डिजिटल बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा | 30 May 2024

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI), डिजिटल प्लेटफॉर्म, प्रतिस्पर्द्धा कानून, ऑनलाइन विज्ञापन, लक्षित विज्ञापन, नियामक ढाँचा, व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 

मेन्स के लिये:

डिजिटल बाज़ारों के प्रमुख पहलू, डिजिटल बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा से जुड़ी चुनौतियाँ

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Commission of India- CCI) के अध्यक्ष ने 15वें वार्षिक दिवस समारोह के दौरान डिजिटल बाज़ार की प्रवृत्ति पर बल दिया, जिससे बाज़ार संकेंद्रण और एकाधिकारवादी प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं।

इस कार्यक्रम प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • CCI अध्यक्ष के अनुसार, बड़े डेटासेट पर डिजिटल प्लेटफॉर्म का नियंत्रण नए अभिकर्त्ताओं के प्रवेश में बाधाएँ उत्पन्न कर सकता है, प्लेटफॉर्म तटस्थता से समझौता कर सकता है और एल्गोरिदम संबंधी साँठ-गाँठ को जन्म दे सकता है।
  • भारत के महान्यायवादी ने यह भी रेखांकित किया कि उपयोगकर्त्ता डेटा पर ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों का एकाधिकार “जाँच का विषय हो सकता है” और मुक्त बाज़ार तथा सामाजिक लाभ के बीच संतुलन बनाने के लिये नए विचारों की आवश्यकता है, जिसके लिये कानूनी नवाचार ज़रूरी है।
  • भविष्य हेतु डिजिटल अर्थव्यवस्था नवाचार, विकास और उपभोक्ता लाभ के लिये कई अवसर प्रदान करती है, लेकिन इसने विश्व भर में पारंपरिक प्रतिस्पर्द्धा कानून ढाँचे को चुनौती दी है।
  • डिजिटल बाज़ारों के संदर्भ में मानवीय प्राथमिकताओं को समझने के लिये व्यवहारिक अर्थशास्त्र जैसे उपकरणों के महत्त्व पर भी प्रकाश डाला गया।

डिजिटल बाज़ार क्या है?

  • परिचय:
    • डिज़िटल बाज़ार, जिसे ऑनलाइन बाज़ार भी कहा जाता है, अनिवार्य रूप से वह वाणिज्यिक स्थान है जहाँ व्यवसाय और उपभोक्ता डिजिटल तकनीकों के माध्यम से जुड़ते हैं।
  • उदाहारण:
    • ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस: ये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म हैं जहाँ व्यवसाय सीधे उपभोक्ताओं (B2C) को उत्पाद बेचते हैं, जैसे अमेज़न और ईबे।
    • डिजिटल विज्ञापन: इसमें वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म या सर्च इंजन पर दिखाए जाने वाले ऑनलाइन विज्ञापन शामिल हैं। गूगल विज्ञापन और फेसबुक विज्ञापन जैसी कंपनियाँ इस क्षेत्र में काम करती हैं।
    • सोशल मीडिया मार्केटिंग: व्यवसाय संभावित ग्राहकों से जुड़ने, ब्रांड जागरूकता उत्पन्न करने और उत्पादों या सेवाओं को बढ़ावा देने के लिये फेसबुक, इंस्टाग्राम या ट्विटर ( परिवर्तित नाम एक्स) जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं।
    • सर्च इंजन आप्टीमाइज़ेशन(SEO): इसमें वेबसाइट की सामग्री और संरचना को सर्च इंजन रिजल्ट पेज (Search Engine Results Pages- SERP) में उच्च रैंक के लिये आप्टीमाइज़ेशन करना शामिल है जिससे जैव यातायात (Organic Traffic) में वृद्धि होती है।
  • एकाधिकारवादी प्रवृत्तियों को जन्म देने वाली विशेषताएँ:
    • कई डिज़िटल बाज़ार कुछ विशेषताएँ प्रदर्शित करते हैं, जैसे अपरिवर्तनीय लागत, उच्च स्थिर लागत और मज़बूत नेटवर्क प्रभाव, जिसके परिणामस्वरूप कुछ ही फर्मों का बाज़ार में बहुत हिस्सा होता है। 

डिजिटल बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?

  • बाज़ार प्रभुत्व और प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाएँ:
    • कुछ प्रतियोगी बाज़ार के बड़े हिस्से को नियंत्रित कर सकते हैं, नवाचार को रोक सकते हैं और उपभोक्ता की पसंद को सीमित कर सकते हैं। यह प्रभुत्व प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं को जन्म दे सकता है जैसे:
      • स्व-प्राथमिकता: एक प्लेटफॉर्म खोज परिणामों या प्रचारों में प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में अपने उत्पादों अथवा सेवाओं को प्राथमिकता देता है।
        • उदाहरण: गूगल कथित तौर पर अन्य प्लेटफॉर्म की तुलना में अपने शॉपिंग परिणामों को वरीयता दे रहा है।
      • उपयोगकर्त्ता को विवश करना: उपयोगकर्त्ताओं को वांछित उत्पादों या सेवाओं के साथ अवांछित उत्पाद अथवा सेवाएँ खरीदने के लिये मजबूर करना।
        • उदाहारण: आईफोन को जब दूसरे एप्पल उत्पादों जैसे कि आईपॉड और एप्पल म्यूज़िक के साथ जोड़ा जाता है तो यह एक सहज उपयोगकर्त्ता अनुभव प्रदान करता है। यह सघन एकीकरण उपयोगकर्त्ताओं को एप्पल पारिस्थितिकी तंत्र से जुड़े रहने के लिये मजबूर करता है, जिससे संभवतः अन्य ब्रांडों के साथ उनके विकल्प सीमित हो जाते हैं।
      • विशेष सौदे:आपूर्तिकर्त्ताओं या वितरकों को विशिष्ट समझौतों में बाँधना, जिससे प्रतिस्पर्द्धा में बाधा उत्पन्न होती है। 
        • उदहारण: हॉटस्टार, जियो सिनेमा आदि जैसे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म शो के विशेष अधिकार सुरक्षित कर रहे हैं, जिससे दर्शकों के विकल्प सीमित हो रहे हैं।
  • नेटवर्क प्रभाव और विनर-टेक-ऑल डायनेमिक्स:
    • किसी प्लेटफॉर्म का मूल्य तब बढ़ता है जब अधिक उपयोगकर्त्ता उससे जुड़ते हैं, जिससे एक स्नोबॉल प्रभाव (Snowball Effect) उत्पन्न होता है जो नए प्रवेशकों के लिये प्रतिस्पर्द्धा करना कठिन बना देता है।
    • उदाहरण के लिये: व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ताओं के साथ अधिक मूल्यवान हो जाते हैं। इससे निम्न परिणाम हो सकते हैं:
      • उच्च स्विचिंग लागत: संचित डेटा, नेटवर्क कनेक्शन या डूबे हुए लागत के कारण उपयोगकर्त्ता इसके आदी हो जाते हैं, जिससे उनके लिये प्रतिस्पर्द्धी प्लेटफॉर्म पर स्विच करना कठिन हो जाता है।
      • नवप्रवर्तन में कमी: प्रमुख प्रतियोगियों के पास नवप्रवर्तन के लिये न्यूनतम प्रोत्साहन हो सकता है क्योंकि उनकी बाज़ार में मज़बूत स्थिति होती है।
  • डेटा लाभ और गोपनीयता संबंधी चिंताएँ:
    • डिजिटल कंपनियाँ बड़ी मात्रा में उपयोगकर्त्ता डेटा एकत्र करती हैं, जिससे उन्हें वैयक्तिकरण, लक्षित विज्ञापन और उत्पाद विकास में लाभ मिलता है। इससे निम्न के बारे में चिंताएँ उत्पन्न होती हैं:
      • उपभोक्ता गोपनीयता: जिस पद्धति से उपयोगकर्त्ता डेटा एकत्रित, संग्रहीत और उपयोग किया जाता है, वह अस्पष्ट हो सकती है तथा इससे गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है।
      • अवसरों में असमानता: नए प्रवेशकों को उन स्थापित प्रतियोगियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा करने में कठिनाई हो सकती है जिनके पास लाभ प्राप्त करने के लिये समृद्ध डेटा सेट है।
  • विनियामक चुनौतियाँ:
    • डिजिटल बाज़ारों की तीव्र प्रकृति मौज़ूदा नियमों को अप्रभावी बना सकती है। विनियामक निम्नलिखित को परिभाषित करने और संबोधित करने में कठिनाई अनुभव करते हैं:
      • अविश्वास संबंधी मुद्दे:जटिल डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी व्यवहार को परिभाषित और सिद्ध करना कठिन हो सकता है।
      • एक प्रमुख फर्म का निर्धारण करना भी एक बड़ी चुनौती है।

डिजिटल बाज़ार प्रतिस्पर्द्धा की निगरानी हेतु संभावित समाधान क्या हैं?

  • सक्रिय उपाय:
    • प्रणालीगत रूप से महत्त्वपूर्ण डिजिटल मध्यस्थों (SIDIs) का पदनाम: महत्त्वपूर्ण बाज़ार शक्ति (उपयोगकर्त्ता आधार एवं राजस्व के आधार पर) वाले प्रमुख प्रतियोगियों की पहचान करना और उन्हें सख्त नियम के अधीन करना।
    • प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं का निषेध: स्व-वरीयता और अनन्य व्यवहार जैसी प्रथाओं पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाना जो प्रतिस्पर्द्धा को रोकते हैं।
      • उदाहरण: कोई प्लेटफाॅर्म खोज परिणामों में प्रतिस्पर्द्धियों की तुलना में अपने उत्पादों को प्राथमिकता नहीं दे सकता।
    • डेटा साझाकरण और अंतरसंचालनीयता: उपयोगकर्त्ताओं को प्लेटफाॅर्म के बीच डेटा या सेवाओं को अधिक सरलता से स्थानांतरित करने की अनुमति देने के लिये डेटा साझाकरण या प्लेटफाॅर्म अंतरसंचालनीयता को कुछ विशेष सीमा तक अनिवार्य करना।
      • उदाहरण: उपयोगकर्त्ताओं को अपने ऑनलाइन शॉपिंग कार्ट (Online Shopping Cart) को एक प्लेटफाॅर्म से दूसरे प्लेटफाॅर्म पर स्थानांतरित करने की अनुमति देना।
  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India- CCI) को सुदृढ़ बनाना:
    • उन्नत संसाधन और विशेषज्ञता: CCI को डिजिटल बाज़ारों की प्रभावी निगरानी करने और संभावित प्रतिस्पर्द्धा -विरोधी प्रथाओं की जाँच करने के लिये अतिरिक्त शक्तियाँ, संसाधन एवं कार्मिक प्रदान करना।
      • उदाहरण: 53वीं संसदीय स्थायी समिति की रिपोर्ट ने डिजिटल बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये CCI को मज़बूत करने की अनुशंसा की।
  • डेटा संरक्षण के साथ नवाचार को बढ़ावा देना:
    • विनियामकीय सैंडबॉक्स: डिजिटल बाज़ारों में स्टार्टअप्स के लिये एक विनियामक ढाँचा स्थापित किया जाना चाहिये ताकि विनियामक भार कम होने के साथ नियंत्रित वातावरण में नवीन उत्पादों और सेवाओं का परीक्षण किया जा सके।
    • पारदर्शिता और उपयोगकर्त्ता विकल्प: डेटा संग्रह प्रथाओं के बारे में पारदर्शी होने और उपयोगकर्त्ताओं को उनके डेटा पर सार्थक नियंत्रण प्रदान करने के लिये प्लेटफार्मों की आवश्यकता वाले विस्तृत नियम तैयार किये जाने चाहिये।

निष्कर्ष:

डिजिटल बाज़ार व्यवसायों और उपभोक्ताओं को जुड़ने के लिये एक गतिशील स्थान प्रदान करते हैं, लेकिन वे अद्वितीय चुनौती भी प्रस्तुत करते हैं। एकाधिकार की संभावना, डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताएँ और नवाचार की कमी के कारण सक्रिय समाधान की आवश्यकता होती है। वैश्विक दुनिया के बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ, भारत के लिये स्टार्टअप के लिये उपयुक्त परिस्थितियों को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक कदम उठाना अनिवार्य है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न. डिजिटल बाज़ारों की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा कीजिये। भारत में डिज़िटल बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा से जुड़ी चुनौतियाँ और संभावित समाधान क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न1. भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत 'निजता का अधिकार' संरक्षित है? (2021)

(a) अनुच्छेद 15
(b) अनुच्छेद 19
(c) अनुच्छेद 21
(d) अनुच्छेद 29

उत्तर: (c)


प्रश्न2. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्भूत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है ? (2018)

(a) अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध
(b) अनुच्छेद 17 एवं भाग IV में दिये राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व
(c) अनुच्छेद 21 एवं भाग III में गारंटी की गई स्वतंत्रताएँ
(d) अनुच्छेद 24 एवं संविधान के 44वें संशोधन के अधीन उपबंध

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. निजता के अधिकार पर उच्चतम न्यायालय के नवीनतम निर्णय के आलोक में, मौलिक अधिकारों के विस्तार का परीक्षण कीजिये। (2017)