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भारतीय अर्थव्यवस्था

केंद्रीय व्यवसाय संघों द्वारा श्रम कल्याण की माँग

  • 05 Sep 2024
  • 15 min read

प्रिलिम्स के लिये:

केंद्रीय व्यवसाय संघ (CTU), भारतीय श्रम सम्मेलन, श्रम संहिताएँ, राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP), निजीकरण, विनिवेश, रैप्टाकोस मामला- 1991, निश्चित अवधि का रोज़गार, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, गिग वर्कर

मेन्स के लिये:

श्रम सुधार और श्रम कल्याण से संबधित मुद्दे

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने केंद्रीय व्यवसाय संघ (CTU) के साथ एक गोलमेज़ बैठक आयोजित की तथा चार श्रम संहिताओं के कार्यान्वयन पर आगे की चर्चा करने पर सहमति व्यक्त की।

केंद्रीय व्यवसाय संघों (CTUs) की मुख्य मांगें क्या हैं?

  • भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) की पुन:स्थापना: CTU ने भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की है, जो एक त्रिपक्षीय निकाय है जिसकी वर्ष 2015 से कोई बैठक नहीं हुई है।
    • उनका तर्क है कि श्रम कानूनों में महत्त्वपूर्ण बदलाव, जिसमें 29 केंद्रीय कानूनों का संहिताकरण और चार श्रम संहिताओं का पारित होना शामिल है, ILC के साथ उचित परामर्श के बिना हुआ।
  • चार श्रम संहिताओं की समीक्षा और संशोधन: CTU का तर्क है कि नई श्रम संहिताएँ बड़े निगमों का पक्ष लेकर श्रमिकों के अधिकारों को कमज़ोर करती हैं। जैसे नई संहिताएँ कंपनियों के लिये (विशेष रूप से 300 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिये) सरकार की अनुमति के बिना श्रमिकों को काम पर रखना और बर्खास्त करना आसान बनाती हैं।
    • उन्होंने नौकरी की सुरक्षा, सामूहिक सौदाकारी, काम के घंटे, सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों और अनुपालन आवश्यकताओं के बारे में अपनी चिंताओं को दूर करने के लिये इन संहिताओं पर आगे की चर्चा की मांग की है
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निजीकरण और विनिवेश पर रोक: उन्होंने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (NMP) का विरोध किया है, जिसे राष्ट्रीय परिसंपत्तियों को निजी निगमों को अंतरित करने के कदम के रूप में देखा जाता है।
  • उचित न्यूनतम मजदूरी का कार्यान्वयन: CTU द्वारा 15वीं ILC (वर्ष 1957) की संस्तुति तथा राप्टाकोस मामले, 1991 में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आधार पर न्यूनतम वेतन कम से कम 26,000 रुपए प्रति माह निर्धारित करने की मांग की गई है। 
    • वे मुद्रास्फीति के अनुरूप प्रत्येक पाँच वर्ष में नियमित वेतन संशोधन की मांग करते हैं।
  • रोज़गार सृजन और नौकरी की सुरक्षा: बढ़ती बेरोज़गारी को नियंत्रित करने के लिये CTU निश्चित अवधि की रोज़गार नीतियों को वापस लेने की मांग करते हैं, जो विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों में नौकरी की असुरक्षा उत्पन्न करती हैं। 
  • पूर्ववर्ती पेंशन योजना (OPS) की पुनर्स्थापना: CTU गैर-अंशदायी पूर्ववर्ती पेंशन योजना की पुनर्स्थापना की मांग करते हैं, जिसके बारे में उनका मानना ​​है कि यह सेवानिवृत्त श्रमिकों को बेहतर सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है।
    • वे कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) वर्ष 1995 के अंतर्गत आने वाले लोगों के लिये न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपए प्रति माह और किसी भी योजना के अंतर्गत न आने वाले लोगों के लिये न्यूनतम पेंशन 6,000 रुपए प्रति माह की मांग करते हैं।

भारत में व्यवसाय संघ के पंजीकरण हेतु प्रावधान

  • पंजीकरण प्रावधान: एक पंजीकृत व्यवसाय संघ में संबंधित प्रतिष्ठान या उद्योग में कम-से-कम 10% या 100 कर्मचारी (जो भी कम हो) होने चाहिये तथा न्यूनतम 7 सदस्य होने चाहिये।   
  • ट्रेड यूनियन बनाने से छूट: परिचालन दक्षता बनाए रखने के लिये कुछ संगठनों को ट्रेड यूनियनों में शामिल होने से छूट दी गई है।
    • कुछ संगठन जो ट्रेड यूनियन/व्यवसाय संघ नहीं बना सकते हैं वे हैं:
      • सशस्त्र बल: भारतीय सशस्त्र बलों (सेना, नौसेना और वायु सेना) के कर्मचारी ट्रेड यूनियन बनाने के पात्र नहीं हैं।
        • यह सशस्त्र बल अधिनियम, 1950 द्वारा शासित है, जो सशस्त्र बलों के भीतर ट्रेड यूनियनों के गठन को प्रतिबंधित करता है।
      • पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ: पुलिस बल (अधिकारों पर प्रतिबंध) अधिनियम, 1966 इंस्पेक्टर के पद से नीचे के अराजपत्रित पुलिस कर्मचारियों को किसी भी प्रकार का संघ या समूह बनाने से रोकता है।

भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) क्या है?

  • ILC श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय में शीर्ष स्तरीय त्रिपक्षीय परामर्शदात्री समिति है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
    • केंद्रीय व्यवसाय संघ संगठन: श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
    • नियोक्ताओं के केंद्रीय संगठन: नियोक्ताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
    • सरकारी प्रतिनिधि: श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय, राज्य सरकारें, केंद्रशासित प्रदेश और संबंधित केंद्रीय मंत्रालय/विभाग शामिल हैं।
  • यह देश के श्रमिक वर्ग से संबंधित मुद्दों पर सरकार को सलाह देता है। 
  • भारतीय श्रम सम्मेलन (जिसे तब त्रिपक्षीय राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन कहा जाता था) की पहली बैठक वर्ष 1942 में हुई थी।

चार श्रम संहिताएँ क्या हैं?

  • चार श्रम संहिताएँ: सरकार ने 29 श्रम कानूनों को मिलाकर उन्हें 4 श्रम संहिताओं में संहिताबद्ध किया है:
    • वेतन संहिता, 2019: इसने प्रत्येक श्रमिक के लिये "जीविका के अधिकार" को सुनिश्चित करने हेतु सभी कर्मचारियों के लिये न्यूनतम वेतन और समय पर भुगतान के प्रावधानों को सार्वभौमिक बना दिया।
      • इसमें यह अनिवार्य किया गया है कि मासिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को अगले महीने की 7 तारीख तक, साप्ताहिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों को सप्ताह के अंत तक तथा दैनिक मज़दूरी पाने वालों को उसी दिन भुगतान किया जाए।
    • औद्योगिक संबंध संहिता, 2020: यह श्रमिकों के ट्रेड यूनियन बनाने के अधिकारों की रक्षा करने, नियोक्ताओं और श्रमिकों के बीच टकराव को कम करने और औद्योगिक विवादों के निपटारे के लिये नियम प्रदान करने हेतु एक ढाँचा प्रदान करता है।
      • संहिता का उद्देश्य औद्योगिक विवादों को प्रभावी ढंग से हल करके औद्योगिक शांति और सद्भाव प्राप्त करना है।
    • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020: इसमें जीवन एवं दिव्यांगता बीमा, स्वास्थ्य एवं मातृत्व लाभ तथा भविष्य निधि जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत स्व-नियोजित, गृह-आधारित, मज़दूरी, प्रवासी, असंगठित क्षेत्र और गिग श्रमिक शामिल हैं।
    • व्यवसायगत सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थितियाँ संहिता, 2020: यह उद्योग, विनिर्माण, कारखाने आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण पर ज़ोर देता है।
      • यह संहिता निम्नलिखित क्षेत्रों में लागू है:
        • 20 या अधिक श्रमिकों वाले कारखाने जहाँ विनिर्माण प्रक्रिया विद्युत की सहायता से होती है।
        • 40 या अधिक श्रमिकों वाले कारखाने जहाँ विनिर्माण प्रक्रिया विद्युत की सहायता के बिना होती है।

CTUs की मांगों को पूरा करने के लिए क्या कदम उठाने की आवश्यकता है?

  • समावेशी परामर्श और संवाद: सरकार को चार श्रम संहिता कार्यान्वयनों के संबंध में सरकार, नियोक्ताओं और श्रमिक संघों के बीच त्रिपक्षीय संवाद बनाए रखते हुए वर्तमान और भविष्य के श्रम सुधारों पर चर्चा करने हेतु  ILC का समय निर्धारित और संचालन करना चाहिये।
  • रोज़गार और सामाजिक सुरक्षा: रोज़गार की असुरक्षा में योगदान देने वाली निश्चित अवधि की रोज़गार नीतियों पर पुनर्विचार करें और रोज़गार की स्थिरता पर अग्निपथ योजना के प्रभाव का आकलन करें। 
  • प्रवासी श्रमिकों के लिये राष्ट्रीय नीति: यूनियनों की मांग है कि अंतरराज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम, 1979 के सुदृढ़ीकरण और प्रभावी कार्यान्वयन के साथ-साथ प्रवासी श्रमिकों के लिये एक व्यापक राष्ट्रीय नीति तैयार करने पर विचार किया जाना चाहिये। 
  • ILO अभिसमय का अनुसमर्थन: यूनियन घर-आधारित श्रमिकों पर ILO अभिसमय C177 के अनुसमर्थन की मांग करती हैं ताकि उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य कवरेज के उनके अधिकार सुनिश्चित हो सकें।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: चार श्रम संहिताओं और उनकी विशेषताओं पर चर्चा कीजिये। श्रम सुधारों के संबंध में श्रमिक ट्रेड यूनियनों की विभिन्न चिंताएँ क्या हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न  

प्रिलिम्स

प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:(2017)

  1. कारखाना अधिनियम, 1881 को औद्योगिक मज़दूरों की मज़दूरी तय करने और मज़दूरों को ट्रेड यूनियन बनाने की अनुमति देने के उद्देश्य से पारित किया गया था।
  2.  एन.एम. लोखंडे ब्रिटिश भारत में श्रमिक आंदोलन के आयोजन में अग्रणी थे।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


प्रश्न .वर्ष 1929 के व्यापार विवाद अधिनियम में निम्नलिखित प्रावधान किये गए थे(2017)

(a) उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी।
(b) औद्योगिक विवादों को कम करने के लिये प्रबंधन को मनमानी शक्तियाँ।
(c) व्यापार विवाद की स्थिति में ब्रिटिश न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप।
(d) न्यायाधिकरणों की एक प्रणाली और हड़तालों पर प्रतिबंध

उत्तर: (d)


प्रश्न: प्राचीन भारत के गिल्ड (श्रेणी) के संदर्भ में, जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है/हैं? (2012)

  1. प्रत्येक गिल्ड राज्य के केंद्रीय प्राधिकरण के साथ पंजीकृत था और राजा उन पर मुख्य प्रशासनिक अधिकारी था।
  2. मज़दूरी, कार्य के नियम, मानक और कीमतें गिल्ड द्वारा तय की जाती थीं।
  3. गिल्ड के पास अपने सदस्यों पर न्यायिक शक्तियाँ थीं।

निम्नलिखित कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स

प्रश्न.1920 के दशक से राष्ट्रीय आंदोलन ने विभिन्न वैचारिक धाराएँ प्राप्त कीं और इस प्रकार अपने सामाजिक आधार का विस्तार किया। चर्चा कीजिये। (2020)

प्रश्न.अंग्रेजों द्वारा भारत से अन्य उपनिवेशों में गिरमिटिया मज़दूरों को क्यों ले जाया गया? क्या वे वहाँ अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में सक्षम रहे हैं? (2018)

प्रश्न.पिछले चार दशकों में भारत के भीतर और बाहर श्रम प्रवास की प्रवृत्तियों में आए बदलावों पर चर्चा कीजिये। (2015)

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