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शासन व्यवस्था

लेटरल एंट्री योजना से संबंधित चुनौतियाँ

  • 30 Jan 2025
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

लेटरल एंट्री स्कीम (LES), संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), नीति आयोग, द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC)

मेन्स के लिये:

नौकरशाही में लेटरल एंट्री का मुद्दा, इसके निहितार्थ और आगे की राह।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

निजी क्षेत्र के पेशेवरों को अनुबंध पर वरिष्ठ नौकरशाही में शामिल होने में सक्षम बनाने वाली लेटरल एंट्री योजना (LES), विधिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से विवाद का मुद्दा बनी हुई है। 

  • इसके तहत वर्ष 2019 से अब तक 63 नियुक्तियाँ की जा चुकी हैं लेकिन वैधानिक ढाँचे की कमी और हाशिये पर स्थित समुदायों के आरक्षण को लेकर चिंताएँ बनी हुई हैं।

नोट: इससे संबंधित कानूनी विवाद फरवरी 2020 में शुरू हुआ जब IFS अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने विधिक एवं प्रक्रियात्मक जटिलता का हवाला देते हुए नैनीताल केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) के समक्ष लेटरल एंट्री स्कीम को चुनौती दी।

लेटरल एंट्री योजना से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • संवैधानिक वैधता: इसे संविधान के अनुच्छेद 309 के साथ विरोधाभासी बताते हुए चुनौती दी गई थी, जो उपयुक्त विधायिका (संसद, राज्य विधानसभा) को लोक सेवकों की भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित करने वाले कानून बनाने का अधिकार देता है।
    • इसके अलावा, भर्ती में आरक्षण को समाप्त करना सामाजिक न्याय और संवैधानिक आदेशों को कमज़ोर करता है।
  • लघु कार्यकाल: लेटरल एंट्री के लिये 3 वर्ष का कार्यकाल प्रभावी शासन अनुकूलन और जवाबदेही के लिये बहुत छोटा माना जाता है।
  • आनंद का सिद्धांत और सामूहिक भर्ती: सरकार अनुच्छेद 310 के तहत LES को उचित ठहराती है, जो राष्ट्रपति को विशेषज्ञों की नियुक्ति करने की अनुमति देता है। आलोचकों का तर्क है कि यह वरिष्ठ, अस्थायी पदों पर बड़े पैमाने पर भर्ती के लिये नहीं है। 
    • अधिकारियों की कमी का हवाला देते हुए, इसकी आवश्यकता पर सवाल उठाया गया है, क्योंकि प्रत्येक रिक्ति के लिये 18 पैनलबद्ध अधिकारी हैं।
  • हितों का टकराव: चिंताओं में निजी क्षेत्र के पेशेवरों द्वारा सरकारी नीतियों को प्रभावित करने की संभावित पूर्वाग्रहता तथा पृष्ठभूमि जाँच और सतर्कता मंजूरी जैसी सख्त जाँच का अभाव शामिल है।
  • नौकरशाही मनोबल संबंधी चिंताएँ: लेटरल एंट्री की संख्या में वृद्धि से व्यावसायिक नौकरशाहों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। वे लेटरल एंट्री का विरोध कर सकते हैं, उन्हें बाहरी व्यक्ति के रूप में देख सकते हैं और पदानुक्रम और व्यवधान की चिंताओं के कारण संभावित रूप से शत्रुता को बढ़ावा दे सकते हैं।

लेटरल एंट्री स्कीम (LES) से संबंधित मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • LES: वर्ष 2018 में शुरू की गई LES एक भर्ती प्रक्रिया है जो निजी क्षेत्र के पेशेवरों को सामान्य प्रतियोगी परीक्षाओं को दरकिनार करते हुए सीधे मध्य-स्तर या वरिष्ठ सरकारी पदों पर नियुक्त करने की अनुमति प्रदान करती है ।
    • उन्हें संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा 3 वर्ष के अनुबंध पर नियुक्त किया जाता है, जिसकी अवधि अधिकतम 5 वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है।
  • आरक्षण प्रावधान: लेटरल एंट्री को "एकल पद" माना जाता है, इसलिये इन्हें  SC, ST, OBC और EWS श्रेणियों के लिये आरक्षण प्रणाली के कोटा के अधीन नहीं रखा गया है।
  • भर्ती: वर्ष 2018 से अब तक 63 लेटरल प्रवेशकों की नियुक्ति की गई है, जिनमें से 57 अगस्त, 2023 तक सेवारत होंगे। 
    • आरक्षण अधिकारों को लेकर प्रतिरोध के कारण, UPSC ने अगस्त, 2024 में LEC के तहत 45 वरिष्ठ पदों पर भर्ती रोक दी।

सिविल सेवाओं में लेटरल एंट्री के क्या लाभ हैं?

  • विशिष्ट विशेषज्ञता: लेटरल एंट्री प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और वित्त जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञों की भर्ती को सक्षम बनाता है, जिससे ज्ञान संबंधी अंतराल को संबोधित किया जाता है, जिसकी पूर्ति सामान्य सिविल सेवक द्वारा नहीं की जा सकती है।
  • कुशल संचालन: लेटरल एंट्री से लगभग 1500 IAS अधिकारियों की कमी को दूर करने और सरकारी एजेंसियों के कुशल संचालन में मदद मिल सकती है।
  • कार्य संस्कृति में सुधार: पार्श्व प्रवेशकर्त्ता लालफीताशाही से दूर होकर अधिक गतिशील, परिणाम-उन्मुख शासन की ओर बदलाव को बढ़ावा देते हुए नौकरशाही निष्क्रियता में सुधार लाने में मदद कर सकते हैं।
  • समावेशी शासन: पार्श्व प्रवेश से निजी क्षेत्र और गैर-लाभकारी संस्थाओं सहित हितधारकों की अधिक भागीदारी संभव होती है, जिससे सहभागी शासन और बहु-अभिनेता सहयोग में वृद्धि होती है।

आगे की राह

    • दोहरी प्रवेश प्रणाली: भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव ने एक दोहरी प्रवेश प्रणाली का सुझाव दिया था, जिसमें 25 से 30 वर्षीय आयु वर्ग के लिये परंपरागत भर्ती तथा संबद्ध क्षेत्र के विशेषज्ञों की नियुक्ति किये जाने के उद्देश्य से 37 से 42 वर्षीय आयु वर्ग के लिये मध्य-करियर पार्श्व प्रवेश की व्यवस्था थी।
      • युवा, गतिशील प्रतिभा युक्त व्यक्तियों को आकर्षित करने हेतु संयुक्त सचिव पदों के लिये आयु सीमा में छूट दिये जाने का सुझाव दिया गया था।
    • पार्श्व प्रवेशकर्त्ताओं के लिये प्रशिक्षण: निजी क्षेत्र से सरकारी भूमिकाओं में पार्श्व प्रवेशकर्त्ताओं के संक्रमण को सरल बनाने के उद्देश्य से व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु समर्पित प्रशासनिक विश्वविद्यालय की स्थापना की जानी चाहिये।
    • निजी क्षेत्र का अनुभव: IAS और IPS अधिकारियों को निजी क्षेत्र में अनुभव प्राप्त करने की अनुमति देने से शासन में प्रतिस्पर्द्धा, नवाचार और क्षेत्रीय विशेषज्ञता बढ़ सकती है।

    दृष्टि मेन्स प्रश्न:

    प्रश्न. सरकार की लोक सेवाओं में लेटरल एंट्री की योजना क्या है? इसके गुणागुण और निहितार्थ क्या हैं?

      UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

    प्रश्न. "आर्थिक प्रदर्शन के लिये संस्थागत गुणवत्ता एक निर्णायक चालक है"। इस संदर्भ में लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के लिये सिविल सेवा में सुधारों के सुझाव दीजिये। (2020)

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