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सामाजिक न्याय

सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती अभियान

  • 17 Nov 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र, सिंगल यूज़ प्लास्टिक, विश्व शौचालय दिवस, स्वच्छ भारत मिशन

मेन्स के लिये:

सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती अभियान के महत्त्वपूर्ण बिंदु 

चर्चा में क्यों?

आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा  'विश्व शौचालय दिवस' (19 नवंबर) समारोह के भाग के रूप में एक सप्ताह का 'स्वच्छ अमृत दिवस' तक चलने वाले सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती (Safari Mitra Suraksha Challenge- SSC) जागरूकता अभियान शुरू किया गया है।

  • स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में राज्यों, शहरों, यूएलबी और छावनी बोर्ड की भूमिका तथा प्रयासों को मान्यता देने और कचरा मुक्त स्टार रेटिंग प्रमाणन के लिये 20 नवंबर, 2021 को 'स्वच्छ अमृत दिवस' पुरस्कार समारोह का आयोजन किया जाएगा।

'विश्व शौचालय दिवस'

  • वर्ष 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने आधिकारिक तौर पर 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस के रूप में नामित किया। यह सरकारों और भागीदारों के सहयोग से संयुक्त राष्ट्र-जल (UN-Water) द्वारा समन्वित है।
  • इसका उद्देश्य स्वच्छता को लेकर लोगों के मध्य नकारात्मक विचारधारा को समाप्त करना है  क्योंकि शौचालय और स्वच्छता के मुद्दे पर चुप्पी के घातक परिणाम हो सकते हैं।
  • वर्ष 2021 की थीम शौचालयों के मूल्यांकन (Valuing Toilets) से संबंधित है।

 प्रमुख बिंदु 

  • सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती अभियान के बारे में:
    • ‘सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती’ में कुल 246 शहर भाग ले रहे हैं जिसे देश भर में आयोजित किया जा रहा है। राज्यों की राजधानियाँ, शहरी स्थानीय निकाय और स्मार्ट शहर इस अभियान में भाग लेने के पात्र होंगे।
    • शहरों को तीन उप-श्रेणियों (10 लाख से अधिक, 3-10 लाख और 3 लाख तक की आबादी) में सम्मानित किया जाएगा। कुल पुरस्कार राशि 52 करोड़ रुपए निर्धारित की गई है।
    • यह हाथ से मैला ढोने की प्रथा से निपटने के सरकारी प्रयासों में से एक है।
  • सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती:
    • SSC को 19 नवंबर, 2020 को विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर लॉन्च किया गया था।
    • सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती (SSC) का उद्देश्य शहरों को अपने सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के कार्यों को मशीनीकृत करने के लिये प्रोत्साहित करना है।
    • सरकार द्वारा अप्रैल 2021 में सभी राज्यों के लिये सीवर-सफाई को मशीनीकृत करने के लिये चेलेंज फॉर आल की शुरुआत की गई। इसके साथ ही यदि किसी व्यक्ति को अपरिहार्य आपात स्थिति में सीवर लाइन में प्रवेश करने की आवश्यकता होती है, तो उसे उचित उपकरण/सामग्री और ऑक्सीजन सिलेंडर आदि उपलब्ध कराए जाने चाहिये।
  • शुरू की गई पहलें: 
    • SSC अभियान के तहत ऋण मेले जैसी कई पहलें शुरू की गई हैं। SSC के अंतर्गत राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम (NSKFDC), सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, एमओएचयूए द्वारा समर्थित देश भर में ऋण मेलों का आयोजन किया जा रहा है।
      • इसका उद्देश्य सफाई मित्रों को सीवर/सेप्टिक टैंकों की मशीनीकृत सफाई के लिये टैंक सफाई मशीन/उपकरण खरीद हेतु स्वच्छता उद्यमी योजना (एसयूवाई) के तहत ऋण प्राप्त करने में मदद करना है। 
    • NSKFDC के माध्यम से 115 शहरों में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सहयोग से सफाई मित्रों का कौशल विकास प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया है।
    • सेप्टिक टैंक/सीवर की सुरक्षित सफाई और खतरनाक सफाई के संबंध में शिकायतें दर्ज  करने के लिये 345 शहरों में कॉल सेंटर एवं हेल्पलाइन नंबर चालू किये गए हैं।
    • 31 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने ज़िम्मेदार स्वच्छता प्राधिकरण (Responsible Sanitation Authority- RSA) की स्थापना की है और इन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 210 शहरों में स्वच्छता प्रतिक्रिया इकाइयांँ (Sanitation Response Units- SRU) मौजूद हैं।
    • भाग लेने वाले सभी 246 शहरों ने पहले ही सिंगल यूज़ प्लास्टिक (Single-Use Plastic- SUP) पर प्रतिबंध लगा दिया है।

मैनुअल स्कैवेंजिंग: 

  • परिचय:
    • मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual Scavenging) को "सार्वजनिक सड़कों और सूखे शौचालयों से मानव मल को हटाने, सेप्टिक टैंक, नालियों तथा सीवर की सफाई" के रूप में परिभाषित किया गया है। 
    • मैनुअल स्कैवेंजिंग प्रथा भारत की जाति व्यवस्था से जुड़ी हुई है, जहाँ तथाकथित निचली जातियों से ही इस काम को करने की उम्मीद की जाती है।  
    • आधिकारिक तौर पर हाथ से मैला ढोने वालों की संख्या वर्ष 2018 में घटकर 42,303 हो गई, जो वर्ष 2008 में 7,70,338 थी। वर्ष 2018 में हाथ से मैला ढोने वालों का सर्वेक्षण NSKFDC द्वारा किया गया था।
  • संबंधित पहल:

स्रोत: पीआईबी

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