पनामा नहर पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव | 20 Aug 2024

प्रिलिम्स के लिये:

पनामा नहर, गैटुन झील, GDP, पनामा स्थलसंधि, टेक्टॉनिक/विवर्तनिक प्लेट्स, वाष्पीकरण, आर्द्रता, वर्षा, शैवाल ब्लूम, महासागरीय धाराएँ, मैंग्रोव, ड्रिप सिंचाई

मेन्स के लिये:

जल संसाधनों और शमन रणनीतियों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

एक महत्त्वपूर्ण वैश्विक शिपिंग मार्गपनामा नहर, जलवायु परिवर्तन एवं दीर्घकालीन अनावृष्टि की स्थिति के कारण चुनौतियों का सामना कर रही है।

  • इस स्थिति के कारण गैटुन झील में जल स्तर कम हो गया है, जिससे पनामा नहर के संचालन को बनाए रखने के लिये दीर्घकालिक समाधानों के बारे में चर्चाएँ शुरू हो गई हैं।

पनामा नहर पर जलवायु परिवर्तन का क्या प्रभाव है?

  • अनावृष्टि और जहाज़ों का कम आवागमन: पनामा नहर में लंबे समय से अनावृष्टि की स्थिति बनी हुई है, जो वर्ष 2023 के प्रारंभ में शुरू हुई थी।
    • अक्तूबर 2023 में बारिश औसत से 43% कम रही, जिससे यह 1950 के दशक के बाद, सबसे शुष्क महीने के रूप में दर्ज हुआ।
    • गैटुन झील में कम जल स्तर के कारण दिसंबर 2023 में नहर के माध्यम से नौवहन सामान्य प्रतिदिन 36 - 38 जहाज़ों से घटकर 22 जहाज़ों तक रह गया।
  • जहाज़ों के आकार पर प्रतिबंध: कम जल स्तर के कारण नहर से गुजरने वाले जहाज़ों के आकार को सीमित करन पड़ता है क्योंकि बड़े, भारी जहाज़ों के उथले जल में फँसने का अधिक जोखिम होता है।
    • बड़े जहाज़ों के लिये झील/जल निकाय में अधिक जल की आवश्यकता होती है।
  • वैश्विक व्यापार पर प्रभाव: वैश्विक शिपिंग का 5% हिस्सा पनामा नहर से होता है, इसलिये यहाँ होने वाले व्यवधान विश्व भर की आपूर्ति शृंखला को प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शिपमेंट में विलंब एवं ईंधन का अधिक प्रयोग होने के साथ GDP को नुकसान होता है।
    • जहाज़ों को लंबा मार्ग तय करने के लिये मजबूर होना पड़ता है, अर्थात् दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी छोर तक यात्रा करनी पड़ती है।

पनामा नहर के संदर्भ में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • पनामा नहर:
    • यह पनामा में 82 किलोमीटर लंबा एक कृत्रिम जलमार्ग है जो अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है।
      •  यह समुद्री व्यापार के लिये एक मार्ग है।
    • इससे न्यूयॉर्क और सैन फ्राँसिस्को के बीच की यात्रा में लगभग 12,600 किलोमीटर की कमी आती है।
    • पहला जहाज़ 15 अगस्त 1914 को पनामा नहर से गुजरा था।
  • पनामा नहर का कार्य:
    • यह एक परिष्कृत, उच्च-इंजीनियरिंग प्रणाली है जो जहाज़ों को एक छोर से दूसरे छोर तक ले जाने के लिये लॉक एंड एलीवेटर प्रणाली का उपयोग करती है।
      • ऐसा इसलिये आवश्यक है क्योंकि पनामा नहर जिन दो महासागरों को जोड़ती है वे समान ऊँचाई पर स्थित नहीं हैं तथा प्रशांत महासागर अटलांटिक महासागर से थोड़ा ऊँचा है।
    • अटलांटिक से नहर में प्रवेश करने वाले जहाज़ को प्रशांत महासागर की ओर जाते समय ऊँचाई हासिल करनी होती है। यह लॉक सिस्टम का उपयोग करके पूरा किया जाता है जो नहर के प्रत्येक छोर पर जहाज़ों को आवश्यक समुद्र स्तर तक ऊपर और नीचे करता है।
    • लॉक्स में या तो जल भर दिया जाता है (ऊँचाई बढ़ाने के लिये) या जल निकाल दिया जाता है (ऊँचाई कम करने के लिये) जो उत्थापक/एलीवेटर का कार्य करते हैं।
      • कुल मिलाकर इस प्रणाली में 12 लॉक्स शामिल हैं, जिनकी देखभाल कृत्रिम झीलों और चैनलों के माध्यम से की जाती है।

पनामा स्थलसंधि

  • स्थलसंधि भूमि की एक संकरी पट्टी होती है जो दो बड़े भू-भागों को जोड़ने के साथ दो जल निकायों को अलग करती है।
    • ये स्थलीय और जलीय व्यापार मार्गों को जोड़ने वाले बंदरगाहों एवं नहरों के लिये प्राकृतिक स्थल हैं।
  • पनामा स्थलसंधि उत्तर और दक्षिण अमेरिकी महाद्वीपों को जोड़ती है और प्रशांत तथा अटलांटिक महासागरों को अलग करती है।
  • कैरेबियन टेक्टोनिक प्लेट के उत्तर एवं दक्षिण अमेरिकी प्लेटों के बीच क्षेपण से इसका निर्माण हुआ। इस प्रक्रिया की परिणामी टेक्टोनिक गतिविधियों से सागर नितल में उभार आया।

नोट:

  • जलडमरूमध्य, दो भू-भागों के बीच का एक संकीर्ण जलमार्ग है जिसके माध्यम से दो बड़े जल निकाय जुड़ते हैं। जैसे, जिब्राल्टर जलडमरूमध्य द्वारा भूमध्य सागर एवं अटलांटिक महासागर को जोड़ा गया है। 
  • जलडमरूमध्य महत्त्वपूर्ण परिवहन मार्ग होते हैं क्योंकि ये जहाज़ो को एक जल निकाय से दूसरे जल निकाय में जाने की सुविधा प्रदान करते हैं।

विश्व की अन्य महत्त्वपूर्ण नहरें (Canals) कौन-सी हैं?

  • स्वेज नहर: यह नहर स्वेज की खाड़ी एवं भूमध्य सागर को जोड़ने के साथ एशिया को अफ्रीका से अलग करती है। यह उत्तर में सईद पोर्ट तथा दक्षिण में स्वेज तक विस्तारित है। 
    • यह एशिया को अफ्रीकी महाद्वीप से अलग करने के साथ यूरोप एवं हिंद महासागर तथा पश्चिमी प्रशांत महासागर के आसपास के क्षेत्रों के बीच सबसे छोटा समुद्री मार्ग प्रदान करती है। 
  • कील नहर: यह बाल्टिक सागर को उत्तरी सागर से जोड़ती है। वर्ष 1895 में खोली गई 98 किलोमीटर लंबी कील नहर जहाज़ो को डेनमार्क (जटलैंड प्रायद्वीप) से होकर जाने वाले लंबे मार्ग को बायपास करने में मदद करती है। 
  • कोरिंथ नहर: ग्रीस की कोरिंथ नहर को विश्व की सबसे संकरी नहर माना जाता है। यह आयोनियन सागर की कोरिंथियन खाड़ी एवं एजियन सागर की सारोनिक खाड़ी को जोड़ती है।
  • क्रा इस्थमस नहर (थाई नहर): यह एक प्रस्तावित नहर है जो दक्षिणी थाईलैंड में क्रा इस्थमस (Kra Isthmus) के पार अंडमान सागर को थाईलैंड की खाड़ी से जोड़ेगी। 
  • ग्रेट लेक्स सीवे नेविगेशन सिस्टम: संयुक्त राज्य अमेरिका में पाँच ग्रेट लेक्स, उनके कनेक्टिंग चैनल और सेंट लॉरेंस नदी (St. Lawrence River) विश्व की सबसे लंबी नेविगेशन प्रणालियों में से एक है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न. जलमार्गों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा कीजिये? वैश्विक व्यापार के सुचारू प्रवाह के लिये नहरें किस प्रकार अपरिहार्य हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रश्न. निम्नलिखित में से किसके द्वारा भारत और पूर्वी एशिया के बीच नौ संचालन समय (नेविगेशन टाइम) और दूरी अत्यधिक कम किये जा सकते हैं? (2011)

  1. मलेशिया और इंडोनेशिया के बीच मलक्का जलडमरूमध्य को अधिक गहरा बना कर।
  2. सियाम खाड़ी और अंडमान सागर के बीच क्रा भू संधि जलडमरूमध्य के पार नई नहर खोल कर।

उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1
(c) केवल 2
(b) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न. जल प्रतिबल (वाटर स्ट्रेस) का क्या आशय है? भारत में यह किस प्रकार और किस कारण प्रादेशिकतः भिन्न-भिन्न है? (2019)

प्रश्न. “भारत में अपक्षयी (डिप्लीटिंग) भौम जल संसाधनों का आदर्श समाधान जल संरक्षण प्रणाली है”। शहरी क्षेत्रों में इसको किस प्रकार प्रभावी बनाया जा सकता है? (2018)

प्रश्न. भारत के सूखा प्रवण एंव अर्द्धशुष्क प्रदेशों में लघु जलसंभर विकास परियोजनाएँ किस प्रकार जल संरक्षण में सहायक हैं?  (2014)