अंतर्राष्ट्रीय संबंध
चीन द्वारा आपूर्ति शृंखलाओं का रणनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग
- 19 Feb 2025
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:मेक इन इंडिया पहल, वास्तविक नियंत्रण रेखा, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव, उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन, चीन प्लस वन रणनीति मेन्स के लिये:आपूर्ति शृंखला व्यवधान और आर्थिक सुरक्षा, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
चीन ने एप्पल-फॉक्सकॉन के भारत स्थित संयंत्रों में अपने इंजीनियरों तथा तकनीशियनों पर प्रतिबंध लगाकर तथा महत्त्वपूर्ण विनिर्माण उपकरणों के निर्यात पर रोक लगाकर आपूर्ति शृंखलाओं का रणनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग किया है।
- इस कदम को भारत के बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्षेत्र को धीमा करने एवं 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत देश की व्यापक महत्त्वाकांक्षाओं को प्रभावित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
चीन भारत की आपूर्ति शृंखलाओं को किस प्रकार बाधित कर रहा है?
- आपूर्ति शृंखलाओं पर नियंत्रण: चीन, वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति शृंखला में प्रभावी है। तकनीशियनों और प्रमुख उपकरणों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाकर, इसका उद्देश्य भारत के उत्पादन को बाधित करना तथा भारतीय श्रमिकों के कौशल विकास में बाधा डालना है।
- यह दबाव रणनीति भारत के खिलाफ बीजिंग की सौदेबाजी स्थिति को मज़बूत करती है।
- भारत स्मार्टफोन के उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा चीन से आयात करता है। नवीनतम प्रतिबंध भारत की कमज़ोरी एवं आत्मनिर्भरता की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
- टनल बोरिंग मशीनों (TBMs) में देरी: वर्ष 2019 से चीन ने भारत द्वारा आयातित जर्मन TBMs में देरी की है जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास मेट्रो, रेल, सड़क एवं रणनीतिक पर्वतीय सुरंगों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- बीजिंग को डर है कि ये सुरंगें भारतीय सैन्य रसद में सहायता करेंगी, जिससे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैनिकों की आवाजाही तेज़ हो जाएगी।
- महत्त्वपूर्ण खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंध: वर्ष 2023 से चीन ने अर्द्धचालकों, सौर पैनलों और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स के लिये प्रमुख सामग्रियों, ज़र्मेनियम और गैलियम के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- यद्यपि गैलियम को भारत के बॉक्साइट भंडार से निकाला जा सकता है, लेकिन ज़र्मेनियम का आयात एक चुनौती बना हुआ है, जो अर्द्धचालकों और सैन्य अनुप्रयोगों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI): BRI और औद्योगिक निवेश के माध्यम से चीन यह सुनिश्चित करता है कि बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ उसकी आपूर्ति शृंखलाओं पर निर्भर रहें।
- उदाहरण के लिये अमेरिकी प्रतिबंधों के बावज़ूद, टेस्ला जैसी कंपनियाँ लागत प्रभावी उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र के कारण चीन में प्रमुख परिचालन जारी रख रही हैं।
चीन आपूर्ति शृंखलाओं को हथियार क्यों बना रहा है?
- भारत को विनिर्माण केंद्र बनने से रोकना: उच्च तकनीक विनिर्माण और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स में चीन के प्रभुत्व को चुनौती मिल रही है, क्योंकि एप्पल तथा अन्य कंपनियाँ भारत की ओर रुख कर रही हैं।
- वर्तमान में भारत विश्व के 14% आईफोन का उत्पादन करता है, तथा अनुमान है कि यह 25-40% तक पहुँच जाएगा।
- चीन में बेरोज़गारी बढ़ने के कारण सरकार को भारत में उच्च मूल्य वाली नौकरियाँ खोने का भय है, विशेष रूप से AI-संचालित उपभोक्ता तकनीक जैसे उभरते उद्योगों में।
- भारत के आर्थिक प्रतिबंधों का प्रतिशोध: वर्ष 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से भारत ने चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया, चीनी निवेश को प्रतिबंधित करने के साथ-साथ अवैध गतिविधियों के लिये चीनी फर्मों की जाँच की है।
- चीन के नवीनतम निर्यात प्रतिबंधों का उद्देश्य आपूर्ति शृंखला व्यवधानों का लाभ उठाकर भारत को व्यापार वार्ता के लिये बाध्य करना है।
- चीन राजनीतिक असहमति वाले देशों को दंडित करने के लिये व्यापार प्रतिबंधों का उपयोग करता है।
- वैश्विक व्यापार में भारत का लचीलापन: चीन प्रभावी आर्थिक प्रतिबंध लगाने में संघर्ष करता रहा है, जबकि अमेरिका के पास मज़बूत वैश्विक गठबंधन हैं।
- इन चुनिंदा निर्यात अस्वीकार्यताओं से चीन को यह आकलन करने का अवसर मिलता है कि भारत आगे और प्रतिबंध लगाने से पहले आपूर्ति शृंखला व्यवधानों के साथ किस प्रकार तालमेल बिठाता है।
आपूर्ति शृंखला की कमज़ोरियों का सामना करने के लिये भारत के प्रयास
- उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजना
- राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन
- घटकों पर शुल्क में कटौती: केंद्रीय बज़ट 2025 ने महत्त्वपूर्ण मोबाइल फोन कंपोनेंट्स (जैसे, मुद्रित सर्किट बोर्ड, कैमरा मॉड्यूल, कनेक्टर, सेंसर और लिथियम-आयन बैटरी निर्माण मशीनरी) पर आयात शुल्क हटा दिया।
- कौशल विकास पहल: राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन, कौशल भारत मिशन संकल्प योजना, तेजस कौशल परियोजना, मॉडल कौशल ऋण योजना।
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है?
- आयात पर भारी निर्भरता: भारत 75% से अधिक इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स का आयात करता है। उच्च-स्तरीय विनिर्माण उपकरणों के लिये घरेलू आपूर्ति शृंखलाओं की कमी भारत की उत्पादन बढ़ाने की क्षमता को सीमित करती है।
- सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम जैसी पहल के बावज़ूद आयात पर निर्भरता प्रमुख उद्योगों को व्यवधानों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
- कुशल कार्यबल की कमी: भारत में चिप डिज़ाइन, इलेक्ट्रॉनिक्स असेंबली और स्वचालन में विशेषज्ञ प्रतिभा का अभाव है, जो उच्च तकनीक विनिर्माण के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- सहायक उद्योगों के लिये कमज़ोर पारिस्थितिकी तंत्र: चीन के विपरीत, भारत में स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों के लिये स्थानीय आपूर्तिकर्त्ताओं का मज़बूत नेटवर्क नहीं है।
- अनुसंधान एवं विकास का अभाव: इलेक्ट्रॉनिक्स में अधिकांश उच्च तकनीक अनुसंधान एवं विकास अमेरिका, ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन में केंद्रित है, जबकि भारत में नवाचार सीमित है।
- भारत को प्रतिस्पर्द्धात्मक बढ़त हासिल करने के लिये अनुसंधान संस्थानों, उद्योग-अकादमिक सहयोग और पेटेंट सृजन में निवेश करना चाहिये।
आगे की राह
- घरेलू विनिर्माण को मज़बूत करना: अर्द्धचालकों, महत्त्वपूर्ण घटकों एवं उच्च तकनीक वाली मशीनरी के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये PLI का विस्तार करना चाहिये।
- जापान, दक्षिण कोरिया एवं अमेरिका जैसे देशों से जर्मेनियम तथा गैलियम के लिये वैकल्पिक आपूर्तिकर्त्ताओं को सुरक्षित करना चाहिये।
- भारत की सेमीकंडक्टर मांग को पूरा करने के लिये गैलियम का घरेलू निष्कर्षण तेज़ी से किया जाए।
- व्यापार गठबंधन और प्रौद्योगिकी साझेदारी: भारत को चिप 4 गठबंधन (अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान) जैसे सहयोगियों के साथ व्यापार गठबंधनों को मज़बूत करना चाहिये, जिससे चीन पर निर्भरता कम करने तथा अनुकूल आपूर्ति शृंखला बनाने में मदद मिलेगी।
- विश्व व्यापार संगठन (WTO) और G20 जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों का उपयोग चीन के आपूर्ति शृंखला शस्त्रीकरण पर प्रकाश डालने के लिये किया जाना चाहिये।
- चीन प्लस वन रणनीति का उपयोग करते हुए, भारत को स्वयं को एक स्थायी व्यवसाय स्थान के रूप में बढ़ावा देकर तथा अपनी तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था एवं स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाकर वैश्विक विनिर्माताओं को आकर्षित करना चाहिये।
- कुशल कार्यबल: प्रतिभा अंतराल को कम करने के लिये कार्यस्थल पर कार्यकर्त्ता प्रशिक्षण एवं विशेष कौशल विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: चीन के कार्यबल एवं निर्यात प्रतिबंधों के बीच भारत की चुनौतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये। घरेलू क्षमताओं को मज़बूत करने के उपाय बताइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सQ. कभी-कभी समाचारों में आने वाला 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (Belt and Road Initiative)' किसके मामलों के संदर्भ में आता है ? (2016) (a) अफ्रीकी संघ उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न 1. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को चीन की अपेक्षाकृत विशाल 'एक पट्टी एक सड़क' पहल के मूलभूत भाग के रूप में देखा जा रहा है। CPEC का संक्षिप्त वर्णन प्रस्तुत कीजिये और भारत द्वारा उससे किनारा करने के कारण गिनाइये। (2018) प्रश्न 2. “चीन अपने आर्थिक संबंधों एवं सकारात्मक व्यापार अधिशेष को एशिया में संभाव्य सैनिक शक्ति हैसियत को विकसित करने के लिये उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रहा है”। इस कथन के प्रकाश में उसके पडौसी के रूप में भारत पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिये। (2017) |