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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में बाज़ार एकाधिकार और कानून

  • 19 Jan 2024
  • 17 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI), प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002, प्रमुख बाज़ार स्थिति का दुरुपयोग, प्रतिस्पर्धा संशोधन विधेयक, 2022

मेन्स के लिये:

भारत में बाज़ार एकाधिकार और कानून, समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

स्रोत: मनी कंट्रोल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (Competition Commission of India - CCI) ने एक प्रमुख मल्टीप्लेक्स शृंखला PVR के विरुद्ध एक शिकायत को खारिज़ कर दिया है, जिसमें कथित तौर पर अपनी प्रमुख बाज़ार स्थिति का दुरुपयोग करते हुए बाज़ार एकाधिकार की चिंता जताई गई थी।

आरोप और CCI का फैसला?

  • यह आरोप लगाया गया था कि PVR ने शक्तिशाली और आर्थिक रूप से समृद्ध प्रोडक्शन हाउस की फिल्मों को प्रमुख वरीयता देकर अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग किया तथा इस प्रकार स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं की फिल्मों में प्रवेश में बाधाएँ उत्पन्न कीं।
    • PVR ने आरोपों का यह कहते हुए खंडन किया कि उनके पास सहायक सबूतों की कमी है, यह तर्क देते हुए कि शिकायत का उद्देश्य बिना किसी कानूनी बाध्यता के उनकी फिल्म के प्रदर्शन पर दबाव डालना था।
  • CCI को प्रतिस्पर्द्धा संबंधी किसी प्रकार की चिंताएँ स्पष्ट नहीं हो सकी। इसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया कि जब तक प्रतिस्पर्धा को नुकसान स्पष्ट न हो, विनियामक हस्तक्षेप से अवांछनीय परिणाम हो सकते हैं, जिससे प्रदर्शकों की स्वायत्तता बरकरार रहेगी।

बाज़ार एकाधिकार क्या है?

  • परिचय:
    • बाज़ार एकाधिकार उस स्थिति को संदर्भित करता है जिसमें एक एकल कंपनी या कंपनियों का समूह किसी विशेष बाज़ार या उद्योग के महत्त्वपूर्ण हिस्से पर हावी होता है और नियंत्रित करता है।
    • एकाधिकार में, केवल एक विक्रेता या निर्माता होता है जो एक विशिष्ट उत्पाद या सेवा प्रदान करता है और उपभोक्ताओं के लिये कोई करीबी विकल्प उपलब्ध नहीं होता है।
    • यह एकाधिकारवादी इकाई को पर्याप्त बाज़ार शक्ति प्रदान करता है, जिससे उसे बाज़ार की स्थितियों को प्रभावित करने, कीमतें निर्धारित करने और वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति को नियंत्रित करने की अनुमति मिलती है।
  • बाज़ार एकाधिकार की विशेषताएँ:
    • एकल विक्रेता या निर्माता:
      • एकाधिकार में, केवल एक इकाई होती है जो पूरे बाज़ार पर हावी होती है। यह कंपनी किसी विशेष उत्पाद या सेवा की अनन्य प्रदाता है।
    • प्रवेश में उच्च बाधाएँ:
      • एकाधिकार अक्सर तब उत्पन्न होता है जब नए प्रतिस्पर्धियों को बाज़ार में प्रवेश करने से रोकने वाली महत्त्वपूर्ण बाधाएँ होती हैं। बाधाओं में उच्च स्टार्टअप लागत, संसाधनों तक विशेष पहुँच, सरकारी नियम या मज़बूत ब्रांड वफादारी शामिल हो सकती है।
    • कोई विकल्प न होना:
      • एकाधिकारवादी कंपनी द्वारा पेश किये गए उत्पाद या सेवा के लिये उपभोक्ताओं के पास सीमित या कोई वैकल्पिक विकल्प नहीं है। बाज़ार में इसका कोई करीबी विकल्प उपलब्ध नहीं है।
    • बाज़ार की शक्ति एवं मूल्य नियंत्रण:
      • एकाधिकार बाज़ार में अत्यधिक शक्ति होती है, जो उसे प्रतिस्पर्द्धा के महत्त्वपूर्ण डर के बिना कीमतों को नियंत्रित करने की अनुमति प्रदान करता है। इससे उपभोक्ताओं के लिये कीमतें अधिक हो सकती हैं और संभावित रूप से उत्पादन में कमी आ सकती है।
    • आपूर्ति पर प्रभाव:
      • एकाधिकार का उत्पाद या सेवा की आपूर्ति पर नियंत्रण होता है। यह उत्पादित मात्रा निर्धारित कर सकता है और साथ ही बाज़ार को प्रभावित करने के लिये आपूर्ति को समायोजित कर सकता है।
    • प्रतिस्पर्द्धा का अभाव:
      • प्रतिस्पर्द्धियों की अनुपस्थिति के कारण, एकाधिकार ऐसे वातावरण में संचालित होते हैं जहाँ उनके विशिष्ट उत्पाद या सेवा के लिये कोई सीधी प्रतिस्पर्द्धा नहीं होती है। प्रतिस्पर्द्धा की इस कमी के परिणामस्वरूप नवाचार एवं दक्षता के लिये प्रोत्साहन में कमी आ सकती है।

प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं से संबंधित प्रमुख शर्तें

  • बेहद सस्ती कीमत:
    • बेहद सस्ती मूल्य निर्धारण तब होता है जब कोई कंपनी प्रतिस्पर्द्धियों को बाज़ार से बाहर करने के लिये जानबूझकर अपनी कीमतें लागत से कम निर्धारित करती है। एक बार जब प्रतिस्पर्द्धा समाप्त हो जाते हैं, तो कंपनी घाटे की भरपाई करने एवं एकाधिकार स्थिति का लाभ प्राप्त करने के लिये कीमतें बढ़ा सकती है।
  • कार्टेल:
    • कार्टेल स्वतंत्र कंपनियों या राष्ट्रों के समूह हैं जो वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्माण, बिक्री तथा वितरण को नियंत्रित करने के लिये एक साथ आते हैं।
    • कार्टेल आमतौर पर अवैध होते हैं और प्रतिस्पर्द्धा विरोधी व्यवहार को बढ़ावा देने के लिये जाने जाते हैं।
  • आपसी साँठ-गाँठ:
    • साँठ-गाँठ दो या दो से अधिक पक्षों के बीच दूसरों को गुमराह करके, धोखा देकर या प्रतिस्पर्द्धा को सीमित करने का एक समझौता है। इसमें प्राय: अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिये गुप्तरूप से सहयोग करना शामिल होता है।
  • विलय:
    • विलय में दो या दो से अधिक कंपनियों का एक इकाई में संयोजन शामिल होता है। हालाँकि सभी विलय प्रतिस्पर्द्धा विरोधी नहीं हैं, कुछ विशेष बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा को कम कर सकते हैं, जिससे नियामक जाँच हो सकती है।
  • मूल्य विभेदन:
    • मूल्य भेदभाव तब होता है जब एक विक्रेता एक ही उत्पाद या सेवा के लिये अलग-अलग ग्राहकों से अलग-अलग कीमतें वसूलता है। हालाँकि यह हमेशा अवैध नहीं होता है, लेकिन अगर यह प्रतिस्पर्द्धा को हानि पहुँचाता है तो इसे प्रतिस्पर्द्धा विरोधी माना जा सकता है।
  • मूल्य निर्धारण अनुबंध:
    • मूल्य निर्धारण में प्रतिस्पर्द्धियों के बीच उनके उत्पादों अथवा सेवाओं के लिये एक विशिष्ट मूल्य निर्धारित करने हेतु एक समझौता शामिल होता है। यह प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त करता है साथ ही कृत्रिम रूप से कीमतें बढ़ाता है, जिससे अविश्वास कानूनों का उल्लंघन होता है।

भारत बाज़ार एकाधिकार की प्रथाओं से कैसे निपटता है?

  • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002:
    • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 भारत में अविश्वास संबंधी मुद्दों को संबोधित करने वाला प्राथमिक कानून है। इसे बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने एवं उसे बनाए रखने, प्रतिस्पर्द्धा विरोधी प्रथाओं को रोकने के साथ उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने के लिये अधिनियमित किया गया था।
      • यह अधिनियम प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी समझौतों और उद्यमों द्वारा अपनी प्रधान स्थिति के दुरुपयोग का प्रतिषेध करता है तथा समुच्चयों का विनियमन करता है, क्योंकि इनकी वजह से भारत में प्रतिस्पर्द्धा पर व्यापक प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
    • प्रतिस्पर्द्धा संशोधन विधेयक, 2022:
      • प्रस्तावित संशोधन का उद्देश्य नियामक ढांँचे को और मज़बूत करना, उभरती चुनौतियों का समाधान करना तथा प्रतिस्पर्द्धी कानून प्रवर्तन की प्रभावशीलता को बढ़ाना है।
  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI):
    • CCI भारतीय बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत प्रतिस्पर्धा का नियामक है, यह प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के उद्देश्यों को लागू करने के लिये उत्तरदायी है। इसमें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और सदस्य होते हैं।
    • CCI प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं, प्रमुख स्थिति के दुरुपयोग और प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी समझौतों की जाँच करती है तथा कार्रवाई करती है।
  • प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण और NCLAT:
    • प्रतिस्पर्द्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (COMPAT) शुरू में CCI निर्णयों के खिलाफ अपील सुनने के लिये उत्तरदायी था।
    • हालाँकि वर्ष 2017 में सरकार ने COMPAT को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) से बदल दिया, जो अब प्रतिस्पर्द्धा मामलों से संबंधित अपीलों को संभालता है।

प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं पर अंकुश लगाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय पहल क्या हैं?

  • OECD प्रतियोगिता समिति:
    • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) तथा OECD प्रतिस्पर्द्धा समिति सहित विभिन्न पहलों के माध्यम से प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं को संबोधित करता है, जो प्रतिस्पर्द्धा से संबंधित मुद्दों पर सदस्य देशों के बीच चर्चा एवं सहयोग की सुविधा प्रदान करता है।
  • व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD):
    • UNCTAD अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विकास को बढ़ावा देने के लिये काम करता है। यह प्रतिस्पर्द्धा कानून और नीति पर अपने अंतर सरकारी विशेषज्ञों के समूह के माध्यम से प्रतिस्पर्द्धा नीति तथा कानून पर मार्गदर्शन प्रदान करता है, प्रभावी प्रतिस्पर्द्धा ढाँचे को लागू करने में देशों का समर्थन करता है।
    • यह उपभोक्ताओं को दुरुपयोग से बचाने और प्रतिस्पर्द्धा को दबाने वाले नियमों पर अंकुश लगाने की नीतियों से भी संबंधित है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा नेटवर्क (ICN):
    • ICN दुनिया भर के प्रतिस्पर्द्धा प्राधिकरणों का एक नेटवर्क है। यह वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा चुनौतियों से निपटने के लिये सदस्य न्यायालयों के बीच संचार और सहयोग की सुविधा प्रदान करता है। ICN प्रतिस्पर्द्धा कानून के विभिन्न पहलुओं पर सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने तथा दिशा-निर्देश विकसित करने हेतु एक मंच प्रदान करता है।
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO):
    • मुख्य रूप से व्यापार के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, WTO व्यापार और प्रतिस्पर्द्धा नीति के बीच बातचीत पर अपने कार्य समूह के माध्यम से प्रतिस्पर्द्धा नीति को संबोधित करता है।
      • इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रतिस्पर्द्धा नीतियाँ व्यापार में अनावश्यक बाधाएँ पैदा न करें।

भारत में बाज़ार एकाधिकार से संबंधित निर्णय क्या हैं?

  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग बनाम भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (SAIL) (2010):
    • सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय रेलवे को रेल की आपूर्ति में प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं के लिये SAIL की जाँच करने हेतु CCI के आदेश को बरकरार रखा।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि SAIL को प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम से छूट नहीं थी और प्रारंभिक चरण में इस आदेश पर कोई अपील नहीं की जा सकती थी।
    • न्यायालय ने आगे यह भी कहा कि COMPAT के समक्ष किसी भी अपील में CCI एक आवश्यक अथवा उचित पक्ष था।
  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग बनाम गूगल LLC एवं अन्य (2021):
    • CCI ने भारत के स्मार्ट टीवी और एंड्रॉइड एप स्टोर बाज़ारों में गूगल द्वारा कथित प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं की जाँच करने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील की।
    • उच्च न्यायालय ने अधिकार क्षेत्र की कमी और गूगल के पास अपना मामला पेश करने का कोई अवसर न होने के कारण CCI के आदेश को रद्द कर दिया।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने CCI की जाँच पर रोक लगा दी और इसमें शामिल सभी पक्षों को नोटिस जारी किया।

आगे की राह

  • अविश्वास कानूनों की निरंतर समीक्षा तथा सुदृढ़ीकरण करना जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनका कार्यान्वन सही है एवं कारोबारी परिवेश में उभरती चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम हैं। नियमित अपडेट विधिक ढाँचे को उभरते बाज़ार की गतिशीलता के अनुकूल बनाने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
  • अविश्वास कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा आयोग जैसे नियामक प्राधिकरणों को सशक्त एवं पर्याप्त रूप से वित्त पोषित करना। अधिकारियों को प्रतिस्पर्द्धा-रोधी व्यवहार की जाँच करने, दंडित करने तथा इसे रोकने के लिये सक्षम बनाना।
  • विलय तथा अधिग्रहण की समीक्षा के लिये पारदर्शी व कुशल प्रक्रियाएँ सुनिश्चित करना। एक स्पष्ट एवं गहन समीक्षा समेकन के माध्यम से एकाधिकार के निर्माण अथवा मज़बूती को रोकने में सहायता प्राप्त हो सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारतीय विधान के प्रावधानों के अंतर्गत उपभोक्ताओं के अधिकारों/विशेषाधिकारों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2012)

  1. उपभोक्ताओं को खाद्य की जाँच करने के लिये नमूने लेने का अधिकार है।
  2. उपभोक्ता यदि उपभोक्ता मंच में शिकायत दर्ज करता है तो उसे इसके लिये कोई फीस नहीं देनी होगी।
  3. उपभोक्ता की मृत्यु हो जाने पर उसका वैधानिक उत्तराधिकारी उसकी ओर से उपभोक्ता मंच में शिकायत दर्ज कर सकता है।

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)

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