्ट, पोस्त पर प्रतिबंध, नारकोटिक्स तस्करी, ISI, मादक पदार्थ, मेथमफेटामाइन उत्पादन, भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी, पीआईबी, यूपीएससी सीएसई, विगत वर्ष के प्रश्न। 

मेन्स के लिये:

UNSC रिपोर्ट, फगानिस्तान में अफीम के भंडार, तालिबान के पोस्त पर प्रतिबंध, भारत के लिये निहितार्थ

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की नवीनतम रिपोर्ट में, अफीम की खेती पर तालिबान के प्रतिबंध के बावजूद अफगानिस्तान में अफीम के विशाल भंडार के संबंध में महत्त्वपूर्ण चिंताओं को उजागर किया गया है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • अप्रैल 2022 में अफीम की खेती पर तालिबान के प्रतिबंध के बावजूद, अफगानिस्तान में अफीम का पर्याप्त भंडार है। 
    • इस रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इन भंडारों के कारण, प्रतिबंध के पूर्ण प्रभाव का आकलन करने में कई वर्ष लग सकते हैं।
  •  ज़ब्ती के आँकड़ों के आधार पर मादक पदार्थों के निर्यात में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं होने के साथ, मादक पदार्थों का व्यापार बना हुआ है। 
    • हक्कानी नेटवर्क सहित तालिबान के लोग और संबंधित व्यापारी मादक पदार्थों की तस्करी से लाभ कमा रहे हैं। 
    • तालिबान के प्रमुख लोग विभिन्न मादक पदार्थों की तस्करी के मार्गों को नियंत्रित करते हैं।
  • मेथमफेटामाइन का उत्पादन बढ़ने के साथ फेंटेनाइल की प्रमुख मात्रा को भी दर्ज़ किया गया है।
    • मेथमफेटामाइन उत्पादन के प्रमुख केंद्रों में फराह, हेरात और निमरोज शामिल हैं, जिनमें बहरामचा, दिशु ज़िले एवं हेलमंद प्रांत में सक्रिय प्रयोगशालाएँ हैं।

अफीम के भंडार और मादक पदार्थों की तस्करी के क्या निहितार्थ हैं?

  • तस्करी नेटवर्क: भारत में अधिकांश मादक पदार्थ अफगानिस्तान से आते हैं, जहाँ पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) एजेंसी इन नेटवर्क को नियंत्रित करती है।
  • आतंकवाद का वित्तपोषण: मादक पदार्थों से प्राप्त धन का उपयोग लश्कर-ए-तैयबा (LeT) जैसे भारत विरोधी आतंकवादी समूहों को वित्तपोषित करने के लिये किया जा रहा है।
    • अफगानिस्तान से खरीदे गए मादक पदार्थों को बलूचिस्तान की गुप्त प्रयोगशालाओं में लेबल किया जाता है और फिर इनकी भारत में तस्करी की जाती है।
  • ज़ब्ती: भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कंधार स्थित कार्टेल और मादक पदार्थों की तस्करी नेटवर्क के बीच प्रत्यक्ष संबंधों का पता लगाया है।
  • सरकारी प्रतिक्रिया: केंद्रीय गृह मंत्री ने सुरक्षा एजेंसियों से तस्करी नेटवर्क के प्रति कठोर रुख अपनाने का आग्रह किया है।
    • केंद्र सरकार मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने के लिये सभी बंदरगाहों और भूमि सीमा चौकियों पर कंटेनर स्कैनर लगाने पर कार्य कर रही है।

मादक पदार्थों/ड्रग्स के दुरुपयोग से निपटने की पहल:

अवैध ड्रग्स का प्रसिद्ध केंद्र

    • गोल्डन ट्राइंगल दक्षिण-पूर्व एशिया के एक क्षेत्र को संदर्भित करता है जो अवैध ड्रग्स (विशेष रूप से अफीम के उत्पादन हेतु) के लिये जाना जाता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ तीन देशों की सीमाएँ मिलती हैं: म्याँमार (पूर्व में बर्मा), लाओस और थाईलैंड।
    • गोल्डन क्रिसेंट क्षेत्र में अफगानिस्तान और ईरान शामिल हैं, जो इसे पाकिस्तान से तस्करी किये जाने वाले ड्रग्स हेतु एक प्राकृतिक पारगमन बिंदु बनाता है।

अफीम विनियमन और उपयोग

  • स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 तथा स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ नियम, 1985 के अंतर्गत स्वापक आयुक्त अफीम की कृषि एवं अफीम के उत्पादन के अधीक्षण से संबंधित सभी कार्य करता है।
  • अफीम की कृषि केवल उन्हीं क्षेत्रों में की जा सकती है जो सरकार द्वारा अधिसूचित हों।
    • वर्तमान में ये क्षेत्र तीन राज्यों अर्थात् मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक सीमित हैं। 
    • मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले के साथ-साथ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ और झालावाड़ ज़िलों में कुल कृषि योग्य क्षेत्रफल का लगभग 80% हिस्सा इसके तहत शामिल है।
  • अफीम के उपयोग:
    • अफीम का चिकित्सीय महत्त्व अद्वितीय है और चिकित्सा जगत में अपरिहार्य है।
    • इसका उपयोग होम्योपैथी और आयुर्वेद या स्वदेशी दवाओं की यूनानी प्रणालियों में भी किया जाता है।
    • अफीम (जिसका उपयोग ‘एनल्जेसिक’ (Analgesics), एंटी-टूसिव (Anti-Tussive), एंटी स्पस्मोडिक (Anti spasmodic) और खाद्य बीज-तेल के स्रोत के रूप में किया जाता है) एक औषधीय जड़ी बूटी भी है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: अफगानिस्तान से होने वाले अफीम व्यापार के भारत की सुरक्षा एवं सामाजिक-आर्थिक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा कीजिये। इन चुनौतियों से निपटने के लिये भारत द्वारा किये जा सकने वाले उपायों पर प्रकाश डालिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशंस क्न्वेंशन अगेंस्ट करप्शन (UNCAC)] का 'भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल' होता है।
  2. UNCAC अब तक का सबसे पहला विधितः बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार-निरोधी लिखत है।
  3. राष्ट्र-पार संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट ट्रांसनैशनल ऑर्गेनाइज़्ड क्राइम (UNTOC)] की एक विशिष्टता ऐसे एक विशिष्ट अध्याय का समावेशन है, जिसका लक्ष्य उन संपत्तियों को उनके वैध स्वामियों को लौटाना है जिनसे वे अवैध तरीके से ले ली गई थीं।
  4. मादक द्रव्य और अपराध विषयक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय [यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स ऐंड क्राइम (UNODC)] संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा UNCAC और UNTOC दोनों के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिये अधिदेशित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)


मेन्स 

प्रश्न. एक सीमांत राज्य के एक ज़िले में स्वापकों (नशीले पदार्थों) का खतरा अनियंत्रित हो गया है। इसके परिणामस्वरूप काले धन का प्रचलन, पोस्त की खेती में वृद्धि, हथियारों की तस्करी, व्यापक हो गई है तथा शिक्षा व्यवस्था लगभग ठप्प हो गई है। संपूर्ण व्यवस्था एक प्रकार से समाप्ति के कगार पर है। इन अपुष्ट खबरों से कि स्थानीय राजनेता और कुछ पुलिस उच्चाधिकारी भी ड्रग माफिया को गुप्त संरक्षण दे रहे हैं, स्थिति और भी बदतर हो गई है। ऐसे समय में, परिस्थिति को सामान्य करने के लिये, एक महिला पुलिस अधिकारी, जो ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिये अपने कौशल के लिये जानी जाती है, को पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त किया जाता है। यदि आप वही पुलिस अधिकारी हैं, तो संकट के विभिन्न आयामों को चिह्नित कीजिये। अपनी समझ के अनुसार, संकट का सामना करने के उपाय भी सुझाइये।  (2019)