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सामाजिक न्याय

COVID-19 और सफाई कर्मियों की सुरक्षा

  • 15 Apr 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये  

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम

मेन्स के लिये 

महामारी से निपटने में सफाई कर्मियों की भूमिका

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम (National Safai Karamcharis Finance and Development Corporation-NSKFDC) ने स्थानीय निकायों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि सभी सफाई कर्मचारियों को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (Personal Protective Equipment-PPE) प्रदान किए जाएँ ताकि वे कोरोनोवायरस (COVID-19) महामारी के दौरान सुरक्षित रह सकें।

प्रमुख बिंदु 

  • NSKFDC द्वारा जारी एडवाइज़री के अनुसार, अनौपचारिक श्रमिकों समेत स्वच्छता कार्यकर्त्ता और अपशिष्ट संग्राहक आदि लोगों के उन साइलेंट ग्रुप्स (Silent Groups) में से हैं जो कोरोनोवायरस (COVID-19) के प्रसार को रोकने के लिये अथक रूप से कार्य कर रहे हैं।
  • विश्लेषकों के अनुसार, जब दूसरों की सुरक्षा के लिये अपने जीवन को खतरे में डालने का प्रश्न होता है, तो वर्तमान समय में सभी स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं को डॉक्टरों, स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिसकर्मियों के समान ही देखा जाना चाहिये।
  • सभी स्थानीय निकायों को स्वच्छता कर्मचारियों की सुरक्षा के लिये एक मानक संचालन प्रक्रिया स्थापित करने का निर्देश दिया गया है।
  • सभी स्थानीय निकायों को COVID-19, सोशल डिस्टेंसिंग मापदंड और एहतियाती उपाय जैसे विषयों पर सफाई कर्मचारियों के लिये अनिवार्य दिशा-निर्देश देने को भी कहा गया है।
  • इसके अतिरिक्त स्थानीय निकायों को स्वच्छता बनाए रखने में मदद करने के लिये सफाई कर्मचारियों को मास्क, दस्ताने, गमबूट (Gumboot) और जैकेट के साथ-साथ साबुन और हैंड सैनिटाइज़र प्रदान करने का भी आदेश दिया गया है।

स्थानीय स्वशासन की अवधारणा

  • लोकतंत्र का सही अर्थ होता है सार्थक भागीदारी और उद्देश्यपूर्ण जवाबदेही। जीवंत और मज़बूत स्थानीय शासन भागीदारी और जवाबदेही दोनों को सुनिश्चित करता है।
  • स्थानीय स्वशासन की सबसे महत्त्वपूर्ण विशेषता यह होती है कि यह देश के आम नागरिकों के सबसे करीब होती है और इसलिये यह लोकतंत्र में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने में सक्षम होती है।
  • स्थानीय सरकार का क्षेत्राधिकार एक विशेष क्षेत्र तक सीमित होता है और यह उन्हीं लोगों के लिये कार्य करती है जो उस क्षेत्र विशेष के निवासी हैं।
  • स्थानीय निकाय राज्य सरकार के अधीन आती है और उसका नियंत्रण तथा पर्यवेक्षण भी राज्य सरकार द्वारा ही किया जाता है।

COVID-19 और सफाई कर्मचारी

  • स्वास्थ्य कर्मियों और सुरक्षा कर्मियों के अलावा सफाई कर्मियों का समूह भी मौजूदा समय में कोरोनावायरस (COVID-19) महामारी संकट से अग्रिम पंक्ति में लड़ रहा है। 
  • ये लोग प्रत्येक दिन अपनी जान को जोखिम में डालते हैं और हमारी सड़कों, पार्कों, सार्वजनिक स्थानों, सीवरों, सेप्टिक टैंकों, समुदायों तथा सार्वजनिक शौचालयों को साफ तथा स्वच्छ रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और वायरस के प्रसार को रोकने में मदद करते हैं।
  • सफाई कर्मियों की महत्ता के बावजूद भी सरकार और आम लोगों द्वारा इन्हें अनदेखा किया जा रहा है। देश के सफाई कर्मियों के पास पर्याप्त बुनियादी सुरक्षा उपकरण तक मौजूद नहीं हैं, जिसके कारण ये लोग इस वायरस के प्रति काफी संवेदनशील हो गए हैं।
  • शिक्षा के अभाव में सफाई कर्मियों के मध्य कोरोनावायरस के संक्रमण के प्रति जागरूकता का भी अभाव देखा जा रहा है।
  • इसके अलावा यदि सफाई कर्मचारी कोरोनावायरस से संक्रमित होते हैं तो उनको अपर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाओं और बीमा जैसी अनिवार्य आवश्यकताओं की कमी का सामना करना पड़ेगा।

राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम 

(National Safai Karamcharis Finance and Development Corporation-NSKFDC)

  • राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम (NSKFDC) की स्थापना सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन कंपनी अधिनियम, 1956 (Companies Act, 1956) की धारा 25 के तहत 24 जनवरी, 1997 को एक ‘गैर-लाभकारी कंपनी’ के रूप में की गई थी।
  • यह भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्त्वधीन कंपनी है।
  • NSKFDC संपूर्ण भारत में सफाई कर्मचारियों और उनके आश्रितों के सर्वांगीण सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिये एक शीर्ष संस्था के रूप में कार्यरत है।
  • लक्षित समूह के उत्थान हेतु ऋण आधारित एवं गैर-ऋण आधारित योजनाओं के क्रियान्वयन के अतिरिक्त NSKFDC मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual Scavenging) के उन्मूलन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
    • किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के हाथों से मानवीय अपशिष्टों (human excreta) की सफाई करने या सर पर ढोने की प्रथा को हाथ से मैला ढोने की प्रथा या मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual Scavenging) कहते हैं।

स्रोत:  द हिंदू

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